राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी बिल्डिंगों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर उठाए सवाल : "ट्रोमा सेंटर तो नया बना है, कहीं आग, कहीं छत गिर रही है"

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों और बिल्डिंगों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। ट्रोमा सेंटर में लगी आग और झालावाड़ स्कूल हादसे ने प्रदेश में सरकारी इमारतों की जर्जर स्थिति को उजागर किया।

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Gyan Chand Patni
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Jaipur. राजस्थान हाईकोर्ट ने एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर में लगी आग को लेकर सरकार के भवनों के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर गंभीर सवाल उठाए। जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की खंडपीठ, झालावाड़ जिले के पिपलोदी स्कूल हादसा संबंधित स्वप्रेरित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान अदालत ने सरकारी बिल्डिंगों के खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर और इनसे जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को लेकर कड़ी टिप्पणी की। 

क्या हो रहा है सरकारी बिल्डिंगों में

Fire in SMS Hospital राज्य की राजधानी जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में हुए अग्निकांड ने सरकार की निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी बिल्डिंगों का इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना कमजोर हो गया है कि जहां एक ओर आग लग रही है, वहीं दूसरी ओर छतें गिर रही हैं। अदालत ने यह भी कहा कि एसएमएस का ट्रोमा सेंटर तो नया बना था, फिर भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं, यह चिंता का विषय है।

सरकार से रोडमैप की मांग

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जर्जर स्कूलों के सुधार के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा अदालत में पेश किया। हालांकि, अदालत सरकार की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं दिखी। जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन ने सरकार से रोडमैप पेश करने को कहा।

अदालत ने सरकार से स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया कि वह 9 अक्टूबर तक जर्जर स्कूलों के सुधार के लिए खर्च की गई राशि, भविष्य में होने वाले खर्च और पूरी प्रक्रिया का रोडमैप पेश करें। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार निर्धारित समय तक रोडमैप प्रस्तुत नहीं करती है, तो मुख्य सचिव को स्पष्टीकरण के लिए बुलाया जाएगा।

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झालावाड़ स्कूल हादसा 

करीब दो महीने पहले, 25 जुलाई को झालावाड़ जिले के पिपलोदी स्कूल में एक दुखद हादसा हुआ था। इस हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई थी। घटना उस वक्त घटी जब बच्चे क्लास रूम में बैठे थे और अचानक कमरे की छत गिर गई। इस दुर्घटना में 35 बच्चों में से कई दब गए थे।

हाईकोर्ट का स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

इस हादसे के बाद राजस्थान हाईकोर्ट के दो न्यायधीशों ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था। अदालत ने इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर लिया और सुनवाई शुरू कर दी। अदालत ने सरकारी स्कूलों और उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई और सुधार की दिशा में कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया।

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सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति

राजस्थान राज्य के सरकारी स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर वर्षों से उपेक्षित पड़ा है, जिससे न केवल बच्चों की सुरक्षा पर खतरा है, बल्कि उनके शैक्षिक अनुभव भी प्रभावित हो रहे हैं। झंझट और जर्जर इमारतों की स्थिति ने बच्चों के लिए खतरा पैदा किया है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार को एक ठोस और प्रभावी योजना की आवश्यकता है।

राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम

सरकार ने जर्जर स्कूलों को सुधारने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन इन प्रयासों की गति बहुत धीमी रही है। उच्च न्यायालय ने अब राज्य सरकार से यह स्पष्ट रोडमैप देने को कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूलों के निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से और उचित तरीके से किए जाएं।

जर्जर स्थिति उजागर

हाईकोर्ट का यह आदेश शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की जर्जर स्थिति को उजागर करता है। जहां एक ओर सरकारी इमारतों और स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधरने की बजाय बिगड़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार से सुधार के स्पष्ट और कड़े कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।

FAQ

1. हाईकोर्ट ने सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर क्या सवाल उठाए?
हाईकोर्ट ने सरकारी बिल्डिंगों के खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर सवाल उठाए, जैसे कि आग लगने की घटनाएं और छतों का गिरना।
2. राज्य सरकार से अदालत ने क्या कहा है?
अदालत ने राज्य सरकार से जर्जर स्कूलों पर खर्च की गई राशि, भविष्य में होने वाले खर्च और सुधार की प्रक्रिया का रोडमैप 9 अक्टूबर तक पेश करने को कहा है।
3. झालावाड़ स्कूल हादसा क्या था?
झालावाड़ जिले के पिपलोदी स्कूल में 25 जुलाई को छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई थी और कई अन्य बच्चे घायल हो गए थे।
4. हाईकोर्ट ने इस मामले में किस प्रकार का कदम उठाया?
हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर लिया, ताकि सरकारी स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सुधार हो सके।

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