बांसियाल में 4500 साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता के अवशेष, प्राचीन घरों की संरचना-वास्तुकला की झलक

राजस्थान के झुंझुनूं के बांसियाल गांव में इतिहासकारों को 4500 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जो हड़प्पा सभ्यता से जुड़े व्यापारिक संबंधों और प्राचीन वास्तुकला को दर्शाते हैं। इस प्राचीन सभ्यता की खोज से कई रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान के झुंझुनूं जिले के बांसियाल गांव में हाल ही में हुई खुदाई में 4500 साल पुरानी सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं, जो इतिहास के एक नए अध्याय को खोलते हैं। इन अवशेषों में तांबे की रिंग, हड्डी से बने औजार, आभूषण, सेमी-प्रेशियस स्टोन के मनके और मृद्भांड जैसे कई प्राचीन वस्त्र शामिल हैं। यह खोज इस क्षेत्र में एक उन्नत और संगठित जीवन शैली के अस्तित्व का प्रमाण देती हैं।

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व्यापारिक संबंध के संकेत

बांसियाल में मिली इन प्राचीन वस्तुओं से यह संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र के निवासी हड़प्पा सभ्यता के साथ व्यापारिक संबंध रखते थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किए गए इस उत्खनन से पता चला है कि बांसियाल का यह स्थल ताम्र-पाषाणिक संस्कृति से जुड़ा हुआ है और यह हड़प्पा सभ्यता के समय से भी संबंधित है।

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गणेश्वर सभ्यता की कड़ी

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह स्थल प्रारंभिक अंतर-सांस्कृतिक संपर्कों का प्रमुख केंद्र था, जो गणेश्वर सभ्यता की कड़ी के रूप में भी देखा जा सकता है। इस खोज से यह भी साबित होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग व्यापार और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए दूर-दूर के क्षेत्रों के साथ संपर्क बनाए रखते थे।

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घरेलू संरचनाओं के प्रमाण

बांसियाल में किए गए उत्खनन में पहली बार बस्ती के भीतर घरेलू संरचनाओं के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि यहां एक कुटी (झोपड़ी) की संरचना, उससे जुड़ा प्लेटफॉर्म, और मिट्टी के बर्तनों पर बने हैंडल पाए गए हैं। यह खोज प्राचीन घरेलू वास्तुकला को समझने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

वस्त्र बनाने में तांबे का उपयोग

इसके अलावा, यहां के लोग तांबे का उपयोग वस्त्र बनाने में करते थे। हड्डी के औजार का इस्तेमाल करते थे और मनकों व आभूषणों का निर्माण करते थे। यह संरचनाएं इस बात का संकेत देती हैं कि उस समय के लोग व्यवस्थित रूप से बने कच्चे-पक्के घरों में रहते थे, जो जीवन की उन्नति और विकास को दर्शाती हैं।

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योगदान और भविष्य की उम्मीदें

यह उत्खनन राजस्थान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि यहां से मिली खोजों ने प्राचीन सभ्यताओं को समझने के दृष्टिकोण को नया आयाम दिया है। डॉ. ईशा प्रसाद और डॉ. श्वेता सिन्हा देशपांडे के अनुसार, इस स्थान पर घरेलू संरचनाओं के पाए जाने से यह सिद्ध होता है कि बांसियाल के लोग न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध थे, बल्कि उनकी सामाजिक संरचना भी बहुत व्यवस्थित थी।

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अध्ययन में प्रदान करेगी नई दिशा 

इतिहासकारों का मानना है कि बांसियाल की यह खोज राजस्थान की प्राचीन सभ्यताओं के अध्ययन में एक नई दिशा प्रदान करेगी। आने वाले समय में यहां और भी महत्वपूर्ण खोजें सामने आने की संभावना जताई जा रही है। इसके बाद हई रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रमुख जानकारी 

स्थान : बांसियाल, झुंझुनूं जिला, राजस्थान
अवशेष : तांबे की रिंग, हड्डी से बने औजार, आभूषण, मृद्भांड
ताम्र-पाषाणिक संस्कृति : हड़प्पा सभ्यता से व्यापारिक संबंध
गहरे संकेत : घरेलू संरचनाओं और व्यापारिक संपर्कों के संकेत

राजस्थान इतिहास उत्खनन झुंझुनूं हड़प्पा सभ्यता
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