इलेक्टोरल बांड से 966 करोड़ चंदा देने वाली मेघा इंजीनियरिंग पर NVDA क्यों है मेहरबान!

हैदराबाद की कंपनी यानी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड इन दिनों प्रदेश में भी चर्चा में है। कंपनी एक दशक से भी ज्यादा समय से प्रदेश में NVDA के हजारों करोड़ रुपयों के लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। 

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Sandeep Kumar
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हैदराबाद की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड

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संजय शर्मा @ BHOPAL.  इलेक्टोरल बांड ( electoral bonds ) के जरिए 966 करोड़ रूपए का चुनावी चंदा देने वाली हैदराबाद की कंपनी MEIL यानी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड इनदिनों प्रदेश में भी चर्चा में बनी हुई है। कंपनी एक दशक से भी ज्यादा समय से प्रदेश में NVDA ( नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ) के हजारों करोड़ रुपयों के लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसकी चर्चा इसलिए भी हो रही है की कुछ साल पहले तक 500 करोड़ के ठेके लेने वाली इस कंपनी को अचानक ही हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट कैसे मिलने लगे। कंपनी के नर्मदा- क्षिप्रा लिंक प्रोजेक्ट पर CAG ( भारत के नियंत्रक एंड महालेखापरीक्षक ) रिपोर्ट ने भी सवाल खड़े किए हैं। 

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प्रदेश में काम कर रही है मेघा इंजीनियरिंग लिमिटेड 

मेघा इंजीनियरिंग लिमिटेड साल 2010 के बाद से प्रदेश में काम कर रही है। अब हजारों करोड़ रुपए के ठेके लेने वाली हैदराबाद की इस कम्पनी को 2015 से पहले तक 500 करोड़ तक के ही काम नर्मदा घाटी विका प्राधिकरण (NVDA) कराए जाते थे। साल 2011 में मेघा यानी एमईआईएल ने केबीएल लिमिटेड के साथ जॉइंट वेंचर में NVDA की 550 करोड़ की खरगोन लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट पर काम किया था। इसके अलावा भी कम्पनी जॉइंट वेंचर और अकेले ही 200 - 400 करोड़ के ठेके लेती रही। लेकिन साल 2020 में मेघा इंजीनियरिंग को NVDA ने काली सिंध माइक्रो लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट का वर्क आर्डर सौंप दिया। यह प्रोजेक्ट 4619 करोड़ रुपए बजट का है। इसके साथ ही कंपनी 3500 करोड़ से ज्यादा बजट वाले सांवेर सिंचाई प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है। 

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प्रदेश और देश में हासिल किए बड़े प्रोजेक्ट 

हैदराबादी कंपनी MEIL  प्रदेश के NVDA के हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट हासिल करने के साथ ही देश के कई राज्यों में भारी भरकम बजट वाले निर्माण के ठेके  संभाल रही है। 2019 के बाद प्रदेश में इस कम्पनी को 8000 करोड़ से ज्यादा बजट के इरीगेशन प्रोजेक्ट तो मिले ही हैं, हजारों करोड़ के पावर प्रोजेक्ट भी क्र रही है। वहीं देश के जम्मू-कश्मीर में एशिया की सबसे लम्बी टनल के निर्माण की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी के पास है। महाराष्ट्र के बांद्रा कुर्ला में बुलेट ट्रैन स्टेशन कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट,  उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात राज्यों में बड़े प्रोजेक्ट और आंध्रप्रदेश में 4361 करोड़ के ठेके लेकर काम कर रही है। कंपनी कुछ ही सालों में इतनी पावरफुल हो गई है कि प्रदेश में कुछ प्रोजेक्ट की कॉस्ट को कंपनी के मुनाफे के लिए रेवॉइज कर दोगुनी लागत स्वीकृत कर दी गई। 

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इसलिए प्रदेश में चर्चा में है कंपनी MEIL 

मेघा इंजीनियरिंग, इलेक्टोरल बांड और बड़े -बड़े ठेकों का वैसे तो सीधा कोई कनेक्शन नहीं है। लेकिन मेघा इंजीनियरिंग द्वारा जिस तरह 966 करोड़ के बांड खरीदकर चुनावी चंदा देने वाली कंपनियों में दूसरा नंबर हासिल किया है वही चर्चा का कारण बन गया है। कम्पनी ने बीजेपी को 858 करोड़, बीआरएस को 195 करोड़ रुपए और DMK को 85 करोड़ का चुनावी चंदा दिया है। MEIL कंपनी ने साल 2019 के बाद जब भी इलेक्टोरल बांड खरीदे उसके कुछ समय बाद ही उसे मध्यप्रदेश या अन्य किसी राज्य में भारी भरकम बजट का ठेका जरूर मिला है।

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