/sootr/media/media_files/2025/12/13/alwar-2025-12-13-12-16-45.jpeg)
Photograph: (the sootr)
Alwar. राजस्थान के अलवर जिले की ऐतिहासिक सिलीसेढ़ झील को हाल ही में रामसर साइट के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। यह भारत की 96वीं और राजस्थान की 5वीं रामसर साइट है।
इस उपलब्धि को जैव विविधता, जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह जानकारी अलवर सांसद भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की, जो इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं।
बिहार के एक नेता का अलवर में काट दिया टटलू, कर डाली 3 लाख रुपए की ठगी, जानें पूरी कहानी
ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व
सिलीसेढ़ झील न केवल अलवर जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि यह सरिस्का टाइगर रिजर्व का प्रवेश द्वार भी मानी जाती है। इस झील में जल पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां रहती हैं, जो इसे जैव विविधता से समृद्ध बनाती हैं।
यहां पर सारस और किंगफिशर जैसे रंग-बिरंगे पक्षी आकर्षण का केंद्र होते हैं, जिनके कारण सिलीसेढ़ का आकाश हमेशा रंगीन और जीवंत रहता है। झील के आस-पास स्थित वनस्पति और पारिस्थितिकीय विविधता भी इस क्षेत्र को पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती है।
इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
सिलीसेढ़ झील का निर्माण 1845 में तत्कालीन अलवर के महाराजा विनय सिंह ने किया था। उनका उद्देश्य अलवर को पेयजल उपलब्ध कराना था। यह झील एक रियासतकालीन निर्माण है, जो अब पर्यटकों के लिए एक आकर्षण बन चुकी है। झील के किनारे स्थित शाही महल, जो अब लेक पैलेस होटल के रूप में बदल चुका है, पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां पर पर्यटन और जैव विविधता के संरक्षण के प्रयासों को और गति मिलेगी।
अलवर में लूट कांड : व्यापारियों की बड़ी सभा, माल बरामदगी तक आरोपी नहीं मानने की घोषणा
रामसर साइट का महत्व
रामसर साइट्स वे आर्द्रभूमियां होती हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व दिया जाता है। इनका संरक्षण जैव विविधता, प्रवासी पक्षियों का आवास और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है। सिलीसेढ़ झील का रामसर साइट घोषित होना न केवल भारत के लिए, बल्कि इस क्षेत्र के लिए भी एक गर्व का क्षण है। इसके साथ ही यहां के जल संसाधनों का संरक्षण और बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे पर्यटकों को और अधिक आकर्षित किया जा सकेगा और जैव विविधता को भी सुरक्षा मिलेगी।
अलवर में दिन-दहाड़े ज्वेलरी शॉप पर लूट, 40 लाख का सोना-चांदी और नकदी लूटी, इलाके में फैली सनसनी
रामसर साइट्स की संख्या में वृद्धि
सिलीसेढ़ झील के रामसर साइट के रूप में घोषित होने के साथ ही अब भारत में कुल रामसर साइट्स की संख्या 96 हो गई है। 2014 में भारत में सिर्फ 26 रामसर साइट्स थीं, जो अब बढ़कर 96 हो चुकी हैं। इसका मतलब है कि भारत अब रामसर साइट्स की 100 की संख्या के करीब पहुंचने वाला है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बड़ी उपलब्धि है।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/12/13/1-2025-12-13-12-19-11.jpeg)
मुख्य बिंदु
- सिलीसेढ़ झील को रामसर साइट घोषित किया गया, क्योंकि यह जैव विविधता, प्रवासी पक्षियों के आवास और पर्यावरणीय संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- रामसर साइट बनने से सिलीसेढ़ झील को विशेष सुरक्षा मिलेगी, जिससे जैव विविधता का संरक्षण, पर्यावरणीय अध्ययन और पर्यटन के विकास में मदद मिलेगी।
- सिलीसेढ़ झील का निर्माण 1845 में तत्कालीन महाराजा विनय सिंह ने किया था, जो अलवर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई थी। यह झील ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us