28 दिन बाद रूस से अलवर आया स्टूडेंट का शव, पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा, गांव में हुआ अंतिम संस्कार

राजस्थान के अलवर के एमबीबीएस स्टूडेंट का शव 28 दिन बाद रूस से घर आया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया। गांव में हुआ अंतिम संस्कार। परिजनों ने लगाया मर्डर का आरोप। उच्च स्तरीय जांच की मांग।

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Rakesh Kumar Sharma
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ajit alwar

Photograph: (the sootr)

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Alwar. रूस में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे राजस्थान के अलवर निवासी एमबीबीएस स्टूडेंट का शव 28 दिन बाद आया। सोमवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द किया। सोमवार को ही अलवर के लक्ष्मणगढ़ के कफनवाड़ा गांव में अंतिम संस्कार किया गया। 

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पहले दिल्ली, फिर अलवर

सोमवार सुबह रूस से एमबीबीएस स्टूडेंट अजीत चौधरी का शव दिल्ली आया और वहां से शव अलवर जिला हॉस्पिटल में रखवाया गया। अजीत 19 अक्टूबर को रूस के ऊफा शहर में लापता हो गया था। 6 नवंबर को उसका शव व्हाइट रिवर से लगते बांध में मिला था। 14 नवंबर को रूस में पोस्टमॉर्टम हुआ था। सोमवार को शव अलवर पहुंचा। रूस से दिल्ली तक शव लाने की प्रक्रिया में 28 दिन लग गए।

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फूट पड़ी सबकी रुलाई

अजीत का शव सुबह करीब 4 बजकर 5 मिनट पर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचा। सुबह लगभग 9 बजे शव को दिल्ली से अलवर जिला अस्पताल लाया गया। परिजनों की मांग पर अलवर जिला अस्पताल में भी मेडिकल बोर्ड बनाकर पोस्टमार्टम किया गया। शव जैसे ही गांव पहुंचा तो मां, बहन, पिता समेत सगे-संबंधियों और परिचितों की रुलाई फूट पड़ी।

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मां का हाल बेहाल

बेटे का शव देखकर मां का रो-रोकर बुरा हाल था। जब से बेटे की मौत की खबर सुनी, तब से मां ने खाना-पीना छोड़ सा रखा है। रिश्तेदार बमुश्किल कुछ खिला पा रहे थे। बेटे को याद करके वह बार-बार रोती रहती थी। काफी कमजोर होने से तबीयत भी नासाज है। बेटे की मौत के बाद घर में खाना भी नहीं बना है।

दो सप्ताह तक लापता रहा

अजीत की मौत से हर कोई सदमे में है। खासकर उनके परिजन। अजीत का परिवार खेती किसानी करता है। उनके पिता धर्म सिंह का कहना है कि बेटा अजीत रूस के ऊफा शहर में बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी मेडिकल में थर्ड ईयर का स्टूडेंट था। 19 अक्टूबर को उससे अच्छे से बात हुई थी। 

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बेटे को दोस्त ने बुलाया

उस दिन बेटा कह रहा था कि दोस्त ने उसे बुलाया है। वह उसके पास जा रहा है। दोस्त से मिलने गया, लेकिन उसके बाद पता नहीं चला। वह न तो कॉलेज आया और ना ही उसके बारे में पता चल पाया। बाद में हमें बताया गया कि अजीत के कपड़े और जूते नदी के किनारे मिले हैं। 18 दिन बाद उसका शव मिला।

हमारे बेटे का मर्डर किया

अजीत की मौत के बाद परिजनों का कहना है कि हमारे बेटे की किसी ने हत्या की है। इसकी जांच होनी चाहिए। अजीत के चाचा भोम सिंह ने कहा कि अजीत से 19 अक्टूबर को आखिरी बार बात हुई थी। जीत कसाना नामक एक छात्र ने उन्हें अजीत के लापता होने की सूचना दी। जब परिवार के लोगों के नंबर कॉलेज में थे, तो किसी अन्य छात्र ने सूचना क्यों दी। 

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बाद में शव मिलने की सूचना

6 नवंबर को शव मिलने की सूचना दी। छात्र के कपड़े उतरे हुए थे। आत्महत्या करने वाला कपड़े क्यों उतारेगा। 19 अक्टूबर से पहले पैसे भी मंगवाए थे। अजीत की हत्या की गई है। अब देखते हैं कि मेडिकल रिपोर्ट में क्या आता है। अजीत का किसी छात्र से झगड़ा भी हुआ था। हमें नहीं लगता कि हमारे बेटे ने आत्महत्या की है, हमें तो यह हत्या लग रही है।

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शव आने में देरी पर प्रदर्शन

अजीत के लापता होने के बाद न्यूयॉर्क स्थित राना के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने रूस में भारतीय दूतावास से संपर्क बनाए रखा। उन्होंने अजीत का शव ढूंढने और उसे भारत वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिवार ने भंडारी की मदद की सराहना की। शव लाने में देरी पर परिजनों और ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। विरोध प्रदर्शन भी किया। गांव में स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद रहे।

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