राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराध, NCRB रिपोर्ट 2023 में बढ़े POCSO के 70% मामले

NCRB 2023 के अनुसार, राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 70% वृद्धि दर्ज हुई है। Thesootr prime में जानें कैसे रिपोर्टिंग, पॉक्सो कानून और सामाजिक कारकों ने इस बदलाव को प्रभावित किया।

author-image
CHAKRESH
New Update
Crime against Child in Rajasthan NCRB Report 2023 POCSO case
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Thesootr prime : राजस्थान, अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में एक चिंताजनक तस्वीर बार‑बार सुर्खियों में आ रही है - राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराधों में तेज वृद्धि। एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के 2023 के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान, असम और केरल जैसे राज्यों में इस श्रेणी के मामलों में चिंताजनक उछाल आया है।

आइए पहले राजस्थान में बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों पर नजर डालते हैं…

  • जयपुर में अप्रैल 2025 में 13 वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म व हत्या का मामला उजागर हुआ। जिसमें बालिका की पहचान छुपाते हुए पुलिस ने 2 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की।
  • भीलवाड़ा जिले के एक सरकारी स्कूल में, 11 वर्षीय छात्रा स्कूल आने के बाद लापता हो गई, और बाद में उसका शव मिला। मामले में रेप व हत्या के आरोप में शिक्षक और प्रिंसिपल पर संदेह था।
  • जून 2025, अलवर जिले में 7 वर्षीय बच्चे का अपहरण, फिरौती और बाद में हत्या। अभियुक्त परिवार का ही पाया गया।
  • सितंबर 2025 में, भारतपुर के सरकारी अस्पताल में दवा घोटाले के चलते दो बच्चों की संदिग्ध मौत।

2023 के आंकड़ों में बच्चों से अपराध: राजस्थान में 70% उछाल

राजस्थान में बाल अपराध के मामले में 2018 से 2022 के बीच, जहां राजस्थान में हर साल औसतन 6,200 मामले दर्ज हुए, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 10,500 से अधिक हो गई - लगभग 70% की वृद्धि। यह वृद्धि भारत के औसतन 25% की दर से कहीं अधिक है।
राजस्थान जैसे बड़े राज्य के लिए यह एक गंभीर संकेत है, लेकिन विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह केवल अपराध बढ़ने का नहीं, बल्कि रिपोर्टिंग के अधिक सटीक और सक्रिय होने का नतीजा भी हो सकता है।

2024‑25 के ताज़ा आंकड़े और केस

राजस्थान पुलिस और NCRB के अनुसार, जनवरी से जून 2025 के बीच बाल अपराधों में निरंतर वृद्धि रही है।
POCSO एक्ट के तहत मामले: 1,631

बाल अपहरण/किडनीपिंग: 500+ अनुमानित

साइबर‑क्राइम में बच्चों को निशाना बनाने के मामले: 400% वृद्धि

53% मामलों में ही चार्जशीट दाखिल, 186 फर्जी केस, 700+ जांच लंबित

NCRB Report 2023: राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान, असम और केरल जैसे राज्यों में इस श्रेणी के मामलों में सबसे ज्यादा उछाल दर्ज हुआ है।

अपहरण और व्यपहरण के आंकड़े

2023 में बच्चों के अपहरण के मामलों का हिस्सा कुल बाल अपराधों में 54% से ज्यादा रहा। अक्सर ये मामले पारिवारिक विवाद, नाबालिग लड़कियों को प्रेम‑प्रसंग के बहाने ले जाना, या बाल श्रम से जुड़े रहे हैं। इसका मतलब यह है कि राज्य में हर दो में से एक मामला बच्चों के अपहरण से जुड़ा है।

पॉक्सो कानून ने बदली रिपोर्टिंग की तस्वीर

राजस्थान में यौन अपराधों (POCSO एक्ट राजस्थान) से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम (POCSO Act, 2012) के तहत मामलों के वर्गीकरण में बड़ा बदलाव हुआ है।

2018 से पहले कई मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की सामान्य धारा 376 (बलात्कार) के तहत दर्ज किए जाते थे। लेकिन अब इन्हें सही श्रेणी - POCSO की धाराओं 4 और 6 - में दर्ज किया जा रहा है।

इस बदलाव ने न केवल कानूनी स्पष्टता बढ़ाई, बल्कि बच्चों से जुड़े अपराधों की वास्तविक तस्वीर भी सामने आई है। 2022 में जहां ऐसे मामलों की संख्या लगभग 2,700 थी, वहीं 2023 में यह बढ़कर 3,500 से अधिक हो गई।

बढ़ गए अपहरण के मामले

राजस्थान में बच्चों के अपहरण से जुड़े मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है।
2023 में बच्चों के खिलाफ कुल अपराधों में से इन अपराधों की हिस्सेदारी 54% से अधिक रही।
इसका अर्थ है कि हर दो में से एक मामला अपहरण से जुड़ा था।
इसके पीछे पारिवारिक विवाद, बाल श्रम और नाबालिग लड़कियों को प्रेम‑प्रसंग के बहाने बहलाकर ले जाने के मामले प्रमुख रूप से सामने आए हैं।

क्या अपराध बढ़े हैं या रिपोर्टिंग?

यह सवाल नीतिगत विमर्श का केंद्र है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों के विरुद्ध अपराधों में दर्ज मामलों की बढ़ोतरी का अर्थ हमेशा अपराधों में बढ़ोतरी नहीं होती।
पुलिस रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल में सुधार, POCSO जैसे कानूनों की सख्त लागू व्यवस्था, और जागरूकता‑अभियानों से भी आंकड़े ऊपर जा सकते हैं।
यह भी महत्वपूर्ण है कि समाज अब ऐसे मामलों को दबाने के बजाय रिपोर्ट करने की ओर झुक रहा है, जो एक सकारात्मक संकेत है।

राजस्थान में आगे क्या?

राज्य सरकार ने हाल में बाल संरक्षण इकाइयों को मजबूत करने, तेज‑तर्रार अदालतें (Fast Track Courts) बढ़ाने और साइबर‑सुरक्षा इकाइयों को संवेदनशील बनाने की दिशा में काम शुरू किया है।
सिविल सोसाइटी संगठन भी ग्रामीण इलाकों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार अभियान चला रहे हैं।
हालांकि, केवल कानून ही नहीं, सामाजिक सोच में बदलाव ही इन अपराधों के स्थायी समाधान की कुंजी है।

रिफ्रेंश:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) रिपोर्ट 2023
राजस्थान पुलिस अपराध वार्षिकी 2023
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार

ये भी पढ़ें...

18वीं लोकसभा बन गई अब तक की सबसे बुजुर्ग संसद, युवा नेता 10 प्रतिशत से भी कम

Thesootr Prime: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- मानहानि कानून के मामले अब गैर-आपराधिक बनें

Thesootr prime: गिग इकोनॉमी- OTP Please, नए जमाने के मजदूरों की कहानी

Thesootr Prime : कपास आयात शुल्क हटने से किसान संकट में, जानें खेत से बाजार तक की पूरी कहानी

NCRB Report 2023 POCSO एक्ट राजस्थान राजस्थान में बाल अपराध Thesootr Prime
Advertisment