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Jaipur. राजस्थान में अंता विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा की राजनीति में अहम कड़ी बनकर उभरी हैं। यह विधानसभा सीट झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र में आती है, जहां से वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद हैं।
अंता से प्रमोद जैन भाया को कांग्रेस का टिकट मिला है लेकिन भाजपा फिलहाल अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। माना जा रहा है कि भाजपा के टिकट चयन की प्रक्रिया में वसुंधरा राजे महत्वपूर्ण धुरी बनी हुई हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि टिकट पर उनकी सहमति के प्रयास किए जा रहे हैं। अंता उपचुनाव के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा।
वसुंधरा से मिले भजनलाल और मदन राठौड़
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने शुक्रवार रात जयपुर में पूर्व सीएम वसुंधराराजे के आवास पर जानकर उनके मुलाकात की। इस दौरान अंता सीट से पार्टी के संभावित उम्मीदवारों को लेकर बातचीत की और किसी एम पर सहमति बनाने की कोशिश की।
बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में वसुंधरा राजे से उनके पसंदीदा उम्मीदवार का नाम भी पूछा गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अंता उपचुनाव में वसुंधरा राजे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पहला बड़ा कारण यह है कि यह सीट वसुंधरा के क्षेत्र में आती है, जबकि दूसरी बड़ी वजह उपचुनाव में भाजपा की हारजीत वसुंधरा के रुख पर निर्भर करेगी।
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वसुंधरा की पसंद में बिरला का रोड़ा
दरअसल, अंता उपचुनाव में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बिरला कोटा—बूंदी लोकसभा सीट से सांसद हैं। अंता कोटा संगठन जिले का हिस्सा है। ऐसे में ओम बिरला का प्रयास है कि अंता से उनके पसंदीदा नेता को ही पार्टी उम्मीदवार बनाया जाए।
बिरला के नजदीकी लोगों का कहना है कि स्पीकर अंता से पूर्व मंत्री प्रमुदयाल सैनी को टिकट दिलाने के पक्ष में हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रभुदयाल को उस स्थिति में ही उम्मीदवार बनाया जा सकता है, जब वसुंधरा राजे की तरफ से सहमति मिले। बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे इस नाम पर सहमत नहीं है।
बिरला और वसुंधरा में 36 का आंकड़ा
हाड़ोती की भाजपा राजनीति में ओम बिरला और वसुंधरा को एक—दूसरे का विरोधी माना जाता है। इस समय दोनों दिग्गज नेता अंता उपचुनाव में अपने पसंदीदा टिकट को लेकर अड़े हुए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अंता में पूर्व सीएम वसूंधरा राजे का अधिक प्रभाव है।
अगर पार्टी टिकट चयन में बिरला की पसंद को तवज्जो देती है तो वसुंधरा के असंतुष्ट होने की स्थिति में अंता उपचुनाव को जीतना भाजपा के लिए कठिन होगा। पसंद के अनुरूप टिकट नहीं मिलने पर वसुंधरा उपचुनाव में साइलेंट हो जाएंगी। ऐसे में भाजपा को उपचुनाव में पारेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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खतरे से कम नहीं वसुंधरा की अनदेखी
पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि अगर अंता उपचुनाव में वसुंधराराजे को नजरअंदाज किया तो यह भाजपा के लिए बड़ा नुकसानदेह कदम हो सकता है। सीएम बनने की दौड़ में बाहर हो जाने के बाद से वसुंधरा भाजपा में उपेक्षित महसूस कर रही हैं। वे गाहे—बगाहे सार्वजनिक रूप से अपनी उपेक्षा को जाहिर भी कर चुकी हैं।
सूत्रों के अनुसार अगर अंता उपचुनाव में टिकट चयन में उनका ध्यान नहीं रखा तो न सिर्फ चुनाव में खतरा बनेगी, बल्कि भविष्य में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए परेशानी भी पैदा कर सकती हैं। ऐसे में अंता उपचुनाव में वसुंधरा राजे की पसंद-नापसंद का खास ध्यान रखना होगा।
नरेश मीणा की घोषणा से भाजपा अलर्टसूत्रों के अनुसार युवा नेता नरेश मीणा के अंता विधानसभा सीट से निर्दलीय खड़े होने की घोषणा के बाद भाजपा टिकट चयन में नए समीकरणों पर भी नजर रख रही है। यह सीट पूर्व भाजपा विधायक कंवर लाल मीणा के तीन साल की सजा होने के कारण रिक्त हुई है। अभी तक माना जा रहा था कि भाजपा कंवरलाल के परिवार में से उनकी पत्नी या बेटे को टिकट दे सकती है। लेकिन, नरेश मीणा के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा कंवरलाल मीणा के परिवार से किनारा कर सकती है। हालांकि, यह तब संभव होगा, जब वसुंधरा राजे इस पर अपनी मुहर लगाए, क्योंकि कंवरलाल को वसुंधरा का नजदीकी माना जाता था। अंता में मीणा समुदाय के साथ ही माली वोटरों की संख्या अधिक है। बिरला ने यहां से प्रभुलाल सैनी का नाम सुझाया है। लेकिन, यह कम संभावना दिखती है कि वसुंधरा इस नाम पर सहमत हो जाएं। तीसरे विकल्प के रूप में भाजपा किसी अन्य को टिकट दे सकती है। | |