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Photograph: (the sootr)
Jaipur. भाजपा के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ लगभग छह महीने से अपनी मनपसंद कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने संगठन कार्यों के लिए अपनी सूची भी तैयार करके काफी समय पहले ही दिल्ली भेज रखी है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सूची को हरी झंडी नहीं दी है।
बताया जाता है कि सूची में कुछ नामों को लेकर विवाद है। विवादित नामों पर सहमति नहीं बनने के कारण सूची अटकी हुई है। सूची जारी नहीं होने से राठौड़ के समर्थकों में मायूसी है। खासकर वे नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ता, जो सवा साल से संगठनात्मक कार्यक्रमों व गतिविधियों में दिन-रात एक किए हुए हैं, प्रदेश कार्यकारिणी में अच्छे पद की आस लगाए बैठे हैं।
मीडिया में बार-बार प्रदेश अध्यक्ष से कार्यकारिणी को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। कई महीने से राठौड़ भी जल्द ही सूची आने के बयान देते आ रहे हैं। अब तो स्थिति यह हो गई है कि मीडिया ने भी कार्यकारिणी के बारे में सवाल पूछना बंद सा कर दिया है।
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पुरानी कार्यकारिणी संभाल रही कार्य
राठौड़ की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर पिछले साल जुलाई में ताजपोशी हुई थी। तब से ही राठौड़ अपनी कार्यकारिणी को लेकर लगातार मंथन करते रहे। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, वरिष्ठ सांसदों व विधायकों से राय-मशविरा करके उन्होंने अपनी टीम की सूची भी तैयार कर ली।
सूत्रों का कहना है कि इस सूची को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी भिजवा रखी है, लेकिन वहां से मंजूरी नहीं मिलने से सूची अटकी हुई है। दिल्ली भेजी गई सूची एक बार सोशल मीडिया पर भी वायरल हो चुकी है। हालांकि राठौड़ ने वायरल सूची को गलत बताते हुए इसकी जांच करवाने की बात कही थी। इस घटना को हुए दो महीने से अधिक हो गए हैं, लेकिन न तो जांच हो पाई और ना ही सूची आ पा रही है।
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आधिकारिक रूप से प्रदेशाध्यक्ष चुना
गौरतलब है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जुलाई, 2024 में पूर्व विधायक राठौड़ को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया था। फरवरी, 2025 में जिला संगठनों की नियुक्तियां करके राठौड़ को आधिकारिक रूप से पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष चुना गया। छह महीने बीतने के बावजूद भी राठौड़ अपनी नई टीम नहीं पाए हैं। पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी के कार्यकाल के दौरान बनी कार्यकारिणी ही वर्तमान में संगठन कार्य देख रही है।
बन नहीं पा रही है एकराय
राठौड़ के नजदीकी सूत्रों के अनुसार, सूची में वरिष्ठ नेताओं के तो नाम हैं, साथ ही सभी वर्ग और संभागों को प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को भी इसमें शामिल किया गया है। इसके अलावा संगठन में सक्रिय कार्यकर्ताओं को भी प्रमुख जिम्मेदारी दी गई है। सूची को मंजूरी करवाने के लिए राठौड़ कई बार दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री, प्रदेश प्रभारी समेत पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं से भी मुलाकात कर चुके हैं।
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कार्यकर्ताओं को मिले तवज्जो
पार्टी राष्ट्रीय नेतृत्व से हर बार उन्हें जल्द सूची जारी करने का आश्वासन भी मिलता है, लेकिन सूची का इंतजार लम्बा खींचता जा रहा है। सूची में जनप्रतिनिधियों जैसे सांसद व विधायकों को प्रमुख पद दिए जाने को लेकर विवाद है। जबकि पार्टी नेतृत्व का मानना है कि जनप्रतिनिधि तो पहले से ही जिम्मेदार पद पर है। ऐसे में उन नेताओं व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाए, जो लंबे समय से संगठन में कार्य कर रहे हैं और अनुभवी हैं। साथ ही साइडलाइन कर दी गई एक वरिष्ठ नेता के समर्थकों के नाम भी सूची में हैं। इसे लेकर भी विवाद है।
...तो मिल सकती है मंजूरी
सूची में हारे विधायकों के भी नाम हैं, जिन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। इसे लेकर भी सहमति नहीं बन पा रही है। बताया जाता है कि निकाय व पंचायत चुनाव को देखते हुए पार्टी नेतृत्व जिम्मेदार पदों पर संगठन में सक्रिय नेताओं व कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देना चाहता है, ताकि संगठन का कार्य मजबूती से चल सके। कुछ जिम्मेदार पदों के नामों को लेकर विवाद है। विवादित नामों को लेकर सहमति बनते ही सूची को मंजूरी मिलने की संभावना है।
हारे व जीते माननीय चाहते हैं प्रमुख पद
चर्चा है कि नई कार्यकारिणी में महासचिव, उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों के लिए विधायक व पूर्व विधायक भी लाइन में हैं। कुछ सांसद भी पद के इच्छुक हैं। वे भी जबरदस्त लॉबिंग में लगे हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कुछ वरिष्ठ नेता हार गए थे। ऐसे में वे पार्टी में अहम पद चाहते हैं, ताकि उनका रुतबा व प्रतिष्ठा कायम रह सके। वहीं जीते हुए कुछ विधायक भी प्रमुख पद पाने की दौड़ में हैं।
उनका मानना है कि मंत्री या बोर्ड में तो नंबर आने वाला नहीं है। ऐसे में प्रमुख पद प्राप्त कर लेंगे, तो प्रदेश व जिले में मजबूत आधार बना रहेगा। नेताओं व कार्यकर्ताओं में भी पकड़ रहेगी। हर कोई जिम्मेदारी का पद प्राप्त करना चाहता है। गत सवा साल से बहुत से नेता व कार्यकर्ता पार्टी प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ के आदेश को शिरोधार्य मानकर कार्य कर रहे हैं। ऐसे में राठौड़ के सामने भी सभी को सामंजस्य बिठाकर सूची तैयार करने और उसे मंजूर करवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कार्यकारिणी की सूची हो चुकी है वायरल
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के अलावा जयपुर शहर की नवीन कार्यकारिणी की सूची भी बीजेपी के सोशल मीडिया पर अपलोड होकर वायरल हो गई थी। इस सूची को लेकर बड़ा विवाद हो गया था। विवाद का कारण सूची में जिन कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनाया गया था, उनके नाम के आगे सिफारिश करने वाले विधायक, सांसद व वरिष्ठ नेताओं के नाम भी लिखे हुए थे। इस सूची के वायरल होते ही बवाल हो गया था। जिनके नाम नहीं थे, वे अपने अपने नेताओं, विधायकों को उलाहना देने लगे। जिनके नाम सूची में सामने आए, उनके विरोधी एक्टिव होकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे।
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गोयल को देना पड़ा था बयान
हालांकि विवाद के बाद जयपुर शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने अपलोड सूची को डिलीट करते हुए बयान दिया था कि यह सूची गलती से अपलोड हो गई है। इसी तरह हाल ही 16 अगस्त को भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम की एक सूची भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। सात पेज की यह सूची जैसे ही वायरल हुई वैसे ही बवाल हो गया। सूची में जिन नेताओं के नाम नहीं थे, वे पार्टी मुख्यालय पहुंचकर विरोध जताने लगे। सूची में जारी नामों को लेकर आपत्तियां भी जताई।
इंतजार करा रही सूची
बाद में राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने वायरल सूची को गलत बताया था। बयान दिया था कि राष्ट्रीय नेतृत्व से मंजूरी के बाद ही अधिकृत सूची जारी की जाएगी। सोशल मीडिया पर वायरल सूची फेक है। तब राठौड़ ने मीडिया में बयान दिया था कि नवीन कार्यकारिणी में नए पदाधिकारियों के साथ पुराने व सक्रिय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके बाद जिलों में दौरे के दौरान मीडिया कार्यकारिणी को लेकर सवाल दागते रहे है। हर बार राठौड़ जल्द सूची आने के बयान देते रहे हैं, लेकिन सूची का इंतजार लंबा होता जा रहा है।