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Photograph: (the sootr)
Jaipur. कॉर्पोरेट इंडिया के बड़े शहरों से बाहर अब कंपनियां छोटे शहरों की ओर बढ़ रही हैं। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू जैसे मेट्रो शहरों में काम करना अब कर्मचारियों के लिए कठिन हो गया है। ट्रैफिक, महंगे किराए और ऑफिस की भागदौड़ से परेशान होकर अब कंपनियां और कर्मचारी टियर 2 शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। इन शहरों में इंदौर, लखनऊ और राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर जैसे शहर प्रमुख हॉटस्पॉट बन गए हैं।
सर्वे रिपोर्ट में खुलासा
हाल ही में प्रकाशित एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े शहरों में लोग अब अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए छोटे शहरों में काम करने के बारे में सोच रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन शहरों में ऑफिस स्पेस की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही ये शहर कॅरियर बनाने के लिए भी एक अच्छा विकल्प साबित हो रहे हैं।
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सर्विस क्लास को होगा फायदा
टियर 2 शहरों में ऑफिस स्पेस शिफ्ट होने से सबसे बड़ा फायदा सर्विस क्लास को होगा। मेट्रो शहरों में एक कर्मचारी अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा ट्रैवल और महंगे किराए पर खर्च कर देता है, लेकिन टियर 2 शहरों में यह खर्च कम होता है, जिससे कर्मचारियों को अपनी सैलेरी का 20 से 45 फीसदी हिस्सा बचाने का अवसर मिलता है।
मेंटल हेल्थ और वर्क लाइफ बैलेंस
रिपोर्ट के मुताबिक, इन शहरों में घर का किराया और अन्य खर्च मेट्रो शहरों की तुलना में आधा है। इसके अलावा, इन शहरों में ऑफिस जाने का समय केवल 15 से 20 मिनट है, जो कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। टियर 2 शहरों में लोगों को सड़क पर कम समय बिताना पड़ता है। मेट्रो शहरों में यह समय 1 से 2 घंटे हो सकता है, जो मेंटल हेल्थ और वर्क लाइफ बैलेंस पर प्रभाव डालता है।
विस्तार की संभावनाओं में जयपुर ऊपर
सर्वे के अनुसार, जयपुर में व्यवसायों के लिए सबसे बड़ी संभावनाएं हैं, वहीं लखनऊ तेजी से उभरते हुए हब के रूप में सामने आ रहा है। इंदौर को शिक्षा और टेक्नोलॉजी के हब के रूप में देखा जा रहा है, जबकि अहमदाबाद फाइनेंस और बिजनेस के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार है। इसी तरह टियर 2 शहर अब आगे आते जा रहे हैं।
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कंपनियों के लिए भी फायदे का सौदा
सर्वे रिपोर्ट कहती है कि टियर 2 शहरों में ऑफिस रेंट मेट्रो शहरों के मुकाबले 40-50 फीसदी कम है, जिससे कंपनियों के ऑपरेशनल खर्च में कमी आती है। इसके अलावा, इन शहरों में नौकरी छोड़ने की दर भी कम होती है, जिससे कंपनियों को स्थिर और योग्य टैलेंट मिलता है।
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खास बातें
- टियर 2 शहर में ऑफिस रेंट कम होता है, जिससे कंपनियों को ऑपरेशनल खर्च में बचत होती है। इन शहरों में नौकरी छोड़ने की दर कम है, जिससे स्थिर टैलेंट मिलता है।
- टियर 2 शहर में रहना सस्ता होता है, जिससे सर्विस क्लास कर्मचारी अपनी सैलेरी का बड़ा हिस्सा बचा पाते हैं। इन शहरों में ऑफिस जाने में समय भी कम लगता है।
- जयपुर और लखनऊ में व्यवसायों के लिए ज्यादा संभावनाएं हैं, खासकर शिक्षा, टेक्नोलॉजी और फाइनेंस क्षेत्र में। इन शहरों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और जीवन स्तर की सुविधाएं हैं।
- कॉर्पोरेट इंडिया का नया ट्रेंड। छोटे शहरों का रुख कर रहीं बड़ी कंपनियां। गुलाबी नगरी भी बन रही हॉटस्पॉट।
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