मेहरानगढ़ दुखांतिका : राजस्थान हाई कोर्ट करेगा 216 मौतों की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात ट्रांसफर नहीं की याचिका

राजस्थान के जोधपुर के मेहरानगढ़ दुखांतिका केस की ट्रांसफर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज। साल 2008 में हुई थी मेहरानगढ़ में 216 भक्तों की मौत। राजस्थान हाई कोर्ट ही करेगा इस मामले की सुनवाई। 17 साल बाद भी नहीं मिल पाया न्याय।

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Rakesh Kumar Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान के मेहरानगढ़ किले में माता के दर्शनों की लाइन में लगे 216 भक्तों की दर्दनाक मौत के मामले की सुनवाई राजस्थान हाई कोर्ट ही करेगी। हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को गुजरात हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका खारिज हो गई है। 

सुप्रीम कोर्ट ने मेहरानगढ़ दुखांतिका केस की ट्रांसफर याचिका को खारिज कर हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच को ही मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया है। जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ता ईश्वर प्रसाद की ओर से पेश ट्रांसफर पिटीशन में यह आदेश पारित किया।

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याचिका ट्रांसफर करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ईश्वर प्रसाद ने ट्रांसफर याचिका लगाई। उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर बेंच में लंबित जनहित याचिका को गुजरात हाई कोर्ट की अहमदाबाद पीठ में ट्रांसफर करने की मांग की थी। ट्रांसफर करने के समर्थन में उन्होंने कई आधार प्रस्तुत किए थ। 

ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं

प्रसाद ने तर्क दिया कि मेहरानगढ़ हादसे की 2011 में जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और ना ही रिपोर्ट सार्वजनिक हुई। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मामले को राजस्थान हाई कोर्ट से गुजरात हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का कोई भी आधार नहीं है।

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जसराज चोपड़ा की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं

कोर्ट के सामने रखे गए तथ्यों के अनुसार, जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में 2008 में एक जांच आयोग का गठन किया गया था, जो उसी वर्ष घटित हुई एक घटना की जांच के लिए था। रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि मई, 2011 में आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। प्रतिवादी राज्य सरकार ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार जांच रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं किया है, जो स्पष्ट निष्क्रियता को दर्शाता है।

राज्य ने दिया सहयोग का आश्वासन

राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने याचिका ट्रांसफर का विरोध करते हुए निर्देशों के आधार पर कहा कि राज्य सरकार पूर्ण सहयोग देगी। यह आश्वासन कोर्ट के रिकॉर्ड पर दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता प्रसाद ने भी कोर्ट को आश्वासन दिया कि चूंकि वे इस मामले को आगे बढ़ाने में रुचि रखते हैं, इसलिए वे रिट याचिकाओं के निपटारे में पूर्ण सहयोग करेंगे। उनकी ओर से स्थगन की मांग नहीं होगी।

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हाई कोर्ट जल्द निस्तारित करे याचिका

मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसफर याचिका को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा राजस्थान हाई कोर्ट इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगा। दोनों पक्षों के बयानों को रिकॉर्ड पर रखते समय मामले की मेरिट पर कोई विचार नहीं किया गया है। अभी तक उचित कार्रवाई नहीं होना न केवल न्याय में देरी को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही के सवाल भी उठाती है।

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भगदड़ में 216 लोगों की मौत

30 सितंबर, 2008 में जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट में चामुंडा माता के मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन भारी भीड़ उमड़ी थी। इस दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें 216 लोगों की मौत हो गई थी। यह जोधपुर के इतिहास का सबसे बड़ा दुखद हादसा था। इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने 2 अक्टूबर, 2008 को न्यायमूर्ति जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। 

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आज तक न्याय की प्रतीक्षा

आयोग ने ढाई साल तक गहन जांच की। 222 प्रभावित परिवारों और 59 अधिकारियों के बयान दर्ज किए। आयोग ने 11 मई, 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 860 पृष्ठों की अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिस पर करीब 5 करोड़ रुपए खर्च हुए। 17 साल बीत जाने के बाद भी यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है और ना ही विधानसभा में पेश की गई है। मृतकों के परिजन आज तक न्याय और जवाबदेही की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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