सोलर-विंड प्लांट के लिए मिली सस्ती जमीनें, फिर भी कंपनियों ने नहीं लगाए प्रोजेक्ट

राजस्थान सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सस्ती दरों पर सरकारी जमीनें दे रही है, लेकिन कई कंपनियां सोलर और विंड प्रोजेक्ट्स में रुचि नहीं दिखा रही हैं।

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Nitin Kumar Bhal
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राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर

Jaipur .राजस्थान सरकार ग्रीन एनर्जी (Green Energy) को बढ़ावा देने के लिए दिन-रात एक कर रही है। कंपनियों को सस्ती दरों पर सरकारी जमीनें दे रही हैं। उचित दरों पर बिजली खरीद के समझौते कर रही हैं तो टैक्स में छूट समेत अन्य कई तरह की रियायतें भी दे रही है। इसके बावजूद बहुत सी कंपनियां एमओयू करने के बाद भी राजस्थान में सोलर-विंड प्रोजेक्ट लगाने में रुचि नहीं दिखा रही है। ऐसे में सरकार भी विकासकर्ता कंपनियों से समझौते निरस्त कर रही हैं और जमीनों का आवंटन खत्म कर रही है। बहुत सी कंपनियों ने प्रोजेक्ट नहीं करने के चलते जमीनें सरेण्डर भी कर दी है। ऐसी कंपनियों के पीछे हटने से प्रदेश के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को धक्का लग रहा है। 

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धरातल पर नहीं आए प्रोजेक्ट

जिनकी जमीन निरस्त हुई है और जिन्होंने जमीनें सरेण्डर कर दी है, उनमें कई नामी गिरामी कंपनियां भी है। इन कंपनियों ने पहले तो राजस्थान सरकार के निवेश कार्यक्रमों के तहत बड़े-बड़े एमओयू किए। सरकार से हजारों-लाखों कृषि भूमि सस्ती दरों पर प्राप्त की। बिजली खरीद, टैक्स में छूट समेत अन्य रियायतें भी प्राप्त की, लेकिन धरातल पर प्रोजेक्ट शुरु करने की बात आई तो बहुत सी कंपनियां तय समझौते से पीछे हट गई। 
नतीजा सरकार को भी जमीन आवंटन निरस्त करने पड़े। कंपनियों के पीछे हटने से राजस्थान सौर ऊर्जा के तय लक्ष्य पूरे नहीं कर पा रहे हैं और ना ही राजस्थान बिजली खरीद की जरुरतों को पूरा कर पा रहे हैं।

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सौ से अधिक कंपनियों के जमीन आवंटन निरस्त

राजस्थान में सौर व पवन ऊर्जा के संयंत्र लगाने के लिए अब तक सैकड़ों कंपनियां राजस्थान सरकार से एमओयू कर चुकी है। बहुत से प्रोजेक्ट चल रहे हैं। लेकिन करीब 122 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने सरकार से जमीनें लेने के बाद भी प्रोजेक्ट शुरु नहीं किए और ना ही तय समय पर प्रोजेक्ट शुरु होने पर जमीनें सरेण्डर की। 
 प्रोजेक्ट नहीं लगाने वाली कंपनियों को सरकार ने नोटिस दिए। फिर भी प्रोजेक्ट नहीं लगाए तो सरकार ने सख्ती दिखाते हुए ऐसी कंपनियों के जमीन आवंटन निरस्त कर दिए। कुछ कंपनियों ने सरकार के नोटिस के बाद जमीनें सरेण्डर कर दी थी। इनमें गुजरात की सुजलोन एनर्जी लिमिटेड कंपनी भी थी, जिसने आधा दर्जन स्थानों पर सोलर व विंड प्रोजेक्ट के लिए हजारों बीघा तो ले ली, लेकिन प्रोजेक्ट शुरु नहीं कर पाए थे। 

अक्षय ऊर्जा के प्लांट स्थापित करने में राजस्थान देश में सबसे आगे हैं। प्रदेश में विंड और सोलर एनर्जी के प्लांट्स की क्षमता 21.6 मेगावाट की है। छतों पर सोलर यानी सोलर रूफटॉफ से 853 मेगावट बिजली उत्पादन के साथ राजस्थान की देश में दूसरी रैंक है। राजस्थान में अभी 23,650 मेगावाट बिजली बनाने के प्रोजेक्ट अंडर कंस्ट्रक्शन हैं। राजस्थान का वर्ष 2025 तक 37.5 मेगावाट क्षमता के प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य है। जोधपुर जिले के गांव भला में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क है। पार्क की दीवार की लंबाई नापी जाए तो ये करीब 200 किमी लंबी होगी। जहां 300 से ज्यादा सुरक्षा गार्ड चौबीस घंटे चौकसी करते हैं।

इन कंपनियों की जमीनें वापस ली

जमीनें निरस्त होने वाली कंपनियों में अडाणी ग्रुप, सुजलोन ग्रुप, सुरजान, इनकॉर्न, वेसटास, विश विंड, तनोट, रिन्यूबल जैसे कंपनियां है। जिन्होंने बड़ी बड़ी जमीनें तो ली, लेकिन बाद में इनकी जमीनें निरस्त हो गई। कईयों ने जमीनें सरेण्डर की। 122 में से 93 कंपनियों ने विंड प्रोजेक्ट के एमओयू किए थे तो 29 कंपनियों ने सोलर प्रोजेक्ट लगाने के लिए जमीनें ली थी। एक दशक के दौरान उक्त कंपनियों को यह जमीनें दी गई और प्रोजेक्ट नहीं शुरु करने पर जमीन आवंटन भी रद्द कर दिए गए। विधानसभा में  एक विधायक के सवाल पर सरकार ने जमीन आवंटन और निरस्त जमीन की जानकारी दी है।

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7511 मेगावॉट के प्रोजेक्ट हुए निरस्त

जिन 122 कंपनियों की जमीनें निरस्त की है, उन्होंने राजस्थान में करीब 7511 मेगावॉट के सोलर व विंड प्रोजेक्ट लगाने के एमओयू किए थे। 122 कम्पनियों में से सबसे ज्यादा सुजलोन एनर्जी, विश विंड, इनकॉर्न, वेसटास कंपनियों ने बड़े प्रोजेक्ट बताते हुए बड़ी जमीनें प्राप्त की, लेकिन बाद में प्रोजेक्ट भी शुरु नहीं किए। करीब 8859 हेक्टेयर यानी 1 लाख 15 हजार से भी अधिक बीघा कृषि भूमि इन्हें आवंटित की गई। ये प्रोजेक्ट शुरु हो जाते हैं तो राज्य सरकार को हजारों करोड़ों रुपयों का निवेश मिलता, वहीं बिजली संकट दूर होता। हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलते।

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सौर ऊर्जा क्या है

  • क्या है सौर ऊर्जा?

    • सौर ऊर्जा, सूर्य से प्राप्त विकिरण (प्रकाश और ऊष्मा) ऊर्जा है।

    • इसे सौर पैनलों या अन्य तकनीकों के माध्यम से बिजली या तापीय ऊर्जा (गर्मी) में बदला जाता है।

    • यह एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो प्रदूषण कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करता है।

  • सौर ऊर्जा कैसे काम करती है?

    • फोटोवोल्टिक (PV) प्रभाव: सौर पैनलों में मौजूद फोटोवोल्टिक सेल सूर्य के प्रकाश को सीधे बिजली में बदलते हैं।

    • फोटोथर्मल ऊर्जा: सौर संग्राहक सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित करते हैं और इस ऊर्जा का उपयोग पानी या हवा को गर्म करने के लिए किया जाता है।

  • सौर ऊर्जा के लाभ

    • नवीकरणीय और प्रचुर स्रोत: सूर्य एक असीमित ऊर्जा स्रोत है, और सौर ऊर्जा एक अक्षय ऊर्जा है।

    • स्वच्छ ऊर्जा: इसका उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता, जिससे प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण को लाभ होता है।

    • ऊर्जा सुरक्षा: सौर ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करती है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा बढ़ती है।

    • आर्थिक लाभ: यह रोजगार उत्पन्न करती है और कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाती है।

  • सौर ऊर्जा के उपयोग

    • बिजली उत्पादन: सौर पैनलों से उत्पन्न बिजली घरों, व्यवसायों और औद्योगिक इकाइयों को आपूर्ति की जाती है।

    • पानी गर्म करना: सौर तापीय प्रणालियाँ पानी को गर्म करने के लिए सूर्य की गर्मी का उपयोग करती हैं।

    • अन्य उपयोग: सौर ऊर्जा का उपयोग खाना पकाने, इमारतों को गर्म करने और विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी किया जा सकता है।

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2950 मेगावाट के लिए चार प्रोजेक्ट को मंजूरी

राजस्थान में भजन लाल सरकार भी पिछली सरकारों की तरह सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में लगी हुई है। रिसर्जेंट राजस्थान में सौर ऊर्जा में निवेश के बड़े समझौते हुए हैं। एक साल पहले सरकार ने बीकानेर और फलौदी में 2950 मेगावाट के चार सोलर पार्कों की घोषणा करते हुए इन्हें जमीन आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। बीकानेर में 2450 मेगावाट के 3 सोलर पार्कों के लिए राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी को 4780 हेक्टेयर जमीन आवंटन को मंजूरी दी गई है। बीकानेर जिले में एक-एक हजार मेगावाट के दो और 450 मेगावाट का एक सोलर पार्क स्थापित होगा। इसी तरह 500 मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए फलोदी की बाप तहसील में 910 हेक्टेयर जमीन आवंटन को मंजूरी दी है। चारों सोलर पार्के के लिए 1 लाख 50 हजार करोड रुपए के एमओयू किए गए।

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FAQ

1. राजस्थान में सोलर और विंड प्रोजेक्ट्स में देरी क्यों हो रही है?
कई कंपनियां समझौतों के बावजूद निर्धारित समय पर प्रोजेक्ट्स को लागू नहीं कर रही हैं, जिससे परियोजनाओं में देरी हो रही है।
2. राजस्थान सरकार ने किन कंपनियों के समझौतों को निरस्त किया है?
राजस्थान सरकार ने अडानी ग्रुप, सुजलोन एनर्जी, इनकॉर्न और वेसटास जैसी कंपनियों के समझौतों को निरस्त किया है।
3. क्या इन कंपनियों की परियोजनाओं से राज्य को नुकसान हुआ है?
जी हां, इन परियोजनाओं के लागू नहीं होने से राज्य को ऊर्जा संकट और निवेश के नुकसान का सामना करना पड़ा है।
4. राजस्थान सरकार अब कौन सी नई परियोजनाएं शुरू कर रही है?
राजस्थान सरकार ने बीकानेर और फलौदी में 2950 मेगावाट क्षमता के चार सोलर पार्कों की घोषणा की है।
5. राजस्थान के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में कितना निवेश हुआ है?
राजस्थान के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अब तक बड़े निवेश हुए हैं, जिनसे राज्य की ऊर्जा क्षमता में वृद्धि हो रही है।

सौर ऊर्जा क्या है रिसर्जेंट राजस्थान सुजलोन एनर्जी अडाणी ग्रुप राजस्थान सरकार green energy
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