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Photograph: (the sootr)
राजस्थान की जोजरी नदी, जो राज्य की जीवन रेखा मानी जाती है, औद्योगिक कचरे के कारण बुरी तरह प्रदूषित हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर पर्यावरणीय संकट का स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्रीय एजेंसियों से जवाब तलब करते हुए यह मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को भेजने का आदेश दिया है, ताकि इस मामले में उचित आदेश दिए जा सकें।
जोधपुर और पाली जिले से होकर बहने वाली जोजरी नदी में रसायनों का बहाव लंबे समय से हो रहा है, जिससे न केवल नदी का पानी दूषित हुआ है, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ा है। सल्फर, लेड और कैडमियम जैसे जहरीले रसायन नदी में मिलकर इसे पूरी तरह विषाक्त बना चुके हैं।
16 लाख लोग प्रभावित, स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
जोधपुर और पाली जिले के कई गांवों में नदी का पानी कृषि कार्य और पीने के पानी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे किसानों की फसलें जहरीली हो रही हैं और त्वचा रोग, कैंसर जैसी बीमारियां फैल रही हैं। इस प्रदूषण के कारण 16 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। अवैध कचरा डंपिंग और प्रशासन की निष्क्रियता इस समस्या को और बढ़ा रही है।
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फैक्ट्रियों पर सरकार की निष्क्रियता
यह समस्या नई नहीं है। जोजरी नदी, जो नागौर जिले के पुंडलू गांव से निकलकर जोधपुर में मिलती है, दशकों से राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय अधिकारियों के रडार पर है। हालांकि अप्रभावी प्रवर्तन और फंड के दुरुपयोग के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। सरकार ने 2023, 2024 और 2025-26 में करोड़ों रुपए आवंटित किए, लेकिन यह धनराशि सही दिशा में नहीं खर्च की गई।
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सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख और ईटीपी का महत्व
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी नदियों के प्रदूषण पर सख्ती दिखाई है, जैसे यमुना नदी मामले में, जहां कोर्ट ने वाटर ट्रीटमेंट के लिए नोटिस जारी किए थे। इस बार भी जोजरी नदी के प्रदूषण को लेकर अदालत ने अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं और ईटीपी की अनिवार्यता पर जोर दिया है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि फैक्ट्रियों को पर्यावरण सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
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जोजरी नदी में जल्द सुधार की उम्मीद
आरएसपीसीबी और राजस्थान सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल रिपोर्ट मांगी है। प्रभावित किसानों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनकी आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप ही है। अगर ईटीपी को अनिवार्य किया जाता है और फंड का सही उपयोग किया जाता है, तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। इस कदम से जोजरी नदी को साफ करने के साथ-साथ अन्य प्रदूषित नदियों के लिए भी एक मिसाल बनेगी।
प्रमुख तथ्य
प्रभावित क्षेत्र : जोधपुर और पाली जिले के 50 गांव
प्रदूषण के कारण : सल्फर, लेड, कैडमियम जैसे जहरीले रसायन
प्रभावित लोग : 16 लाख लोग
सरकारी कदम : 400 करोड़ की फंडिंग, सही दिशा में काम नहीं
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