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Photograph: (the sootr)
राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर
राजस्थान के अंता उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है। इस उपचुनाव में भाजपा में स्थानीय बनाम बाहरी को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बताया जाता है कि भाजपा यहां से माली समाज के नेता को टिकट देने के पक्ष में है, लेकिन माली समाज से दो प्रबल नेताओं की तगड़ी दावेदारी ने पार्टी को असमंजस में डाल रखा है।
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टिकट को लेकर लॉबिंग
पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी और पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन के बीच टिकट को लेकर लॉबिंग चल रही है। स्थानीय नेता व विधायक सुमन के पक्ष में हैं, तो संगठन का शीर्ष नेतृत्व प्रभुलाल सैनी के समर्थन में है।
कांग्रेस से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को टिकट मिलने के बाद भाजपा यहां से मजबूत व जिताऊ प्रत्याशी को उतारना चाहती है। साथ ही युवा नेता नरेश मीणा भी खड़े होकर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का माहौल बना रहे हैं।
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बड़े नेता पक्ष में, लेकिन अंता में विरोध
भाजपा में प्रभुलाल सैनी को बाहरी बताते हुए उनकी दावेदारी का विरोध हो रहा है। वे बूंदी जिले के रहने वाले हैं। इधर, नंदलाल सुमान बारां जिले से हैं, लेकिन बड़े नेता इनके पक्ष में नहीं हैं। इनके साथ ही युवा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भूपेंद्र सैनी और कुछ अन्य नेता भी भाजपा से टिकट मांग रहे हैं।
कोर कमेटी की बुधवार को हुई वर्चुअल मीटिंग में प्रमुख दावेदारों के नाम पर चर्चा की गई। इनमें माली समाज के नेता को टिकट दिए जाने पर सहमति बनी है। दो दावेदारों प्रभुलाल एवं नंदलाल के नाम पर गंभीर मंथन हुआ।
सहमति पर छाया कोहरा
पार्टी सूत्रों के अनुसार, दोनों के नाम की सूची दिल्ली भेज दी है। बुधवार को पांच राज्यों के उपचुनाव के उम्मीदवार की सूची तो जारी हो गई, लेकिन, राजस्थान के नाम की घोषणा नहीं हो पाई। इससे यह संशय बना हुआ है कि नामों को लेकर अभी भी सहमति नहीं बन पाई हैं। अंता में नामांकन भरने में 5 दिन बचे हैं। 21 नवंबर पर्चा भरने की अंतिम तिथि है। इसमें भी दो दिन अवकाश है। ऐसे में टिकट में देरी से कार्यकर्ता में नाराजगी है। उम्मीदवार तय नहीं होने से प्रचार और जनसंपर्क नहीं हो पा रहा है।
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राजे से मुलाकात कर चुके प्रभुलाल
अंता सीट पर मजबूत उम्मीदवार के तौर पर प्रभुलाल संगठन की पहली पसंद हैं, लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सहमति नहीं होने से नाम तय होने में मुश्किल हो रही है। बुधवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने दिकट के प्रबल दावेदार प्रभुलाल को लेकर राजे से मुलाकात की।
राजे के आवास पर तीनों नेताओं का मंथन हुआ। कड़वाहट भी दूर करने के प्रयास किए गए। प्रभुलाल पहले राजे गुट के माने जाते थे। वर्ष 2013 से 2018 की राजे सरकार में कृषि मंत्री भी रहे। बाद में उन्हेंने राजे से अलग राह पकड़ ली।
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जातिगत समीकरण में प्रभुलाल फिट
प्रभुलाल पहले भी अंता सीट से विधायक रह चुके हैं। जातिगत समीकरण के लिहाज से भी वे इस सीट पर मुफीद हैं। सबसे ज्यादा वोट भी माली समाज के हैं। पूर्व में भी वे इस सीट से विधायक रह चुके हैं। उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव हैं।
वे अब तक 6 विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इसमें से तीन में जीत और तीन में हार मिली है। अंता, उनियारा और हिंडौली सीट से विधायक रहे हैं। वहीं उनकी मजबूत पकड़ और अनुभव है।
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भजनलाल भी मिल चुके राजे से
इससे पहले 10 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ की राजे के बीच लंबी मंत्रणा हुई थी। मंगलवार को वसुंधरा राजे ने एक बयान में कहा था कि टिकट का फैसला बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और सीएम को करना है। यह भी बयान दिया कि पार्टी जो आदेश देगी, उसकी पालना का प्रयास करूंगी।
अंता सीट झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। यहां से राजे के बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं। ऐसे में उनके खिलाफ जाना आसान नहीं है। राजे की सहमति जरूरी थी। इसके बाद प्रभुलाल प्रबल दावेदार हैं।