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Jaipur. राजस्थान के जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे द्वारा तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कदम कई गड़बड़ी की शिकायतों और नियमों के उल्लंघन के बाद उठाया गया। डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ शिकायतों का सिलसिला लंबा था, जिसमें कई बार उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया और प्रशासनिक स्तर पर गड़बड़ियां कीं।
राज्यपाल ने डॉ. सिंह की शिकायतों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद, कार्रवाई की दिशा तय की जाएगी।
शिकायतों का सिलसिला और निलंबन का कारण
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे को डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ कई प्रकार की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं, जिनमें गड़बड़ियों का आरोप था। डॉ. सिंह के कार्यकाल के दौरान यह आरोप लगाए गए कि उन्होंने विश्वविद्यालय में कई महत्वपूर्ण फैसले बिना उचित प्रक्रिया के लिए। इन शिकायतों के बाद राज्यपाल ने एक्शन लिया और वीसी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
डॉ. बलराज सिंह के कार्यकाल के खत्म होने में केवल कुछ महीने रह गए थे, फिर भी उन्होंने कई ऐसे नीतिगत फैसले किए, जो विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ थे। यह साफ तौर पर विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन था।
डॉ. बलराज सिंह का कैरियर
डॉ. बलराज सिंह पहले जोधपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी रहे थे और उनकी कार्यशैली को लेकर कुछ विवाद भी उठे थे। इसके बाद, कांग्रेस शासन के दौरान उन्हें जोबनेर के कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय का वीसी नियुक्त किया गया था। अब वीसी निलंबन की कार्रवाई चर्चित है।
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किए गए विवादित फैसले
डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ सबसे बड़ी शिकायतों में से एक यह थी कि उन्होंने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बर्खास्त किया और कई कर्मचारियों के तबादले बिना किसी वैध कारण के कर दिए। यह स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय के कानून और नियमों के खिलाफ था।
राजभवन ने इस पर बयान जारी करते हुए बताया कि डॉ. सिंह ने अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग किया। यह न केवल विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करता है, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है।
कर्मचारियों के तबादलों की अनियमितताएं
आरोप है कि वीसी डॉ. बलराज सिंह ने कई कर्मचारियों के तबादले किए, लेकिन इन तबादलों में पारदर्शिता नहीं रखी और नियमों का पालन नहीं किया गया। इसके परिणामस्वरूप, कई कर्मचारियों ने प्रशासन के खिलाफ शिकायतें कीं, और यह मामला विवादों में आ गया।
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जांच कमेटी की भूमिका
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने इस मामले को गंभीरता से लिया और डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कमेटी का गठन इस बात को सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न घटित हों और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बनी रहे।
भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे?
विश्वविद्यालय के संचालन में अब राज्यपाल और उच्च अधिकारियों की ओर से किसी ठोस कदम की जरूरत है, ताकि विश्वविद्यालय में विश्वास की स्थिति बहाल की जा सके। यदि जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट में डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ और भी गंभीर आरोप लगाती है, तो संभव है कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाए।