राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी :  8 हजार स्कूलों में एक भी लेक्चरर नहीं, कई जगह उप प्राचार्यों की हो गई भरमार

राजस्थान में शिक्षक पदोन्नति के बाद, स्कूलों में उप प्राचार्यों की संख्या में असंतुलन पैदा हो गया है। अब राज्य को 45,000 और व्याख्याताओं की आवश्यकता है, ताकि शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आ सके और छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर न हो।

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Gyan Chand Patni
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Bikaner. राजस्थान शिक्षा विभाग ने दीपावली से पहले 11,838 व्याख्याताओं को उप प्राचार्य बना दिया है, लेकिन इन नियुक्तियों से प्रदेश के स्कूलों की स्थिति बिगड़ गई है। ये अब पुराने स्कूलों में ही तैनात किए गए हैं, जिससे कई स्कूलों में उप प्राचार्यों की संख्या अधिक हो गई है। कहीं तीन, कहीं पांच और कहीं सात उप प्राचार्य एक ही स्कूल में बैठते हैं, जिससे शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। यह केवल नया मामला नहीं है; मई 2025 में भी  4,100 लेक्चरर की उप प्राचार्य पद पर पदोन्नति हुई थी लेकिन उनकी काउंसलिंग अब तक नहीं हुई है।

जमीनी हालत यह है कि राज्य के लगभग 8,000 स्कूलों में किसी विषय के लेक्चरर की नियुक्ति नहीं है। खासकर, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों में सैकंड और थर्ड ग्रेड शिक्षक बारहवीं कक्षा की पढ़ाई संभाल रहे हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ा है। इस मुद्दे पर दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में वरिष्ठ पत्रकार बृजमोहन आचार्य की ​रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।

स्कूलों में उप प्राचार्यों की संख्या में वृद्धि

राज्य सरकार ने पिछले कुछ महीनों में जो पदोन्नति की है, उससे कई स्कूलों में उप प्राचार्य की  संख्या अत्यधिक बढ़ गई है। एक ही स्कूल में कई उप प्राचार्यों की तैनाती से विद्यालयों में कामकाजी असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। शिक्षक अब पुराने दायित्वों से अलग हटकर केवल प्रशासनिक कार्यों में उलझे हुए हैं, जिससे छात्र-शिक्षक संबंध और शिक्षण प्रक्रिया पर असर पड़ रहा है। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में उपप्राचार्य तो बहुत हो गए हैं, लेकिन लेक्चरर की भारी कमी है। इससे राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

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विभिन्न जिलों में उप प्राचार्यों की स्थिति

चौहटन: एक स्कूल में चार व्याख्याताओं को उप प्राचार्य बना दिया गया है। यहां तीन उप प्राचार्य अपनी पुरानी जगह पर कार्यरत हैं।

बीकानेर (दयानंद मार्ग): चार विषयों के व्याख्याता उप प्राचार्य बने, लेकिन वे वहीं तैनात हैं। स्कूल में पहले से एक उप प्राचार्य कार्यरत था।

बाड़मेर (गांधी चौक): पांच व्याख्याता उप प्राचार्य बने, लेकिन उन्हें भी पुराने स्कूल में ही रहकर काम करने का आदेश दिया गया है।

राज्य में शिक्षकों की भारी कमी

राज्य में पदोन्नति के बाद व्याख्याताओं के 11,838 पद खाली हो गए हैं। इससे पहले भी 16,828 पद रिक्त थे। इसके अलावा, राज्य सरकार ने तीन वर्षों में लगभग 6,000 स्कूलों को क्रमोन्नत किया, लेकिन इन स्कूलों के लिए करीब 18,000 व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं किए गए। इस प्रकार, अब राज्य में कुल 45,000 व्याख्याताओं की आवश्यकता है, ताकि राज्य की शिक्षण व्यवस्था को सही दिशा में चलाया जा सके और राजस्थान के सरकारी स्कूल पटरी पर आ सकें।

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वेतनमान बढ़ा, लेकिन कार्यक्षेत्र में बदलाव नहीं

पदोन्नति के बाद, इन व्याख्याताओं का वेतन अब उप प्राचार्य स्तर का हो गया है। हालांकि, यह वेतन वृद्धि केवल कागजों तक ही सीमित रही, क्योंकि शिक्षक अब भी अपने पुराने स्कूलों में ही कार्य कर रहे हैं और उन्हें नए दायित्व या स्कूल नहीं सौंपे गए हैं। इस प्रक्रिया में केवल वेतनमान बढ़ा है, लेकिन कार्यक्षेत्र में कोई बदलाव नहीं आया।

शिक्षकों की मांग 

राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ (रेस्टा) के प्रदेश प्रवक्ता बसंत ज्याणी ने बताया कि हर बार शिक्षा विभाग पदोन्नति कर देता है, लेकिन काउंसलिंग नहीं कराता। इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी रहती है और जहां शिक्षक पहले से मौजूद हैं, वहां और भीड़ बढ़ जाती है। उनका कहना है कि इस बार भी यही स्थिति बनी है, जिससे विद्यालयों की शिक्षण प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। शिक्षक संघों का कहना है कि यदि विभाग समय पर काउंसलिंग आयोजित करता, तो यह असंतुलन नहीं पैदा होता। वे यह भी सुझाव दे रहे हैं कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां नए शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

FAQ

1. राजस्थान में उप प्राचार्यों की संख्या क्यों बढ़ी है?
राज्य सरकार ने हाल ही में 11,838 व्याख्याताओं को उप प्राचार्य पदोन्नति दी है, जिससे कई स्कूलों में उप प्राचार्यों की संख्या बढ़ गई है।
2. पदोन्नति के बाद शिक्षकों के लिए क्या बदलाव हुए हैं?
पदोन्नति के बाद शिक्षकों का वेतन उप प्राचार्य स्तर का हो गया है, लेकिन वे अभी भी पुराने स्कूलों में कार्यरत हैं और उन्हें नए दायित्व नहीं सौंपे गए हैं।
3. राज्य में कितने शिक्षक पद खाली हैं?
राज्य में कुल 45,000 व्याख्याताओं की आवश्यकता है, क्योंकि पहले से ही 16,828 पद रिक्त थे और 11,838 पद पदोन्नति के बाद खाली हो गए हैं।
4. काउंसलिंग क्यों नहीं हुई है?
शिक्षक संघों का कहना है कि हर बार पदोन्नति तो हो जाती है, लेकिन काउंसलिंग का आयोजन नहीं किया जाता, जिससे स्कूलों में असंतुलन पैदा हो जाता है।
5. इस स्थिति का छात्रों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ा है?
मध्यम और उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ा है। कई स्कूलों में सैकंड और थर्ड ग्रेड शिक्षक ही बारहवीं तक की कक्षाएं संभाल रहे हैं।



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