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Photograph: (thesootr)
JABALPUR.मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में गुरुवार 27 नवंबर को एक मामले की सुनवाई हुई। दरअसल खंडवा की महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट को वकील हृदेश वाजपेयी ने चपरासी कहकर अपमानित किया था। अधिवक्ता के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई थी।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच में सुनवाई हुई। अधिवक्ता ने कोर्ट में हलफनामा पेश किया। हाईकोर्ट और महिला जज से वकील ने माफी मांगी। अधिवक्ता ने बताया कि महिला जज के समक्ष माफी का शपथपत्र जमा किया गया था। उसकी प्रति हाईकोर्ट को भेज दी गई है।
दोपहर बाद मामले की फिर से सुनवाई हुई। कोर्ट ने अधिवक्ता द्वारा महिला जज और हाईकोर्ट दोनों के लिए दायर माफीनामे को स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही आपराधिक अवमानना की कार्यवाही समाप्त कर दी।
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अदालत में अभद्रता और मामला हाईकोर्ट पहुंचा
यह मामला खंडवा जिला न्यायालय की एक JMFC कोर्ट में 22 अप्रैल 2025 को समाने आया था। सुनवाई के दौरान वकील ने कथित रूप से असंतोष जाहिर करते हुए महिला मजिस्ट्रेट को चपरासी कह दिया। यह टिप्पणी अदालत की गरिमा और न्यायिक पद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली मानी गई। इस घटना की रिपोर्ट खंडवा के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को भेज दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर वकील के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की।
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हाईकोर्ट में पहली सुनवाई पर मांगा था समय
प्रारंभिक सुनवाई में वकील से जवाब मांगा गया, लेकिन उन्होंने सीधे माफी नहीं मांगी। उन्होंने व्यक्तिगत परिस्थितियों का हवाला देते हुए समय मांगा। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि न्यायिक अधिकारियों के प्रति अपमानजनक व्यवहार किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
आज की सुनवाई में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का उल्लेख किया। इन निर्णयों में कहा गया है कि अवमानना के मामलों में माफी तभी प्रभावी मानी जाएगी जब दोषी व्यक्ति उसी जज से खेद जताए, जिसके साथ अभद्रता हुई है।
हलफनामा देकर महिला जज से मांगी माफी
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत वकील हृदेश वाजपेयी ने महिला न्यायाधीश से माफी मांगी। उन्होंने लिखित हलफनामे द्वारा माफी मांगी। बाद में हलफनामा हाईकोर्ट में भेजा गया।
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आज की सुनवाई में मिली राहत
गुरुवार 27 नवंबर को हलफनामा हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच ने इसे स्वीकार कर लिया। महिला जज और हाईकोर्ट से माफी मांगने के बाद अदालत ने माना कि वकील ने अपने व्यवहार पर पश्चाताप प्रकट किया है। इस आधार पर अदालत ने उनके विरुद्ध चल रही अवमानना की कार्रवाई को समाप्त कर दिया।
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