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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र हाल ही में समाप्त हुआ, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। वहीं, जमकर हंगामा भी हुआ। इस सत्र के दौरान प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में कुछ ऐसे पहलू सामने आए, जो विधानसभा की कार्यवाही को प्रभावित करने वाले थे। कुछ विधायक सत्र में अनुपस्थित रहे, जबकि अन्य ने सत्र के दौरान सक्रिय भागीदारी दिखाई। आइए TheSootr में जानते हैं इस सत्र से जुड़ी प्रमुख घटनाओं और आंकड़ों के बारे में।
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सत्र की शुरुआत और प्रमुख घटनाएं
राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत 2025 में हुई। सत्र के दौरान अधिकांश विधायक सत्र में उपस्थित रहे, लेकिन कुछ ऐसे विधायक थे जो एक भी बार सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए। विशेष रूप से, सात विधायक ऐसे थे, जिन्होंने सदन की कार्यवाही में एक बार भी हिस्सा नहीं लिया। इसके अलावा, निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत भी मात्र एक दिन ही विधानसभा में आईं, जो कि इस सत्र की एक महत्वपूर्ण घटना थी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा नहीं पहुंचे सदन
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गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के बीच पिछले सत्र में हुआ विवाद का साया इस सत्र के दौरान भी देखा गया।। डोटासरा ने सदन में कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे और बिलों में चर्चा के लिए संशोधन प्रस्ताव भी दिए, लेकिन वह स्वयं सदन में उपस्थित नहीं हुए। उनके प्रश्नकाल में अन्य विधायकों ने उनके प्रश्न पूछे, लेकिन विधायी कार्य में चर्चा के लिए विधायकों का स्वयं उपस्थित होना आवश्यक होता है।
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भाजपा के चार विधायक भी रहे सदन से नदारद
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भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के कई विधायक इस सत्र में अनुपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से विधायक सिद्धि कुमारी, जगत सिंह, अनिता भदेल, और दीप्ति किरण माहेश्वरी शामिल थे। इन विधायकों के अनुपस्थित रहने से विपक्षी दल की कार्यवाही पर असर पड़ा।
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गहलोत-वसुंधरा ने भी नहीं लिया कार्यवाही में हिस्सा
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सत्र के दौरान राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे भी एक बार के लिए विधानसभा परिसर में तो आए, लेकिन वे कार्यवाही में भाग नहीं लिया। ये दोनों नेताओं का अनुपस्थित रहना भी इस सत्र की एक अहम घटना थी। विशेष रूप से, दोनों नेताओं का सत्र के दौरान केवल एक दिन के लिए आना और फिर कार्यवाही में हिस्सा न लेना, एक राजनीतिक संकेत माना गया।
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सिर्फ माहेश्वरी ने दी नहीं आने की सूचना
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भाजपा की विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी एकमात्र विधायक थीं जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपनी अनुपस्थिति की सूचना दी थी। हालांकि, अन्य किसी विधायक ने अपनी अनुपस्थिति के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी। भाजपा विधायक अनिता भवेल के पति लंबे समय से बीमार हैं, और वह जयपुर में भर्ती हैं, जिस कारण वह इस सत्र में शामिल नहीं हो पाईं।
हंगामे के कारण बोल नहीं पाए सवा सौ विधायक
मानसून सत्र में हंगामा इतना ज्यादा हुआ कि ज्यादातर विधायकों को बोलने का मौका ही नहीं मिला। इस सत्र के दौरान करीब 125 से अधिक विधायक ऐसे थे, जिन्हें एक भी बार सदन में बोलने का मौका नहीं मिला। विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी के मुताबिक सही डेटा निकालने में तो समय लगेगा।
राजस्थान विधानसभा में दलीय स्थिति क्या है?
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.): 118 सदस्य
कांग्रेस: 66 सदस्य
बीएपी: 04 सदस्य
बसपा: 02 सदस्य
आरएलडी: 01 सदस्य
निर्दलीय: 08 सदस्य
रिक्त: 01 सदस्य
विधानसभा सत्र में हंगामा और चर्चा का अभाव
मानसून सत्र में हंगामा इतना अधिक था कि अधिकांश विधायकों को बोलने का मौका नहीं मिला। यही कारण था कि कई मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई और कई विधायकों की आवाज विधानसभा में सुनाई नहीं दी। यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आई।