वसुंधरा राजे के बयान से बढ़ी सियासी हलचल, जानें क्या बोलीं राजस्थान की पूर्व सीएम

वसुंधरा राजे ने अपनी हालिया टिप्पणी में अंदरूनी चर्बी को लेकर बात की, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। TheSootr में जानें इसके सियासी मायने।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाल ही में एक पुस्तक विमोचन समारोह में एक दिलचस्प बयान दिया। उन्होंने कहा, "कई लोग बाहर से पतले दिखते हैं, लेकिन उनमें अंदरूनी चर्बी है, जो सबसे ज्यादा खतरनाक है।" यह बयान डॉ. अबरीश मित्तल की पुस्तक 'द वेट लॉस रिवोल्यूशन' (The Weight Loss Revolution) के विमोचन अवसर पर दिया गया था। राजे के इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में कई चर्चाओं को जन्म दिया। कुछ लोग इसे उनके अंदर छुपे आक्रोश के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक सामान्य स्वास्थ्य संबंधी टिप्पणी मानते हैं। उनके शब्दों में क्या कोई गहरा राजनीतिक संदेश छुपा था? क्या यह बयान उनकी पार्टी और राजनीतिक विरोधियों के प्रति एक संकेत था? इन सवालों पर चर्चा शुरू हो गई है।

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वसुंधरा राजे के बयान के सियासी मायने

वसुंधरा राजे के बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कई लोग यह मानते हैं कि यह बयान राजनीति से जुड़ा हुआ है, खासकर राजस्थान की सियासत को लेकर। पिछले साल राजस्थान में हुए उपचुनावों के नतीजों के बाद, राजे ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट डाला था, जिसमें उन्होंने एक तस्वीर साझा की और लिखा था, "बादल कुछ देर तो सूरज को अदृश्य कर सकते हैं, पर सूर्य की दमक को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं।" इस पोस्ट को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषकों ने यह अनुमान लगाया था कि राजे ने बिना किसी का नाम लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है।

राजे के इस पोस्ट को लेकर यह कहा गया था कि यह बयान पार्टी के भीतर के खींचतान और उपचुनाव परिणामों पर उनकी प्रतिक्रिया थी। यही नहीं, राजे के अन्य बयान, जैसे कि महाराणा प्रताप की प्रतिमा अनावरण समारोह में दिया गया वक्तव्य भी चर्चा का विषय बन चुका है।

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पहले भी साध चुकीं विरोधियों पर निशाना

नवंबर 2024 में महाराणा प्रताप की प्रतिमा अनावरण समारोह में वसुंधरा राजे ने एक और बयान दिया। मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा, "आजकल लोग पीठ में छुरा घोंपने में माहिर हैं। सांप को चाहे कितना ही प्रेम कर लो, वह अपने स्वभाव के अनुरूप कभी न कभी आप पर जहर उगलेगा ही।" हालांकि, यह बयान राजे ने महाराणा प्रताप के शौर्य और विश्वासघात के संदर्भ में दिया था, लेकिन इसे राजनीतिक हलकों में समकालीन नेताओं पर निशाना के रूप में देखा गया।

राजे के इस बयान ने एक बार फिर पार्टी के भीतर के समीकरणों और नेतृत्व की भूमिका पर बहस छेड़ दी। उनका यह बयान इस ओर इशारा कर रहा था कि पार्टी में विश्वासघात और धोखे की स्थिति बनी हुई है, जिससे राजे के अंदर के राजनीतिक आक्रोश का संकेत मिलता है।

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वसुंधरा राजे का प्रभाव और राजस्थान भाजपा में नेतृत्व की स्थिति

वसुंधरा राजे का राजनीतिक कद हमेशा से बड़ा रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पार्टी के भीतर उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच खींचतान देखने को मिली है। वसुंधरा राजे का बयान, जिसमें उन्होंने 'बादल' और 'सूर्य' का उदाहरण दिया था, पार्टी के भीतर के विवादों को लेकर एक प्रतीक बन गया है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान राजे ने पार्टी के भीतर बढ़ती तनाव और नेतृत्व को लेकर अपने विचार व्यक्त करने के लिए दिया था।

वसुंधरा राजे की राजनीतिक यात्रा में एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने राजस्थान में भाजपा का चेहरा माने जाने वाले नेता के रूप में पहचान बनाई। हालांकि, पार्टी के भीतर की समीकरणों ने उनके रास्ते में कई अड़चनें खड़ी कीं। उनका यह बयान इस बात का संकेत हो सकता है कि वे अभी भी अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए सक्रिय हैं।

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वसुंधरा राजे कौन हैं?

  • राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का राजनीतिक और सामाजिक परिचय बहुत मजबूत है।

  • 8 मार्च 1953 को उनका जन्म मुंबई में हुआ था और उनका संबंध ग्वालियर के पूर्व राजघराने से है।

  • वे जीवाजी राव सिंधिया और विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं।

  • वसुंधरा ने प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और बाद में सोफिया कॉलेज, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स और साइंस में ग्रेजुएशन किया।

  • 17 नवंबर 1972 को उनकी शादी धौलपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य हेमंत सिंह से हुई।

  • वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह, राजस्थान के झालावाड़ से लोकसभा सदस्य हैं।

  • वे मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया की बहन हैं, जबकि उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री रह चुकी हैं।

  • 1984 में उन्होंने मध्यप्रदेश के भिड़ लोकसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णदेव सिंह से 88 हजार वोटों से हार गईं।

  • उसी वर्ष उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया और भाजपा युवा मोर्चा राजस्थान की उपाध्यक्ष बनाया गया।

  • 1985-87 के बीच वे भाजपा युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष रहीं, फिर 1987 में राजस्थान प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष बनीं।

  • 1998-99 में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में उन्हें विदेश राज्यमंत्री बनाया गया।

  • 1999 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार मिला और भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद राजस्थान भाजपा की अध्यक्ष भी बनीं।

  • 2003 में पहली बार वे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं, जो इस पद पर बैठने वाली पहली महिला थीं।

  • 2013 में वे फिर से राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं।

राजे के राजनीतिक संघर्ष और भाजपा के भीतर उनके समर्थक

राजे के समर्थकों का मानना है कि उन्होंने हमेशा पार्टी के हित में काम किया है, लेकिन उन्हें पार्टी के भीतर उन शक्तियों का विरोध करना पड़ा जो उनके प्रभाव को चुनौती देती थीं। राजे ने अपनी सत्ता के दौरान कई अहम निर्णय लिए, जो राजस्थान के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित करते रहे। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या पार्टी उनके नेतृत्व को फिर से स्वीकार करेगी या नहीं।

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वसुंधरा राजे और उनकी सियासी छवि

पूर्व CM वसुंधरा राजे की सियासी छवि हमेशा से मजबूत रही है, लेकिन उनके द्वारा दिए गए बयान और राजनीतिक पोस्टों ने उनके व्यक्तित्व और उनकी छवि को एक नया मोड़ दिया है। उनका यह कहना कि "बादल सूरज को तो कुछ समय के लिए ढक सकते हैं, लेकिन सूरज की चमक को रोकने का सामर्थ्य उनमें नहीं है" कई बार पार्टी की अंदरूनी खींचतान और नेतृत्व पर संकेत देता है। उनके बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में बहस जारी है। 

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FAQ

1. वसुंधरा राजे के "बाहर से पतले, अंदर से चर्बी" बयान का क्या मतलब था?
वसुंधरा राजे ने यह बयान स्वास्थ्य से जुड़ी एक सामान्य बात के रूप में दिया, लेकिन इसे राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। यह बयान उनके विरोधियों और पार्टी के भीतर की स्थिति को लेकर संकेत हो सकता है।
2. वसुंधरा राजे के "बादल और सूरज" वाले ट्वीट का क्या मतलब था?
यह ट्वीट वसुंधरा राजे ने पार्टी के भीतर के संघर्ष और अपनी स्थिति को लेकर किया था। उनका कहना था कि भले ही कुछ लोग उन्हें दबाने की कोशिश करें, लेकिन वे कभी भी प्रभावी नहीं हो सकते।
3. क्या वसुंधरा राजे के बयान राजनीतिक कारणों से थे?
जी हां, वसुंधरा राजे के बयान को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है, क्योंकि इन बयानों के बाद पार्टी के भीतर उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच चर्चा तेज हो गई है।
4. वसुंधरा राजे ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा अनावरण समारोह में क्या कहा था?
वसुंधरा राजे ने समारोह में कहा था, "आजकल लोग पीठ में छुरा घोंपने में माहिर हैं," जो राजनीतिक हलकों में एक निशाना के रूप में लिया गया था।
5. वसुंधरा राजे के राजनीतिक करियर में किस प्रकार के संघर्ष रहे हैं?
वसुंधरा राजे के राजनीतिक करियर में हमेशा से पार्टी के भीतर विभिन्न शक्तियों के बीच संघर्ष रहे हैं। उनके बयान और पोस्ट इस संघर्ष को प्रदर्शित करते हैं।
5. वसुंधरा राजे के राजनीतिक करियर में किस प्रकार के संघर्ष रहे हैं?
वसुंधरा राजे के राजनीतिक करियर में हमेशा से पार्टी के भीतर विभिन्न शक्तियों के बीच संघर्ष रहे हैं। उनके बयान और पोस्ट इस संघर्ष को प्रदर्शित करते हैं।

वसुंधरा राजे कौन हैं वसुंधरा राजे का बयान राजस्थान भाजपा पूर्व CM वसुंधरा राजे वसुंधरा राजे
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