BHOPAL. राजधानी भोपाल के मसाजिद कमेटी ( Bhopal Masjid Committee ) में फोटो कॉपी घोटाला हुआ है। सरकार ने खुद इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मसाजिद कमेटी ( Masjid Committee ) ने 1 पन्ने की फोटो कॉपी के लिए 16 रुपए खर्च किए हैं। कमेटी ने इसे वित्तीय अनियमितता माना है। ये घोटाला मसाजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात ( Yasser Arafat ) के कार्यकाल में हुआ है। रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है। जांच के लिए सरकार ने पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की संयुक्त संचालक सविता झानिया ( Savita Jhania ) की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने 15 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
जांच के गठित टीम को क्या मिला ?
मसाजिद कमेटी में हुए घोटाले की जांच के लिए गठित की गई 3 सदस्यीय जांच टीम ने जो अपनी जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसको जानकर आप दंग रह जाएंगे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक मसाजिद कमेटी का गठन नहीं होने के कारण तत्कालीन प्रभारी सचिव यासिर अराफात को वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए थे। बावजूद इसके उन्होंने शासन की अनुमति के बिना ही 2 लाख से अधिक निकाह फॉर्म की फोटो कॉपी का टेंडर जारी कर दिया था। जबकि नियमानुसार 2.50 लाख से अधिक की सामग्री खरीदने के लिए किसी भी टेंडर की अनुमति राज्य शासन से ली जाती है। इतना ही नहीं, टेंडर का विज्ञापन दो अखबारों में प्रकाशित करने की अनिवार्यता को भी दरकिनार किया गया। जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि इस काम के लिए दो अखबारों में टेंडर का प्रकाशन किया जाता तो प्रति फॉर्म बाजार दर 5 रुपए से अधिक नहीं होती। ऐसे में ये काम 10 लाख 69 हजार 250 रुपए में हो सकता था। जबकि इसके उलट 16 रुपए के हिसाब से ठेका दिया गया।
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बिल्डिंग मेंटेनेंस के नाम पर फंड का दुरुपयोग
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बिल्डिंग मेंटेनेंस के नाम पर फंड के दुरुपयोग का मामला भी उजागर किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निकाह योजना फॉर्म की फोटो कॉपी के टेंडर की तरह ही मसाजिद कमेटी के भवन की मरम्मत का ठेका नियम विरुद्ध दिया गया। इसके लिए भी दो अखबारों में विज्ञापन दिए बिना तीन कोटेशन बुलाकर ठेका दे दिया गया। इस काम के लिए भी चार कर्मचारियों की समिति बना दी गई।
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तत्कालीन प्रभारी सचिव अराफात पर लगे आरोप
रिपोर्ट में तत्कालीन प्रभारी सचिव यासिर अराफात पर आरोप गया है कि उन्होंने मसाजिद कमेटी में पदस्थ 24 और स्कूल के 16 कर्मचारियों के 10 लाख 31 हजार 712 रुपए सीपीएफ अकाउंट में जमा करने करने के बजाय अन्य खातों में जमा कर दिए। यह राशि कर्मचारियों के सितंबर 2023 से दिसंबर 2023 तक वेतन में सीपीएफ अंशदान व अग्रिम के तौर पर काटी गई थी। जांच कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि प्रभारी सचिव अराफात के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए।