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राजस्थान के दौसा जिले में एक अनोखा मामला सामने आया है। यह मामला अवैध कब्जे का है। लोगों ने ठाकुरजी यानी भगवान के विग्रह के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शन किया। असल में गादरवाडा ब्राह्मणान गांव के ग्रामीण ठाकुरजी विग्रह लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। ग्रामीणों ने रास्ते की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट में धरना दिया और प्रशासन पर काम करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया। इस प्रदर्शन ने प्रशासन की कार्यशैली और स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
न्याय मांगने कलेक्ट्रेट पहुंचे भगवान
असल में जमीन पर कब्जा होने के कारण रास्ता बंद हो गया और दौसा प्रशासन की कार्रवाई को लेकर भी ग्रामीण असंतुष्ट थे। इसलिए ग्रामीणों ने दौसा कलेक्ट्रेट पर धरना दिया। उनके साथ पालकी में विराजमान होकर ठाकुरजी पहुंचे दौसा कलेक्ट्रेट। इससे वहां का माहौल बदल गया और लोगों में मामले को लेकर उत्सुकता पैदा हो गई।
गादरवाडा ब्राह्मणान गांव के ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया। उनका आरोप था कि गांव से बास गुढ़लिया सड़क को जोड़ने वाले आम रास्ते को कुछ लोगों ने अवरुद्ध कर दिया है, जबकि पास में स्थित सिवायचक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। इससे गांव के लोग, खासकर पुजारी परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शिकायत के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
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रास्ते की मांग को लेकर ग्रामीण क्यों पहुंचे दौसा कलेक्ट्रेट
गांव के पुजारी ठाकुरजी विग्रह लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, जिससे कलेक्ट्रेट परिसर में हड़कंप मच गया। यह दृश्य वहां मौजूद सभी लोगों के लिए चौंकाने वाला था। पुजारी ने प्रशासन से मांग की कि रास्ते को खोलने के लिए उचित कार्रवाई की जाए। उनके मुताबिक, प्रशासन ने बार-बार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की, और मामला लगातार लटकता जा रहा था।
न्याय मांगने आए भगवान
— TheSootr (@TheSootr) October 10, 2025
➡️राजस्थान के दौसा में ठाकुर जी को न्याय के लिए कलेक्ट्रेट आना पड़ा। मंदिर पुजारी इन्हें सिर पर रख कर कलेक्ट्रेट पहुंचा। मामला रास्ता विवाद से जुड़ा है। इस मामले में एडीएम ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया है।#Rajasthan#RajasthanNews#Dausa#Bhagwan… pic.twitter.com/871O1sg1mH
प्रशासन पर दबाव में काम करने का आरोपलल्लूराम शर्मा ने बताया कि उन्होंने कई बार तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर और मुख्यमंत्री को शिकायत दी, लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल दबाव में काम कर रहा है और दूसरे पक्ष से मिलीभगत की वजह से सही तरीके से कार्रवाई नहीं हो पा रही है। उनके अनुसार, रेलवे और प्रशासन के अधिकारियों ने मिलकर रेलवे लाइन के पास रास्ता दिया, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। | |
दूसरे पक्ष से मिलीभगत का आरोप
गांव के लोगों का कहना था कि अगर प्रशासन की निष्क्रियता इसी तरह बनी रही, तो जल्द ही रास्ते को लेकर और विवाद पैदा हो सकते हैं। पुजारी और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर और मुख्यमंत्री तक को शिकायत भेजने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इस स्थिति में अगर किसी प्रकार की अप्रत्याशित घटना होती है, तो प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
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प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल
यह मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। अगर प्रशासन ने समय रहते इस विवाद का समाधान नहीं निकाला, तो भविष्य में स्थिति और बिगड़ सकती है। रास्ते का विवाद केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि यह प्रशासनिक क्षमता और न्यायिक प्रक्रिया के प्रभावशीलता पर भी सवाल खड़ा करता है।