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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के बाड़मेर जिले के चौहटन थाना में तैनात डीएसपी जीवनलाल खत्री और उनके ड्राइवर हेड कॉन्स्टेबल रामूराम मेघवाल के बीच एक गंभीर विवाद सामने आया है। रामूराम मेघवाल ने डीएसपी पर थप्पड़ मारने का आरोप लगाया है, जिसके बाद यह मामला राज्य में चर्चा का विषय बन गया है। इस आरोप से जुड़ा एक ऑडियो भी सामने आया है, जिसमें रामूराम अपनी पीड़ा का बयान कर रहे हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख और सांसद हनुमान बेनीवाल तथा बाड़मेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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डीएसपी ने हेड कांस्टेबल को थप्पड़ मारा!
हेड कॉन्स्टेबल रामूराम मेघवाल ने बताया कि 11 सितंबर की रात को चौहटन डीएसपी जीवनलाल खत्री और रीडर गोपीकिशन कटारिया ने धनाऊ इलाके में एक जांच के सिलसिले में यात्रा की थी। जब वे रात को लगभग 9:30 बजे चौहटन वापस लौट रहे थे, तो डीएसपी ने दूसरे ड्राइवर को पूछते हुए गाली-गलौज शुरू कर दी। रामूराम के अनुसार, जब उन्होंने इस पर कुछ कहा, तो डीएसपी ने गाड़ी रुकवा दी और उन्हें थप्पड़ मारा।
इस बारे में बाड़मेर पुलिस अधीक्षक नरेन्द्र सिंह मीणा ने कहा कि डीएसपी और ड्राइवर के बीच में विवाद हुआ था। एएसपी को भेज कर मामला शांत करा दिया है। ड्राइवर पुलिस लाइन में जाना चाह रहा था। पूरे मामले की जांच एएसपी जसाराम बोस को दी गई है।
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हेड कांस्टेबल बोला- मेरे साथ नहीं अधिकारी
रामूराम ने कहा कि जब इस घटना की जानकारी बाड़मेर एसपी नरेंद्र सिंह मीणा को मिली, तो उन्होंने एएसपी जसाराम बोस को मौके पर भेजा। जसाराम बोस ने रामूराम से समझौता करवा लिया और राजीनामा लिखवाया। लेकिन रामूराम के अनुसार, 12 सितंबर को वह बाड़मेर एसपी के पास गए और उन्हें पूरी घटना बताई। उन्होंने कहा कि अब वह इस माहौल में काम नहीं कर सकते क्योंकि उनके अधिकारी उनके पक्ष में नहीं हैं।
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मामले में डीएसपी जीवनलाल खत्री क्या बोले?
इस पूरे मामले पर डीएसपी जीवनलाल खत्री ने अपनी सफाई दी है। उनका कहना है कि हेड कॉन्स्टेबल रामूराम गाड़ी लापरवाही से चला रहे थे, जिसके बाद उन्होंने गाड़ी रुकवा दी। इसके बाद, उन्होंने दूसरी गाड़ी मंगवाई और रामूराम को समझाया। खत्री का कहना है कि उच्चाधिकारियों के निर्देशों पर उन्होंने मामले को शांत किया और इसे समाप्त कर दिया। उनके अनुसार, अब लोग इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं और झूठे आरोप लगा रहे हैं।
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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का बयान
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख और सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर आरोप की सही जांच होनी चाहिए और दोषी को सजा दी जानी चाहिए। हनुमान बेनीवाल ने यह भी कहा कि पुलिस विभाग के अंदर इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए, जो पुलिसकर्मियों के बीच विश्वास को खत्म करें।
बाड़मेर जिले के चौहटन में वृताधिकारी के पद पर कार्यरत राजस्थान पुलिस के एक अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यरत मेघवाल समाज के एक हैड कांस्टेबल के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए उसके साथ मारपीट करने का मामला सोशल मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया,एक पुलिस अधिकारी द्वारा खुद के…
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) September 12, 2025
पुलिस अधिकारियों और अधीनस्थों के रिश्तों को लेकर सवाल
बाड़मेर पुलिस विवाद ने न केवल बाड़मेर जिले बल्कि पूरे राजस्थान में पुलिस अधिकारियों और उनके अधीनस्थों के रिश्तों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत विवाद तक सीमित नहीं रह सकता। इसमें यह प्रश्न उठता है कि क्या पुलिस विभाग में अधिकारियों द्वारा इस तरह के व्यवहार को नजरअंदाज किया जा रहा है, और क्या सही जांच प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है।
इसके अलावा, अधिकारियों के खिलाफ आरोपों के बावजूद, यदि उच्चाधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो इससे पुलिसकर्मियों का मनोबल प्रभावित हो सकता है और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ सकते हैं।
बाड़मेर जिले के चौहटन वृताधिकारी पद पर कार्यरत राजस्थान पुलिस के एक अधिकारी द्वारा ड्राइवर पद पर कार्यरत हैड कांस्टेबल रामूराम जी मेघवाल के साथ अभद्र व्यवहार, मारपीट एवं धक्का-मुक्की करना अत्यंत गंभीर व निंदनीय है।
— Ummeda Ram Beniwal (@UmmedaRamBaytu) September 13, 2025
और भी दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि दोषी अधिकारी पर कार्रवाई करने के…
राजस्थान पुलिस विभाग की छवि पर असर
पुलिस विभाग के अधिकारियों द्वारा इस तरह के आरोपों को दबाना या उनकी अनदेखी करना विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेष रूप से जब यह आरोप किसी सीनियर अधिकारी पर लगाए जाते हैं, तो यह पुलिस प्रशासन के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बनाए रखने के लिए, इस तरह के मामलों में निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई जरूरी है।
बाड़मेर जिले में हुए इस विवाद ने पुलिस विभाग के अंदर की अंदरूनी राजनीति और अधिकारियों के बीच रिश्तों को उजागर किया है। जब तक इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की जाती, तब तक यह आरोप और विवाद हवा में तैरते रहेंगे। यदि दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
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