26/11 हमले के नायक सुनील जोधा : अलवर के जांबाज सैनिक को राजस्थान सरकार से नहीं मिला सम्मान

26/11 हमले में राजस्थान के अलवर के जांबाज सैनिक सुनील जोधा ने दिखाया था अदम्य साहस। कमांडो जोधा को महाराष्ट्र से सम्मान मिला, लेकिन राजस्थान सरकार ने उनकी वीरता को नजरअंदाज किया। आज तक प्रदेश सरकार ने नहीं किया सम्मानित।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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सुनील जैन @ अलवर

मुंबई के ताज होटल पर 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले में राजस्थान के अलवर जिले के निवासी जांबाज कमांडो सुनील जोधा ने अपनी जान की परवाह किए बिना कई लोगों की जान बचाई। इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुए जोधा आज भी अपने सीने में एक गोली दफन किए हुए हैं। 

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प्रदेश ने नहीं किया सम्मान

वे अब भी इस साहसिक कार्य के लिए सम्मान की उम्मीद रखते हैं, लेकिन उन्हें अपनी ही राज्य सरकार से सम्मान की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दी। हालांकि महाराष्ट्र सरकार और बॉलीवुड ने उनके अदम्य साहस को सराहा है, लेकिन राजस्थान सरकार ने कभी भी उनकी कड़ी मेहनत और बलिदान को मान्यता नहीं दी।

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26/11 हमले का दर्दनाक अनुभव

26 नवंबर, 2008 को हुए हमले के दौरान जोधा एनएसजी कमांडो ऑपरेशन का हिस्सा थे। उन्होंने ताज होटल में फंसे हुए करीब 40 लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। हमले के दौरान उन्हें 8 गोलियां लगी थीं। इनमें से सात गोलियां निकाली जा चुकी हैं। एक गोली आज भी उनके दिल के पास दबी हुई है। इस दर्द के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार आतंकवादियों से लोहा लेते रहे।

पुरस्कार और सम्मान

जोधा की वीरता और साहस को सलाम करते हुए उन्हें 2009 में गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके बाद 23 नवंबर, 2025 को मुंबई में आयोजित समारोह में उन्हें ग्लोबल पीस हॉनर्स से सम्मानित किया गया। इस समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान और अन्य नामी हस्तियों ने जोधा को उनके साहस और संघर्ष के लिए सम्मानित किया।

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घायल होते हुए भी मुकाबला किया

26/11 की सुबह जब कमांडो टीम ताज होटल में घुसी, तो जोधा और उनके साथियों ने आतंकवादियों से डटकर मुकाबला किया। जब वे होटल की दूसरी मंजिल पर पहुंचे, तो बिजली चली गई और पूरे फ्लोर में अंधेरा छा गया। बावजूद इसके, जोधा ने नाइट विजन डिवाइस का उपयोग कर एक कमरे का दरवाजा तोड़ा, जहां दो आतंकवादी छिपे हुए थे। इस मुठभेड़ में उन्हें 8 गोलियां लगीं, जिनमें से एक गोली अब भी उनके शरीर में मौजूद है।

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7 दिन बाद होश आया

हमले के बाद जोधा को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां वे 7 दिन बाद होश में आए। उस दौरान उन्होंने खुद को स्थिर रखने का प्रयास किया, ताकि आतंकवादी यह समझें कि वे मर चुके हैं। इस साहसिकता ने उन्हें न केवल उनके मिशन का हिस्सा बनने का मौका दिया, बल्कि भारत में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की मिसाल भी पेश की।

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राज्य सरकार से अपेक्षित सम्मान

हालांकि जोधा को महाराष्ट्र सरकार और बॉलीवुड के सितारों से सम्मान मिल चुका है, लेकिन उनकी अपनी राज्य सरकार ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया है। वह चाहते हैं कि राजस्थान सरकार उनके योगदान को समझे और उन्हें सम्मान दे। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिलकर इस मुद्दे पर बात करेंगे और सम्मान की उम्मीद बनाए रखेंगे।

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