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Photograph: (the sootr)
सुनील जैन @ अलवर
राजस्थान के अलवर में किसानों को प्याज के भाव नहीं मिलने के कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालत यह है कि जो प्याज कभी किसानों की कर्ज मुक्ति का वरदान बना, वही आज किसानों को कर्जदार बना रहा है। मंडी में प्याज के भाव 3 रुपए से लेकर 10 रुपए किलो तक मिल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, अलवर जिले में प्याज से किसानों को करीब 400 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। किसानों ने डबल इंजन की सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
चौथाई दाम भी नहीं मिल रहे
कल तक जो प्याज देश से लेकर विदेशों तक जाता था, आज फेंका जा रहा है। कम दाम होने के कारण किसान का भाड़ा तक नहीं निकल रहा है, जिसके चलते वह प्याज को मंडी में लाने से भी बच रहा है। एक बीघा प्याज को तैयार करने में करीब 40 से 50 हजार रुपए लगते हैं, लेकिन प्याज 15,000 रुपए बीघा से ज्यादा नहीं बिक पा रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल चौथाई दाम भी नहीं मिल रहे हैं।
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स्टॉक की व्यवस्था नहीं
व्यापारी पप्पू भाई ने बताया कि मंडी में करीब 25,000 कट्टे प्याज रोजाना आ रहे हैं, लेकिन भाव 3 रुपए किलो से लेकर 10 रुपए किलो तक ही मिल पा रहा है। वहीं इस प्याज का ज्यादा स्टॉक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें नमी है। अगर सरकार कोई व्यवस्था करे, तो चार-पांच दिन तक किसान उसे मंडी में रख सकता है। अभी कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान को प्याज उसी दिन बेचना पड़ रहा है।
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निर्यात नहीं हो पा रहा
अलवर का प्याज पहले देश के साथ पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश में जाता था। पाकिस्तान तो काफी समय से प्याज नहीं जा रहा, लेकिन इस बार बांग्लादेश में भी प्याज नहीं गया। एक्सपोर्टर्स का कहना है कि दूसरे कई देशों से संबंध ठीक नहीं होने के कारण प्याज नहीं जा रहा है। निर्यात नीति के कारण भी नुकसान हो रहा है। इस साल किसानों को करीब 400 से 500 करोड़ रुपए के नुकसान का अंदेशा है।
रुलाने पर किया मजबूर
रामगढ़ के नाड़का गांव निवासी प्याज उत्पादक नवाब खान बताया कि इन दिनों प्याज की लागत भी नहीं निकल पा रही है। जहां एक बीघा में 100 कट्टे प्याज होते थे, अब 20 से 25 कट्टे ही प्याज हो रहे हैं। प्याज में इन दिनों रोग भी लगा है, जिससे प्याज खराब हुई है। वहीं उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ा है। प्याज की क्वालिटी भी बहुत डाउन दिखाई दे रही है। प्याज किसानों की प्रमुख फसल है, लेकिन इस बार किसानों को रुला रही है।
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लागत भी नहीं निकल रही
किसान मुबारक खान ने बताया कि सरकार को किसानों की सहायता करनी चाहिए। यह डबल इंजन की सरकार है, फिर भी किसान परेशान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि लागत तक नहीं निकल रही है। किसान आर्थिक दृष्टि से काफी संकट में हैं। पिछले साल दाम अच्छे मिलने के कारण किसानों ने इस बार काफी फसल बोई थी। फसल तो हुई है, लेकिन रोग के कारण क्वालिटी कमजोर है। इससे प्याज के दाम नहीं मिल पा रहे हैं। प्याज 30 से 35 रुपए किलो बिकता, तो किसानों की लागत निकल जाती।
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मजदूरी भी नहीं दी जा सकी
किथूर निवासी किसान अमीलाल ने बताया कि विगत वर्ष के भाव को देखकर मैंने तीन बीघा में प्याज बोए थे। मेरे बच्चे की शादी है और अब हालात यह हैं कि प्याज को मंडी में लाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है। मेरा प्याज करीब डेढ़ सौ रुपए मन बिका है। हम लोग पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। मेरे सामने बच्चों की शादी करने का संकट पैदा हो गया है। प्याज काटने की मजदूरी भी मजदूरों को नहीं दी जा सकी है।
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प्याज फेंकने की मजबूरी
इधर, अलवर जिले के राजगढ़ उपखंड क्षेत्र के गांव चंदपुरा स्थित एक नदी में देर रात किसान तीसरी बार प्याज पटककर चला गया, क्योंकि भाव ठीक नहीं मिले। किसान खून के आंसू रो रहा है। एक बीघा में करीब पचास हजार का खर्चा आता है, जिसकी लागत भी नहीं निकल रही है। इसके चलते किसान प्याज को फेंकने पर मजबूर है। किसानों की मजदूरी नहीं निकल रही है। वहीं सरकार की ओर से भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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