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केंद्रीय राज्य मंत्री बनने के बाद सावित्री ठाकुर पहली बार धार पहुंचीं। उनका जगह- जगह स्वागत किया गया। ठाकुर ने यहां पर शिक्षा जागरुकता रथ रवाना किया। रथ रवाना करने से पहले उन्हें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का स्लोगन लिखना था। लेकिन मंत्री सावित्री ठाकुर ने लिखा- बेढी पडाओ बच्चाव...।
सावित्री ठाकुर के शपथ-पत्र के मुताबिक वे 12वीं पास हैं।
खराब हिंदी की वजह से महिला बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर को सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल किया जा रहा है। लोग उन पर तरह- तरह के सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर देश की मंत्री का ये हाल है तो युवाओं का क्या हाल होगा।
बता दें, सावित्री के पिता के अविभाजित मध्य प्रदेश में वन विभाग के कर्मचारी थे। जबकि पति सामान्य किसान हैं। उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं रहा। सावित्री ने अपने सावर्जनिक जीवन की शुरुआत एक एनजीओर में बतौर कोऑर्डिनेटर के रूप में जुड़कर की। उन्हें मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना: लड़कियों के सशक्तिकरण की दिशा में एक पहल...
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ( BBBPP ) योजना भारत सरकार द्वारा 2015 में लड़कियों के संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सेक्स रेश्यो में सुधार करना, लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम करना है।
लड़कियों के महत्व और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना।
जनसंपर्क अभियान, सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम और मीडिया अभियानों के माध्यम से लोगों को शिक्षित करना।
लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करना, जैसे सर्व शिक्षा अभियान और कस्तूरीबा गांधी बालिका विद्यालय योजना।
लड़कियों के लिए छात्रवृत्तियां प्रदान करना।
लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए कानूनों को लागू करना।
महिला हेल्पलाइन और सुरक्षा घरों जैसी सुरक्षा सेवाएं देना।
महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम और रोजगार के अवसर देना।
महिलाओं के लिए सूक्ष्म वित्त और उद्यमिता विकास योजनाओं को लागू करना।