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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मांडल थाने में बजरी माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के दौरान एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई।
इस मामले में एसपी धर्मेंद्र सिंह ने शुक्रवार रात को मांडल एसएचओ विक्रम सेवावत, एएसआई नंदलाल गुर्जर और हैड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया है।
यह कार्रवाई बजरी माफिया के खिलाफ किए गए एक ऑपरेशन के दौरान जेसीबी और अन्य वाहनों को बदलने की शिकायत के बाद की गई।
मामला क्या था?
मांडल थाने में बजरी माफिया से जुड़े एक ऑपरेशन के दौरान, पुलिस ने कई वाहनों को जब्त किया था और मामला भी दर्ज किया गया था। बाद में यह आरोप सामने आया कि जो जेसीबी वाहन मौके से पकड़ी गई थी, वह थाने पहुंचते-पहुंचते बदल दी गई। जब इस मामले की शिकायत एसपी तक पहुंची, तो उन्होंने तुरंत इसकी जांच करवाने के आदेश दिए।
जेसीबी का बदलना
जांच में यह सामने आया कि जिस नई जेसीबी को मौके से जब्त किया गया था, वह थाने पहुंचते-पहुंचते पुरानी जेसीबी में बदल चुकी थी। इस संबंध में एसपी ने डीएसपी मेघा गोयल से पूरी घटना की जांच करवाई। जांच के दौरान कई दस्तावेज और ई-साक्ष्य की पड़ताल की गई और गवाहों से भी बयान लिए गए। इस प्रक्रिया में शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद एसपी ने सख्त कार्रवाई की। बजरी माफिया से पुलिस की सांठगांठ का यह मामला चिंताजनक है।
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पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल
यह पूरा मामला पुलिस विभाग की कार्यशैली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। एसपी ने इस मामले में सख्त कदम उठाए हैं और भीलवाड़ा में थानेदार सहित 3 सस्पेंड हुए हैं, जोकि न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इस मामले में एसीबी की भी जांच जारी है।
एसपी ने जांच के बाद दिए आदेश
जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद एसपी ने तुरंत मांडल थाने के एसएचओ विक्रम सेवावत, एएसआई नंदलाल गुर्जर और हैड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह को सस्पेंड करने के आदेश दिए। यह कदम बजरी माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई में पारदर्शिता और ईमानदारी की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है।
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एसीबी की कार्रवाई
बजरी माफिया के खिलाफ दो दिन पहले एक और बड़ी कार्रवाई की गई थी। मांडल थाना क्षेत्र के कोठारी नदी से अवैध खनन करने वाले माफिया के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इस दौरान थानाधिकारी द्वारा 50 हजार रुपए की अवैध मांग की गई थी। इसके बाद यह मामला एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) तक भी पहुंचा। हालांकि, एसएचओ की गैरमौजूदगी और पुलिसकर्मियों की लापरवाही के कारण एसीबी की कार्रवाई सफल नहीं हो पाई।