याचिकाकर्ता का तर्क-धर्मांतरण विरोधी कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान के जयपुर की कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार का धर्मांतरण विरोधी कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

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Mukesh Sharma
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Jaipur. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना धर्मांतरण विरोधी बिल (राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025) को असंवैधानिक घोषित कर रद्ध कर दिया जाए? जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी की याचिका पर सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। 

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29 अक्टूबर से कानून लागू

याचिका में कहा गया था कि धर्मांतरण विरोधी कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और मानकों से परे है। इस बिल को बनाते समय विधायिका ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर काम किया है। यह कानून संवैधानिक सीमाओं का भी उल्लंखन करता है। प्रदेश में 29 अक्टूबर से इस कानून के प्रावधान लागू हो गए हैं। 

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धर्म परिवर्तन कराने पर कड़े प्रावधान

राजस्थान विधानसभा ने 9 सितंबर को धर्मांतरण विरोधी बिल को पास किया था। राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद 29 अक्टूबर को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई, जिसके बाद कानून के प्रावधान पूरे प्रदेश में लागू हो गए हैं। संशोधित कानून में कड़े प्रावधान किए गए हैं। सामूहिक रूप से धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं पर एक करोड़ तक का जुर्माना लगेगा। वहीं संस्थाओं के भवनों को सीज करने और तोड़ने का प्रावधान किया है।

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उल्लंघन पर बुलडोजर एक्शन

धर्म परिवर्तन करवाने वाली संस्थाओं के भवनों पर बुलडोजर एक्शन तभी होगा, जब उनमें नियमों का उल्लंघन हुआ हो या अतिक्रमण करके बनाई हो। स्थानीय निकाय और प्रशासन जांच के बाद ही बुलडोजर चलाएगा। बिल के प्रावधानों के मुताबिक, अगर किसी जगह पर सामूहिक धर्म परिवर्तन होता है, तो वहां उस संपत्ति को तोड़ा जा सकेगा। जिस भवन में सामूहिक धर्म परिवर्तन हुआ है, उसे प्रशासन जब्त करेगा।

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20 साल की सजा का प्रावधान

वहीं लव जिहाद के मामलों में 20 साल की सजा होगी। केवल धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से की गई शादी को भी रद्द करवाया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म बदलना चाहता है, तो प्रशासन की मंजूरी लेना जरूरी होगा। धर्म परिवर्तन से कम से कम 90 दिन पहले कलेक्टर या एडीएम को सूचना देनी होगी। 

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धर्म परिवर्तन अब नहीं आसान

वहीं यह भी घोषणा-पत्र देना होगा कि वह अपनी सहमति से धर्म परिवर्तन करना चाहता है। धर्म परिवर्तन कराने वाले धर्माचार्य को भी दो महीने पहले मजिस्ट्रेट के यहां नोटिस देना होगा। इसके बाद धर्म परिवर्तन की सूचना कलेक्टर, एडीएम के दफ्तर के नोटिस बोर्ड पर लगाई जाएगी। 2 महीने में आपत्तियां मांगी जाएंगी। कोई आपत्ति आने पर उसकी सुनवाई और निपटारे के बाद ही धर्म परिवर्तन हो सकेगा।

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