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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और जांच एजेंसियों को धोखेबाजों की नई तरकीबें चौंका रही हैं। ठग अब बारीक तकनीकी मॉड्यूल पर काम कर रहे हैं, जिसके चलते खाता सीज होते ही वे रकम को पलक झपकते ही दूसरे म्यूल अकाउंट में शिफ्ट कर देते हैं। ये गिरोह लाइव मॉनिटरिंग ऐप से हर ट्रांजेक्शन पर निगरानी रखते हैं।
भिवाड़ी में खुला नेटवर्क
भिवाड़ी पुलिस द्वारा गिरफ्तार एक म्यूल अकाउंट होल्डर से पूछताछ में पता चला कि आरोपी लगातार उन खातों को ट्रैक करते हैं, जिन पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जैसे ही कोई खाता फ्रीज होता है, वे तुरंत पैसे को दूसरे खाते में डाल देते हैं।
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म्यूल अकाउंट कैसे बनते हैं?
गिरोह शुरुआत में सोशल मीडिया विज्ञापनों का सहारा लेता है। वे घर बैठे कमाएं जैसे आकर्षक ऑफर डालते हैं। लिंक खोलते ही व्यक्ति का मोबाइल नंबर और आईपी एड्रेस गिरोह के पास पहुंच जाता है। इसके बाद ठग करंट अकाउंट की जानकारी लेते हैं या नए खाते खुलवाते हैं।
पुराने खाते भी खरीद लिए
कुछ गैंग ऐसे खाते भी खरीद लेते हैं, जो पहले से सक्रिय हैं, ताकि तुरंत ट्रांजेक्शन किया जा सके। इसके एवज में खाताधारक को 3 प्रतिशत तक कमीशन देने का लालच दिया जाता है। कई लोग इनके लालच में आ जाते हैं और अपना अकाउंट साइबर ठगी के लिए उपलब्ध करा देते हैं। इससे बचने की जरूरत है।
क्या ध्यान रखना है जरूरी
अनजान लिंक न खोलें। आईपी और नंबर ट्रेस होते हैं। घर बैठे कमाई ऑफर पर भरोसा न करें। 90 फीसदी स्कैम इन्हीं से शुरू होते हैं। अपना बैंक खाता किसी को उधार न दें। यह गिरोह का म्यूल अकाउंट बन जाता है। KYC लिंक से सतर्क रहें। तुरंत अकाउंट कंट्रोल दूसरे के पास जाता है। साइबर ठगी की राशि कहां जाती है? यह लोकल से क्रिप्टो तंत्र तक पूरा नेटवर्क फैला हुआ है।
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एक्स वॉलेट ऐप का उपयोग
जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह एक्स वॉलेट ऐप का उपयोग करता है। पैसे पहले विदेशी डिजिटल करेंसी में कन्वर्ट करते हैं, फिर बिटकॉइन में बदलते हैं। अंतिम चरण में ये क्रिप्टो दुबई करेंसी में बदल दी जाती है, जिससे जांच एजेंसियों के लिए ट्रैकिंग करना बेहद कठिन हो जाता है।
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गिरोह की कड़ियां दिल्ली से यूएई तक
भिवाड़ी पुलिस की पूछताछ में आरोपी राशिद ने बताया कि वह हरिद्वार निवासी अमित शर्मा के लिए काम करता था। तकनीकी आधार पर पुलिस दिल्ली पहुंची, जहां से एक और आरोपी अंकित शर्मा पकड़ा गया। जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह अब तक 122 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर ठगी कर चुका है।