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राजस्थान के वन्यजीव प्रेमियों के लिए 21 नवंबर का दिन बहुत खास रहा। इस दिन मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व (Pench Tiger Reserve) से एक युवा बाघिन (PN-224) राजस्थान लाई गई। उसे बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया है। यह कदम बाघों की संख्या और उनकी नस्ल सुधारने के लिए है।
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25 दिनों का संघर्ष
बाघिन को पकड़ने के लिए 25 दिनों तक कड़ा संघर्ष करना पड़ा। यह अभियान 26 नवंबर को कोटा की टीम ने शुरू किया था। टीम को दो से तीन साल की युवा बाघिन की तलाश थी। खोज के लिए टीम रोज सुबह से शाम तक जंगल छानती थी। लगभग दस दिन बाद बाघिन मिली पर वह फिर से भाग गई। बाघिन का रेडियो कॉलर फिसलने से वह दोबारा घने जंगल में खो गई।
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हाथियों की मदद से मिली कामयाबी
बाघिन बहुत सतर्क और आक्रामक थी। 20 दिसंबर को वह दोबारा नजर आई, लेकिन उसने टीम को चकमा दे दिया। अगले दिन 21 दिसंबर को टीम की रणनीति बदली गई। इस बार दो की जगह चार हाथियों के दल को मैदान में उतारा गया।
चारों तरफ से घेराबंदी की गई ताकि बाघिन को भागने का मौका न मिले। दोपहर 3 बजे के करीब डॉक्टरों ने उसे ट्रेंकुलाइज किया और आखिरकार उस पर काबू पाया गया।
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राजस्थान में बाघिन का ऐतिहासिक स्वागत👉 मध्य प्रदेश से युवा बाघिन को राजस्थान के रामगढ़ विषधारी रिजर्व लाया गया। 👉 टीम ने 25 दिनों की मेहनत और हाथियों की मदद से बाघिन को पकड़ा। 👉 यह दो राज्यों के बीच बाघों के तबादले का पहला सफल अभियान है। 👉 इस कदम से राजस्थान में बाघों की नस्ल ज्यादा ताकतवर और सेहतमंद बनेगी। 👉 फिलहाल 50 सदस्यों की टीम बाघिन की सेहत पर 24 घंटे नजर रख रही है। | |
बाघिन की नई शुरुआत
बाघिन को फिलहाल रामगढ़ विषधारी रिजर्व के एक सॉफ्ट एनक्लोजर (छोटे घेरे) में रखा गया है। वन विभाग की 50 सदस्यों वाली टीम 24 घंटे उसकी निगरानी कर रही है। डॉक्टर देख रहे हैं कि वह राजस्थान की मिट्टी में कैसे ढल रही है। जब वह पूरी तरह स्वस्थ और शांत महसूस करेगी, तब उसे बड़े जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
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नस्ल सुधार के लिए जरूरी कदम
राजस्थान वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी सुगनाराम जाट ने बताया कि बाघों की नस्ल सुधारना बहुत जरूरी था। मध्य प्रदेश के बाघ शारीरिक रूप से काफी मजबूत होते हैं। नई बाघिन के आने से बाघों की नई पीढ़ी ज्यादा ताकतवर होगी। उनके बच्चों में बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी अधिक होगी। इस बदलाव से बाघों को खत्म होने से बचाने में मदद मिलेगी।
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राजस्थान के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि
यह राजस्थान का पहला इंटर-स्टेट यानी दो राज्यों के बीच बाघों का तबादला है। इससे पहले 2008 में रणथंभौर से सरिस्का में बाघ भेजे गए थे, लेकिन वे राज्य के भीतर ही थे। 2018 में ओडिशा में ऐसा प्रयास हुआ था जो सफल नहीं रहा। एमपी बाघिन
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