पीएम दे रहे एक पेड़ मां के नाम लगाने का नारा, राजस्थान में सोलर कंपनियों ने काट डाली 26 लाख से अधिक खेजड़ी

पश्चिमी राजस्थान के लोगों का कहना है कि सोलर कंपनियों ने हमारी धरोहर पेड़-पौधे, तालाब, गोचर, ओरण, चारागाह भूमि सब कुछ छीन लिया। हमें ऐसा विकास नहीं चाहिए, जो आने वाली पीढ़ियों की बर्बादी की वजह बने।

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Amit Baijnath Garg
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राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर

एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक पेड़ मां के नाम लगाने का नारा दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को खत्म करने का अभियान चल रहा है। पश्चिमी राजस्थान में ग्रीन एनर्जी के नाम पर खेजड़ी व दूसरे पेड़ों की बलि ली जा रही है। सालों साल पुराने बड़े-बड़े पेड़ों को मशीनों के जरिए धराशायी कर दिया गया।   

राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने लाखों बीघा कृषि भूमि सोलर कंपनियों को सस्ती दरों पर बांटी। एक दशक से भी अधिक समय में कंपनियों ने सोलर पैनल लगाने के लिए एक अनुमान के मुताबिक 26 लाख खेजड़ी व दूसरे पेड़ों को काटा डाला। पेड़ों से अधिक रेगिस्तानी झाड़ियों को नष्ट कर दिया। अब भी पेड़ों की कटाई जारी है। खेजड़ी राज्य वृक्ष है और पेड़ काटने पर प्रतिबंध है, लेकिन कानून में नाममात्र के जुर्माने की सजा के कारण कंपनियों को कोई डर नहीं है। जनता का विरोध न सरकार को दिख रहा है और ना ही प्रशासन को।  

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पश्चिमी राजस्थान में खेजड़ी कटाई बना बड़ा मुद्दा

खेजड़ी पेड़ों की कटाई के विरोध में अब पश्चिमी राजस्थान में आंदोलन होने लगा है। लाखों पेड़ों की बलि लेने के बाद जब गांव के गांव पेड़ विहीन होने लगे और दूसरे गांवों में भी सोलर कंपनियों के कारिंदे पेड़ काटने पहुंचने लगे तो लोगों ने विरोध शुरू किया। बीकानेर से शुरू हुआ यह विरोध आंदोलन अब जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर तक फैल गया है। लोगों ने संगठित होकर विरोध करना शुरू कर दिया है, जिसके चलते प्रशासन भी सावचेत हो गया है। जनता के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सांसद और विधायक सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाने लगे हैं। 

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कड़ा कानून ला सकती है सरकार

सीकर सांसद अमराराम और जैससमेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल लोकसभा में पेड़ों की कटाई के मामले को उठा चुके हैं, तो राजस्थान विधानसभा में भी जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर से कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय विधायक भी पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने एवं कटाई को रोकने के लिए सख्त कानून की मांग कर रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, फलौदी जैसे सरहदी जिलों में पेड़ कटाई एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। केंद्र सरकार के मंत्रियों और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, वन मंत्री समेत अन्य मंत्रियों को भी जागरूक संगठनों के पदाधिकारी अपनी बात पहुंचा चुके हैं। चर्चा है कि सरकार सोलर पैनल के नाम पर पेड़ों की कटाई नहीं करने को लेकर गंभीर है और कड़े कानून बनाने में लगी हुई है। 

अमृता देवी का साहस, 363 ने दे दी जान

राजस्थान के जोधपुर में खेजड़ली गांव में खेजड़ी को बचाने के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है। 12 सितंबर, 1730 को खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में 83 गांवों के 363 लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। बताया जाता है कि जोधपुर के महाराजा अभय सिंह के महल निर्माण के लिए लकड़ी की जरूरत को देखते हुए खेजड़ी के पेड़ काटने के आदेश का बिश्नोई समुदाय ने विरोध किया और पेड़ों को बचाने के लिए 363 लोग पेड़ों से चिपक गए। कुल्हाड़ी के वार वे शहीद हो गए, लेकिन पेड़ों को कटने नहीं दिया।

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ग्रीन एनर्जी के नाम 26 लाख पेड़ों की बलि 

आरोप है कि सरकार लाखों बीघा भूमि सोलर कंपनियों को दे रही है, लेकिन कंपनियों से वहां लगे हुए पेड़ों को सुरक्षा नहीं ले रही है। नतीजा सोलर पैनल लगाने के नाम पर पश्चिमी राजस्थान के जिलों में रोजाना पेड़ों की बलि ली जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, सोलर कंपनियों को अब तक ढाई लाख बीघा भूमि आवंटित की गई है, जिनमें बड़ी संख्या में गोचर, चारागाह, ओरण, जलाशय क्षेत्र की जमीन भी है। बताया जाता है कि सोलर कंपनियां अब तक अनुमानित 26 लाख पेड़ काट चुकी हैं। 

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होता जा रहा है सफाया

सालों-साल से जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, फलौदी आदि जिलों में खेजड़ी के लाखों पेड़ हैं। इसके अलावा देसी-विदेशी बबूल, रोहिड़ा, जाल, नीम के भी पेड़ हैं। ढाई लाख बीघा कृषि भूमि में ये पेड़ लगे हुए थे, जिनका सफाया हो चुका है। भविष्य में भी राजस्थान सरकार सोलर पार्क और सोलर प्रोजेक्ट को लेकर लाखों बीघा कृषि भूमि देने को तैयार बैठी है। पेड़ों की बलि लेने से स्थानीय पशुओं जैसे ऊंट, भेड़, बकरी और दूसरे जानवरों के सामने चारे का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। वहीं इन पेड़ों की पत्तियां खाद के काम आती थीं और टहनियां ईंधन के रूप में। पेड़ों पर लगने वाली सांगरी से किसानों की आय होती थी, जो अब बंद होने लगी है।

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पेड़ कटाई से रेगिस्तान में पारा चढ़ा

लाखों पेड़ों के कटने से पर्यावरण पर भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है। जीव रक्षा संस्था बीकानेर के जिलाध्यक्ष मोखराम धराणियां का कहना है कि बीकानेर संभाग में सोलर व विंड प्रोजेक्टों के कारण जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर स्थिति में है। पेड़ों के कटने से तापमान में दो से पांच डिग्री बढ़ोतरी हो गई है। जमीनों को समतल कर देने से जलाशय खत्म हो गए और बरसाती नदी-नालों के मार्ग बंद हो गए हैं। इससे पशुधन के साथ किसानों को पानी का संकट गहराने लगा है। बहुत से जीव जंतु जैसे सांप, चूहे, बिल्ली समेत अन्य जीव भी खत्म होने लगे हैं। पेड़ों के साथ घोंसले खत्म हो गए। तारबंदी से हिरण, चिंकारे खत्म हो रहे हैं। शिकार बढ़ रहे हैं। चारा व पानी नहीं मिलने से पशु एवं पक्षी मर रहे हैं।

रेगिस्तान में और होगी पानी की कमी

मोखराम के अनुसार, कंपनियां बड़े-बड़े बोरवेल लगा रही हैं, जिससे पहले से गंभीर भूजल से जूझ रहे रेगिस्तान में पानी की कमी भी होने वाली है। सोलर प्लेटों को धोने और साफ करने के लिए रोज लाखों लीटर पानी जमीन से निकाला जा रहा है। यहीं नहीं, राज्य पशु ऊंट व दूसरे जानवरों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है। पहले से ही किसान ऊंटों के पालन करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। अब पेड़ नहीं रहेंगे तो किसान व पशुपालक ऊंटों को पालने से बचेंगे। 

एक अधिकारी कहते हैं कि सरकार आगे भी बड़े पैमाने पर सोलर प्लांट लगाने जा रही है। करीब 5 लाख बीघा जमीन दी जाएगी। अगर पेड़ों को बचाने की पॉलिसी नहीं बनी और पेड़ों को कटने से नहीं बचाया, तो भविष्य में 38 लाख पेड़ कटेंगे। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। पेड़ों को बचाने के लिये जोधपुर हाईकोर्ट में भी याचिका लगी हुई है। पिछली तारीख में वन विभाग से पेड़ो की कटाई की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने पर 15 अक्टूबर को बीकानेर कलेक्टर को तलब किया है और अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट देने को कहा है। 

दुनिया में ऑक्सी जोन में निवेश, राजस्थान में खात्मा 

पर्यावरणविदों का कहना है कि दुनियाभर में ऑक्सी जोन के लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं और काम हो रहे हैं, लेकिन राजस्थान में पेड़ों की कटाई करके ऑक्सी जोन को खत्म किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस.ए. बोबडे की खंडपीठ की ओर से बनाई गई विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आकलन को आधार मानें तो राजस्थान में पेड़ों की कटाई से 1,800 अरब रुपए से भी ज्यादा का नुकसान हो चुका है। समिति ने एक पेड़ का एक साल का आर्थिक मूल्य 74,500 रुपए माना है। यह कीमत पेड़ से पैदा होने वाले ऑक्सीजन, लकड़ी, ईंधन, फल, पत्तियों और दूसरे लाभों पर आधारित थी। समिति ने यह भी माना कि पेड़ जितना पुराना होगा, उसकी कीमत उतनी ही बढ़ जाएगी। इस लिहाज से 26 लाख पेड़ काटे जाने से करीब 1,862 अरब रुपए का नुकसान हो चुका है।

खेजड़ी काटना अपराध, लेकिन सजा में मामूली जुर्माना 

खेजड़ी को राजस्थान में राज्य वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है। इसे काटना कानूनी अपराध माना गया है। राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1965 और राजस्थान वन अधिनियम, 1953 के तहत खेजड़ी को काटना प्रतिबंधित है। कानून तो बन गया, लेकिन सजा के प्रावधान नहीं हैं। मामूली जुर्माने के नियम हैं। मात्र 50 से 100 रुपए का जुर्माना भरकर इस अपराध से मुक्त हो सकते हैं। 

कानून पुराना होने के कारण जुर्माना भी बहुत कम है, लेकिन अब इसमें संशोधन करके खेजड़ी व दूसरे पेड़ों को काटने को लेकर कठोर कानून की मांग उठने लगी है। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा कहते हैं कि खेजड़ी को बचाने और सोलर कंपनियों को जबावदेह बनाने के लिए हम सख्त कानून ला रहे हैं। ड्राफ्ट कैबिनेट बेठक में रखा जा चुका है, लेकिन कानून को सख्त बनाने के लिए इस ड्राफ्ट को दोबारा विभाग के पास भेजा गया है। जल्द ही इसे फिर से कैबिनेट बैठक में पेश कर दिया जाएगा।

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पेड़ों से मिलने वाली 25 करोड़ लीटर ऑक्सीजन खत्म 

सोलर कंपनियों के कारण पेड़ों की कटाई से पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचा है। यह बात बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी एवं बिट्स रांची की रिमोट सेंसिंग विभाग की प्रो. ऋचा शर्मा की स्टडी में सामने आई है। प्रो. छंगाणी एवं बिट्स और प्रो. ऋचा ने अपनी रिसर्च में माना है कि सोलर प्लांट लगाने के कारण 26 लाख पेड़ काट दिए गए। 40 लाख झाड़ियां भी नष्ट कर दी गईं। एक पेड़ एक साल में 1200 किलोलीटर ऑक्सीजन देता है। 26 लाख पेड़ हर साल 25 करोड़ किलोलीटर ऑक्सीजन देते थे, जो कटाई के बाद अब नहीं मिल रही है। इससे तापमान बढ़ने लगा है। चारे एवं पानी का संकट भी होने लगा। पेड़ और झाड़ियों के कटने से इनके सहारे जीवनयापन करने वाले जीव-जंतु और पक्षी भी संकट में हैं।

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तीन से चार डिग्री बढ़ गया पारा

पेड़ काटने और प्लांट लगने के चलते पारे में तीन से चार डिग्री का इजाफा हो गया है। पश्चिमी राजस्थान में बारिश नहीं होने का यही बड़ा कारण है। जीव रक्षा संस्था के महासचिव रामकिशन डेलू का कहना है कि इस क्षेत्र से खेजड़ी ही नहीं, बल्कि दूसरे पेड़ और वनस्पति भी बड़ी संख्या में काटी गई। इसके चलते रेगिस्तान के छोटे जीव भी खत्म हो गए। वहीं बीकानेर जिले में लूणकरणसर के जयप्रकाश गहलोत का कहना है कि सोलर कंपनियों से भले ही सरकार को बिजली मिल रही है। अरबों-खरबों रुपए का राजस्व मिल रहा है, लेकिन हमें महाविनाश के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा है। सोलर कंपनियों ने हमारी धरोहर पेड़-पौधे, तालाब, गोचर, ओरण, चारागाह भूमि सब कुछ छीन लिया। हमें ऐसा विकास नहीं चाहिए, जो आने वाली पीढ़ियों की बर्बादी की वजह बने।

FAQ

1. राजस्थान में खेजड़ी पेड़ों की कटाई क्यों हो रही है?
सोलर कंपनियों को भूमि आवंटित करने के कारण, सोलर पैनल लगाने के लिए हजारों पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है।
2. खेजड़ी पेड़ों की कटाई से क्या प्रभाव पड़ा है?
खेजड़ी पेड़ों की कटाई से पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो गया है, जैसे तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, और पशुधन को चारे की कमी।
3. सरकार पेड़ों की कटाई को लेकर क्या कदम उठा रही है?
राज्य सरकार सख्त कानून बनाने पर विचार कर रही है, ताकि खेजड़ी और अन्य महत्वपूर्ण पेड़ों की कटाई को रोका जा सके।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भाजपा कांग्रेस राजस्थान विधानसभा सीकर सांसद अमराराम सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल बीकानेर जोधपुर बाड़मेर जैसलमेर पर्यावरण सुप्रीम कोर्ट कैबिनेट बैठक सोलर प्लांट महाविनाश खेजड़ी राजस्थान
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