5वीं पास मनोज देवी ने मिल्क केक बेचकर बनाया मुकाम, गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की सीख

राजस्थान के अलवर की मनोज देवी ने 5वीं पास होते हुए भी गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। उनके स्वयं सहायता समूह ने सफलतापूर्वक मिल्क केक बनाकर अपनी आय बढ़ाई।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के अलवर जिले के मुंडावर कस्बे के बल्लूबास गांव की रहने वाली मनोज देवी, जिन्होंने अपनी 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की थी, आज वह एक प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। वर्ष 2020 में कोरोना काल के कठिन समय में उन्होंने अपने गांव की कुछ महिलाओं को एकजुट कर एक स्वयं सहायता समूह शुरू किया। आज इस समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हैं और हर महीने अच्छा खासा पैसा कमाती हैं।

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समूह की शुरुआत और विकास

शुरुआत में मनोज देवी और उनकी महिला साथी रोस्टेड मूंग से नमकीन उत्पाद बनाकर बेचती थीं। धीरे-धीरे यह व्यापार बढ़ा और इनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई। इसके बाद इन महिलाओं ने मिल्क केक (कलाकंद) बनाने का विचार किया और इसे बेचना शुरू किया। आज उनका बनाया मिल्क केक न केवल गांव में, बल्कि आस-पास के इलाकों में भी प्रसिद्ध हो गया है।

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समूह की महिलाएं और उनकी सफलता

आज इस स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जिलेभर में आयोजित मेलों और प्रदर्शनियों में मिल्क केक का स्टॉल लगाती हैं। मनोज देवी का समूह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सफल रहा है और उनकी बनाई वस्तुएं अब बाजार में भी बिक रही हैं। महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अब आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र हैं।

विरोध और संघर्ष

मनोज देवी बताती हैं कि जब उन्होंने इस समूह की शुरुआत की, तो गांव के कई परिवारों ने इसका विरोध किया। लोगों का कहना था कि घर की महिलाएं सामान बेचने बाहर नहीं जाएंगी, लेकिन मनोज देवी ने हार नहीं मानी और उन्होंने इन परिवारों को समझाया कि महिलाएं घर पर रहकर भी काम कर सकती हैं। उन्हें बाहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने खुद अपने पति और परिवार को भी मनाया और आखिरकार काम शुरू किया। अब उनका परिवार भी उनके काम में सहयोग देता है।

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कोरोना काल में मिली प्रेरणा

मनोज देवी ने बताया कि कोरोना काल के दौरान उनके गांव की अधिकांश महिलाएं बेरोजगार हो गई थीं और घरों में ही बैठी रहती थीं। इसी दौरान, दौसा से राजीविका की टीम आई और महिलाओं से संपर्क कर उन्हें समूह बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद इस समूह का गठन हुआ। अब गांव की अधिकांश महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो चुकी हैं।

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समूह की सफलता की शुरुआत

मनोज देवी ने एक बार अलवर के मिनी सचिवालय में राजीविका द्वारा दी गई स्टॉल पर कलाकंद बेचा और केवल दो घंटे में तीन हजार रुपए कमा लिए। इस सफलता ने उन्हें और उनके समूह को आगे बढ़ने के लिए और प्रोत्साहित किया। अब मनोज देवी की सफलता की यह कहानी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम कर रही है। 

FAQ

1. मनोज देवी ने किस तरह का व्यापार शुरू किया?
मनोज देवी ने गांव की महिलाओं को एकजुट कर स्वयं सहायता समूह शुरू किया और नमकीन उत्पाद बनाने के बाद मिल्क केक (कलाकंद) बेचना शुरू किया।
2. मनोज देवी को किसने प्रेरित किया?
कोरोना काल में दौसा से राजीविका की टीम ने उन्हें और अन्य महिलाओं को समूह बनाने के लिए प्रेरित किया।
3. मनोज देवी के परिवार ने उनके काम में कैसे सहयोग दिया?
शुरू में उनके पति ने इसका विरोध किया, लेकिन बाद में उन्होंने मनोज देवी को समर्थन दिया और अब उनका परिवार उनके व्यापार में सक्रिय रूप से सहयोग करता है।

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