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राजस्थान न्यायिक सेवा के एक सीनियर जज को अपने ही विभाग के फैसलों के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत जाना पड़ा। सीनियर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने बार-बार हो रहे अपने ट्रांसफर से परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) प्रशासन को स्पेशल इंस्ट्रक्शन जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारी की शिकायतों पर सहानुभूति के साथ विचार किया जाना बहुत जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला और निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की बेंच ने इस संवेदनशील मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया है।
उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे जज गुप्ता की समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें। अदालत ने साफ कहा कि हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी इस मामले पर विचार करे। साथ ही बेहतर होगा कि अगले दो हफ्तों के भीतर इस पर कोई फाइनल निर्णय ले लिया जाए।
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बार-बार ट्रांसफर से परेशान
जज दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि उनके रिटायरमेंट में अब महज 10 महीने का समय शेष बचा हुआ है। उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि उनका ट्रांसफर हाल ही में ब्यावर से जालौर कर दिया गया था। बार-बार होने वाले इन ट्रांसफर के कारण उन्हें और उनके परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जयपुर के पास पोस्टिंग की मांग की है। जयपुर में उन्हें अपनी गंभीर बीमारी के लिए नियमित इलाज की जरूरत है। हाईकोर्ट प्रशासन को दी गई उनकी पिछली शिकायतों पर जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने दिल्ली का रुख किया।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ऐसे होनहार अधिकारियों की नियुक्तियां कभी भी दंडात्मक नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा कि जज गुप्ता के सेवा रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाना चाहिए। प्रशासन को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वरिष्ठ अधिकारियों को उनके कार्यकाल के अंत में कोइ परेशानी न हो।
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कौन हैं जज दिनेश गुप्ता
दिनेश गुप्ता राजस्थान न्यायिक सेवा के एक निडर और बहुत ही चर्चित चेहरे माने जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐसे कड़े फैसले लिए जिनसे बड़े-बड़े अधिकारी और विभाग हिल गए।
कमर्शियल कोर्ट के जज रहते हुए उन्होंने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को जेल भेजने तक का आदेश दे दिया था। इसके अलावा शराब घोटाले और बजरी चोरी जैसे मामलों में भी उन्होंने कड़ा रुख अपनाया था।
जेडीए में लॉ डायरेक्टर रहते हुए उन्होंने विभाग की कई नियमों के विरुद्ध चल रही योजनाओं को उजागर किया था। उनकी छवि एक ईमानदार और नियमों के पक्के अधिकारी के रूप में पूरे प्रदेश में जानी जाती है।
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