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Photograph: (the sootr)
Jaipur. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को जोजरी नदी में प्रदूषण के मामले पर सख्त फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जोधपुर, पाली और बालोतरा के करीब 20 लाख लोग इस प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा कोर्ट ने इस प्रदूषण के लिए राज्य सरकार की विफलता को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है।
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नदियों में गंदा पानी क्यों गिर रहा?
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की बड़ी विफलता है कि उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण अभी भी नदियों में जा रहा है।
वर्षों से मामले पर ध्यान दिए जाने के बावजूद जमीनी हालात और भी खराब हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि अब हमें सुनिश्चित करना होगा कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के आदेश के बाद इस समस्या का समाधान किया जाए।
संस्थाओं पर कार्रवाई की आवश्यकता
कोर्ट ने इस मामले में एक और महत्वपूर्ण सवाल उठाया। कोर्ट ने पूछा कि जब सभी सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) को बायपास किया जा रहा है और गंदा पानी सीधे नदियों में डाला जा रहा है, तो नगरपालिका संस्थाओं को दंड से मुक्त क्यों रखा जाए?
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न्यायालय ने यह भी पूछा कि जब प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और रोकथाम के लिए बनाई गई व्यवस्थाएं निष्क्रिय हो चुकी हैं, तो इन निकायों को राहत कैसे दी जा सकती है?
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2 करोड़ का जुर्माना और प्रतिबद्धता
राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कोर्ट से आग्रह किया कि एनजीटी द्वारा आरआईआईसीओ (राजस्थान राज्य उद्योग निगम) और नगर निकायों पर लगाए गए 2 करोड़ रुपए के जुर्माने को कुछ समय के लिए रोका जाए।
उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार अब एनजीटी के सभी निर्देशों को सही तरीके से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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संकट पर कोर्ट का अगला कदम
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के दावे को सुना और कहा कि यह प्रतिबद्धता अब केवल कागजी नहीं, बल्कि जमीनी कार्रवाई में दिखनी चाहिए। अब यह मामला 21 नवंबर को पुनः सूचीबद्ध किया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट जोजरी, बंडी और लूनी नदियों में प्रदूषण संकट से निपटने के लिए एनजीटी के मौजूदा ढांचे में संशोधन या विस्तार संबंधी नए निर्देश जारी कर सकता है।
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