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Jaipur. राजस्थान में राज्य सरकार की बिजली निगमों द्वारा लागू किए गए नए टैरिफ आदेश ने प्रदेश के विभिन्न उपभोक्ताओं पर महत्वपूर्ण असर डाला है। इसका सबसे बड़ा असर मध्यम वर्ग और बड़े उद्योगों पर पड़ा है।
घरेलू उपभोक्ताओं के के लिए एक ओर 15 पैसे प्रति यूनिट बिजली सस्ती हुई है, वहीं दूसरी ओर स्थायी शुल्क में 350 रुपए की वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप, 400 यूनिट बिजली खपत करने वाले औसत मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं का बिजली बिल 490 रुपए तक बढ़ सकता है।
मध्यम वर्ग पर बिजली बिल का बढ़ता दबाव
राज्य के सरकारी बिजली निगमों द्वारा जारी किए गए नए टैरिफ आदेश का सबसे ज्यादा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ा है, जिनकी मासिक खपत 300 से यूनिट से ज्यादा है। पहले 400 यूनिट खपत पर 7.65 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिल आता था, लेकिन अब यह दर घटाकर 7 रुपए प्रति यूनिट कर दी गई है, यानी 65 पैसे प्रति यूनिट की राहत मिली है। इसके बावजूद बिल ज्यादा आएगा क्योंकि स्थाई शुल्क बढ़ गया है।
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बढ़ा स्थायी शुल्क
प्रति यूनिट दर में राहत के बावजूद, स्थायी शुल्क में 350 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। पहले यह शुल्क 450 रुपए था, जो अब बढ़कर 800 रुपए हो गया है। इसके अलावा, एक रुपए प्रति यूनिट रेगुलेटरी सरचार्ज भी बढ़ा दिया गया है, जिससे बिजली बिल में करीब 490 रुपए का इजाफा होगा। राजस्थान में नए बिजली टैरिफ आदेश के बाद राजस्थान में मध्यम वर्ग का बिजली बिल बढ़ा।
नए टैरिफ के तहत मध्यम वर्ग और उद्योगों की स्थितिराजस्थान सरकार द्वारा लागू किए गए नए टैरिफ आदेशों से विभिन्न उपभोक्ताओं की स्थिति बदल गई है। जबकि मध्यम वर्ग को 15 पैसे प्रति यूनिट बिजली सस्ती मिली है, वहीं स्थायी शुल्क और रेगुलेटरी सरचार्ज की बढ़ोतरी ने उनके बिजली बिल में इजाफा कर दिया है। इसके अलावा, उद्योगों को भी लोड फैक्टर की छूट खत्म होने और स्थायी शुल्क की बढ़ोतरी के कारण बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। | |
बड़े उद्योगों पर दोहरी मार
नए टैरिफ के तहत, बड़े उद्योगों पर भी बड़ा असर पड़ा है। स्टील और आयरन उद्योगों का कहना है कि पहले उनके लिए 7.30 रुपए प्रति यूनिट के आधार पर रेट निर्धारित था, जो अब घटकर 6.30 रुपए प्रति यूनिट हो गया है। हालांकि, रेगुलेटरी सरचार्ज के रूप में फ्यूल सरचार्ज 28 पैसे बढ़ाकर एक रुपए प्रति यूनिट कर दिया गया है। इस बदलाव से छोटे उद्योगों को प्रति यूनिट 60 पैसे महंगी बिजली मिलेगी।
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लोड फैक्टर पर दी जाने वाली छूट का अंत
बड़े उद्योगों के लिए, लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट भी अब समाप्त कर दी गई है। पहले, यदि किसी बड़े उद्योग ने लोड फैक्टर 50 प्रतिशत रखा था तो उसे प्रति यूनिट एक रुपए की छूट मिलती थी। अब यह छूट पूरी तरह से खत्म कर दी गई है, जिससे इन उद्योगों को ज्यादा महंगी बिजली मिलेगी। इस तरह राजस्थान की बिजली कंपनियां राजस्थान में उद्योगों का बिजली बिल बढ़ा रही हैं।
स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी और उद्योगों के लिए नई चुनौती
नए टैरिफ में स्थायी शुल्क को भी बढ़ा दिया गया है। पहले यह शुल्क 300 रुपए प्रति केवीए था, जो अब बढ़कर 380 रुपए ये प्रति केवीए हो गया है। इसका सीधा असर उन उद्योगों पर पड़ेगा जो इंडक्शन फर्नेस का इस्तेमाल करते हैं। स्टील बनाने वाली इंडस्ट्रीज को अब प्रति यूनिट सवा रुपए महंगी बिजली मिलेगी, जो इन उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती है।