शिक्षा के लिहाज से पिछड़े अलवर के मेवात में जगाई अलख, अब मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

राजस्थान के टपूकड़ा की प्रिंसिपल नीलम यादव को 5 सितंबर को दिल्ली में मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार। राजस्थान से एकमात्र चयन। बालिका शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए किया जा रहा सम्मानित।

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Amit Baijnath Garg
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neelam yadav

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के अलवर जिले के शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पिछड़े और चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले इलाके मेवात की शिक्षिका नीलम यादव को राजस्थान से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है। प्रदेश से एकमात्र यादव का चयन हुआ है। जहां बच्चियों को पढ़ाने से परहेज किया जाता था, वहां इस शिक्षिका ने अभिभावकों को प्रेरित कर उन लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा है। परिणाम यह रहा कि आज इस स्कूल का नामांकन 1300 से ज्यादा है। 

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परिणाम बेहतर और गुणवत्तापूर्ण रहे 

अध्यापिकाओं की कमी के बावजूद भी इस स्कूल के परिणाम बेहतर ही नहीं, गुणवत्तापूर्ण रहे। मेवात क्षेत्र में यह पुरस्कार मील का पत्थर साबित होगा और शिक्षा से वंचित कर दी जाने वाली छात्राओं के लिए प्रेरणा का काम करेगा। यही नहीं, स्कूल परिसर का भी पूरी तरह कायाकल्प किया गया है, जिससे यह स्कूल शानदार लगे। इसके लिए सभी इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाए गए।

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इस तरह रहा नीलम का सफर

खैरथल-तिजारा जिले के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय टपूकड़ा की प्रिंसिपल नीलम यादव को इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। नीलम को यह पुरस्कार पांच सितंबर को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में प्रदान किया जाएगा। नीलम इस स्कूल में वर्तमान में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हैं। नीलम ने वर्ष 1993 में शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं शुरू कीं। इसके बाद वर्ष 2004 से 2015 तक व्याख्याता के पद पर कार्य किया और वर्ष 2015 से विद्यालय की प्रधानाचार्य के रूप में दायित्व संभाल रही हैं। 

4 सालों में 622 से 1300 हुआ नामांकन

नीलम ने बताया कि 4 सालों में नामांकन 622 से लेकर 1300 तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि समाज ने मुझे पूरा सहयोग किया, जहां होंडा की ओर से सीएसआर फंड दिया गया। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हुआ। वहीं विद्यालय विकास समिति ने भी पूरा सहयोग किया। जहां शिक्षा के क्षेत्र में बच्चियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था, वहां अभिभावकों में एक विश्वास पैदा किया गया।

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शिक्षकों की कमी भी नहीं आई आड़े

नीलम ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी होने की वजह से वे खुद बच्चों को पढ़ाती हैं। सीएसआर फंड के जरिए स्कूल में डिजिटल लैब और स्मार्ट क्लास की स्थापना की। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से इस विद्यालय की छात्राओं ने न केवल लगातार असाधारण परिणाम हासिल किए हैं, बल्कि विभिन्न सह-शैक्षिक गतिविधियों में विशेष पहचान बनाई है।

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वैकल्पिक शिक्षक लगाए गए 

उन्होंने बताया कि स्कूल में स्टाफ की कमी के बावजूद सीएसआर फंड से वैकल्पिक शिक्षक लगाए गए, जिसका परिणाम यह रहा कि स्कूल में लगातार छात्राओं का नामांकन बढ़ता गया। बच्चियों को उनकी रुचि के तहत भी शिक्षा दी गई। उनको प्रशिक्षित किया गया। चाहे वह चित्रकला के क्षेत्र में हों, संगीत के क्षेत्र में हों या फिर खेल गतिविधियां हों। स्कूल में होने वाली सभी गतिविधियों से इनको जोड़ा गया और शिक्षा का महत्व बताते हुए आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी गई।

FAQ

Q1: नीलम यादव को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार क्यों मिला?
नीलम यादव को बालिका शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के कारण राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने मेवात में लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा और स्कूल का नामांकन बढ़ाया।
Q2: नीलम यादव का शैक्षिक सफर कैसे शुरू हुआ?
नीलम यादव ने 1993 में शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक के रूप में कार्य शुरू किया। इसके बाद 2004 से 2015 तक व्याख्याता रहीं और फिर 2015 से टपूकड़ा स्कूल की प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत हैं।
Q3: नीलम यादव ने स्कूल में कौन सी नई पहलें कीं?
नीलम यादव ने स्कूल में डिजिटल लैब, स्मार्ट क्लास, और वैकल्पिक शिक्षकों की नियुक्ति की। उन्होंने विद्यार्थियों को खेल, संगीत और चित्रकला जैसी सह-शैक्षिक गतिविधियों में भी संलग्न किया।

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