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Photograph: (the sootr)
Jaipur. रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के डर से सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी होशियार होने लगे हैं। वे रिश्वत लेने का पैटर्न बदल रहे हैं। रिश्वत में रकम लेने से रंगे हाथ पकड़े जाने का डर रहता है। ऐसे में वे भूखण्ड, जमीन ले रहे हैं तो चहेती कंपनियों में अपने परिजनों को नौकरी में बताकर लाखों रुपए की सैलरी रिश्वत के तौर पर ले रहे हैं। नौकरी सब कागजी है। राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर दर्ज एफआईआर में खुलासा।
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एसीबी ने खोला मामला
ऐसा ही एक मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) राजस्थान की जांच में सामने आया है, जहां अधिकारियों ने उपकृत की गई कंपनियों में अपनी पत्नी को नौकरी में बताकर लाखों रुपए के वेतन और भत्ते के उठा लिए, जबकि पत्नी न तो नौकरी पर गई और ना ही किसी तरह का कामकाज किया। जांच में रिश्वतखोरी के इस नए ट्रेंड का एसीबी ने खुलासा किया है।
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पद का कर डाला दुरुपयोग
इसमें बताया है कि पद का दुरुपयोग करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और राजकॉम्प इंफो सर्विसेज में जॉइंट डायरेक्टर ने अपनी पत्नी को उपकृत कंपनियों में नियुक्ति दिखाकर 37.54 लाख रुपए का लाभ प्राप्त किया है। एसीबी की जांच में सामने आया है कि राजकॉम्प के जॉइंट डायरेक्टर प्रद्युमन दीक्षित ने पत्नी पूनम दीक्षित के नाम पर 2 निजी कंपनियों से करीब 37.54 लाख रुपए का भुगतान करवाया। पद का दुरुपयोग करते हुए यह नियुक्ति करवाई और राशि उठाई गई है।
टेंडर दिलवाने के नाम पर नियुक्ति
एसीबी की जांच में सामने आया है कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में प्रद्युमन दीक्षित डाटा सेंटर के जॉइंट डायरेक्टर थे। प्रद्युमन ने पद का दुरुपयोग कर प्राइवेट कंपनी को करोड़ों रुपयों के टेंडर दिलवाए। इसके बदले में पत्नी को दो कंपनियों में नियुक्ति दिखाकर हर महीने लाखों रुपए के वेतन भत्ते उठाए गए, जबकि यह नियुक्ति कागजी थी। वह न तो कभी ऑफिस गई और ना ही कोई कार्य किया, जबकि पत्नी के खातों में हर महीने 1.60 लाख रुपए आते रहे।
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खुद ही लगा रहे अटेंडेंस
प्रद्युमन दीक्षित खुद ही अपनी पत्नी की अटेंडेंस रिपोर्ट भी वेरिफाई करते थे। एसीबी जांच में सामने आया है कि पूनम दीक्षित ने दो कंपनियों से एक साथ सैलरी ली। एक कंपनी में फ्रीलांसिंग के नाम पर ट्रीजेन कंपनी से भी भुगतान हुआ।
प्रद्युमन ने पत्नी पूनम दीक्षित को ओरियनप्रो सॉल्यूशंस और ट्रीजेन सॉफ्टवेयर लिमिटेड में बिना काम किए ही अपॉइंट दिखाया। दोनों कंपनियों ने जनवरी, 2019 से सितंबर, 2020 के बीच पूनम के 5 निजी बैंक खातों में 37 लाख 54 हजार 405 रुपए वेतन के नाम पर जमा किए।
हाई कोर्ट के आदेश पर एसीबी को जांच
इस मामले की जांच राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर एसीबी ने की। मामले की जांच को लेकर परिवादी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जिस पर कोर्ट ने एसीबी को जांच करने के आदेश दिए। एसीबी ने 3 जुलाई, 2025 को प्राथमिक जांच दर्ज करके संबंधित विभाग और कंपनियों को नोटिस देकर दस्तावेज प्राप्त किए और दस्तावेज की जांच में रिश्वत लेने के इस नए ट्रेंड और पद के दुरुपयोग का मामला पकड़ में आया है।
जांच में आरोप सही पाए गए
जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर एसीबी ने प्रद्युमन दीक्षित, पूनम दीक्षित, उप निदेशक राकेश कुमार, कमलेश और दोनों कंपनियों के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। एसीबी अब आरोपियों के साथ पूछताछ करेगी और आगे की कानूनी कार्यवाही करेगी।
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