सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट : यूट्यूबर से मिलने की चाहत, 15 साल का बालक बेंगलुरू से भागकर अलवर पहुंचा

15 साल के बच्चे ने सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर बेंगलुरू से बिना बताए राजस्थान के अलवर आकर यूट्यूबर बनने का सपना पूरा करने की कोशिश की। वह यहां के एक यूट्यूबर अमित शर्मा से प्रेरित था और उसके जैसा ही बनना चाहता था।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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सुनील जैन @ अलवर

सोशल मीडिया का प्रभाव आजकल बच्चों पर गहरा असर डाल रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध जानकारी बच्चों को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है, जब 15 साल का एक लड़का बिना बताए घर से 2000 किलोमीटर दूर बेंगलुरू से राजस्थान के अलवर पहुंच गया। 15 साल का बालक बेंगलुरू से भागकर अलवर पहुंचा। इस बच्चे का नाम अश्विक है और वह पिछले पांच साल से यूट्यूबर बनने की तैयारी कर रहा था।

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बच्चे की यूट्यूबर बनने की इच्छा

अश्विक, जो कर्नाटक के बेंगलुरू में पढ़ाई करता है, पिछले 5 साल से यूट्यूब पर वीडियो देखने और यूट्यूबर बनने के बारे में जानकारी जुटा रहा था। हालांकि वह हिंदी बोलने में माहिर नहीं था, लेकिन यूट्यूब के माध्यम से उसने हिंदी सीखी और अब वह चार भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू) में सक्षम है।

इंटरनेट पर रिसर्च

अश्विक ने यूट्यूबर बनने के लिए काफी समय तक इंटरनेट पर रिसर्च किया। विशेष रूप से वह क्रेजी XYZ नामक यूट्यूब चैनल पर ध्यान केंद्रित किया, जो चैलेंजिंग कार्यों से संबंधित था। इस चैनल के यूट्यूबर अमित शर्मा से संपर्क करने के बाद अश्विक ने यूट्यूबर बनने की प्रेरणा प्राप्त की।

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बिना बताए घर से भाग गया

शुक्रवार की रात को उसने बिना किसी को बताए घर से 1000 रुपए लेकर अलवर के लिए यात्रा शुरू की। उसने रास्ता मैप से देखा और बेंगलुरू से कर्नाटक एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ी। यात्रा के दौरान वह कई स्थानों से होकर अलवर पहुंचा, जहां वह पुलिस के हाथों पकड़ा गया।

परिवार की चिंता और पुलिस की भूमिका

अश्विक के परिवार ने पहले तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन बाद में जब अलवर पुलिस ने उसे पकड़ा, तो परिवार को सूचना दी गई। पुलिस ने अश्विक को सुरक्षित रूप से थाने में रखा और उसके परिजनों से संपर्क किया। परिवार की चिंता अब खत्म हुई, क्योंकि उनका बच्चा सुरक्षित था।

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अश्विक की सोच और उद्देश्य

अश्विक ने बताया कि उसके घर का खर्चा मुश्किल से चल पा रहा था। उसके पिता, जो एक निजी टेलीकॉम कंपनी में इंजीनियर हैं, एक दुर्घटना के बाद घर से काम कर रहे थे और उनकी सैलरी भी कम हो गई थी। उसने यूट्यूबर बनने का फैसला इसलिए किया, ताकि वह अपनी बहन की पढ़ाई की फीस और घर का खर्चा उठा सके।

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यूट्यूब पर अश्विक की आईडी नहीं

चौंकाने वाली बात यह थी कि अश्विक ने अभी तक यूट्यूब पर अपनी आईडी नहीं बनाई थी। हालांकि वह लगातार यूट्यूब पर वीडियो देखता और सीखता था। अश्विक के माता-पिता ने अपील की है कि वे अपने बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखें। उन्होंने कहा कि उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनका बच्चा इस हद तक जा सकता है।

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पुलिस और परिवार का सहयोग

अलवर पुलिस ने बताया कि इस मामले में पुलिस और परिवार का सहयोग सराहनीय रहा। बच्चे को थाने में सुरक्षित रखा गया और जब परिजन पहुंचे, तो उसे सौंप दिया गया। यह घटना बच्चों की सुरक्षा और उनकी मानसिक स्थिति को समझने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। अलवर पुलिस की वजह से अश्विक अपने परिवार से मिल सका।

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