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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी स्थिति बेहद चिंताजनक है। हाल ही में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत CAG (कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) द्वारा की गई परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर खामियां सामने आई हैं।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर सीधे तौर पर मरीजों की देखभाल पर पड़ा है और अस्पतालों में दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में कमी आई है।
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डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स की भारी कमी
ऑडिट रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में डॉक्टरों की 35.5%, नर्सों की 18.5% और पैरामेडिक्स की 55.8% कमी है। यह कमी हर स्तर पर महसूस हो रही है और इसका असर मरीजों को मिलने वाली चिकित्सा सेवाओं पर स्पष्ट रूप से पड़ रहा है। विशेषकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पैरामेडिक्स की 63% कमी का मतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी चिकित्सा सेवाएं भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं।
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आपातकालीन सेवाओं की स्थिति चिंताजनक
स्वास्थ्य सेवाओं का सबसे बड़ा नुकसान आपातकालीन सेवाओं में हो रहा है। सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी और ICU की सुविधाएं अपर्याप्त हैं, जो गंभीर मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। इसके अलावा, रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी (जांच लैब), एम्बुलेंस और मोर्चरी जैसी जरूरी सहायक सेवाओं की भी कमी है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है।
दवाइयों की खरीद में अनियमितताएं
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई अस्पतालों में दवाइयों की गुणवत्ता की जांच किए बिना उन्हें खरीदा गया, जिससे दवाइयों की प्रभावशीलता और सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। इसके अलावा, अस्पतालों में जरूरी मेडिकल उपकरणों की भी भारी कमी है और उनका मेंटेनेंस ठीक से नहीं किया जा रहा है, जिसका सीधा असर इलाज की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
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स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता वित्तीय बोझ
राज्य के लोगों को इस स्थिति का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 2019-20 में राज्य के स्वास्थ्य खर्च का लगभग 47% हिस्सा आम लोगों की जेब से गया, जो दिखाता है कि सरकारी सेवाओं में खामियों के कारण लोग प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर भारी दबाव आ रहा है।
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स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता
राजस्थान के विभिन्न जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में काफी असमानता है। जयपुर में सबसे ज्यादा 65.61% पद खाली पाए गए, जबकि बाड़मेर, जालोर और जोधपुर जैसे रेगिस्तानी जिलों में भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी है। इस स्थिति से ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों को इलाज मिलना और भी कठिन हो गया है।
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रेगिस्तानी जिलों में भारी संकट
स्वास्थ्य सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर हैं। राजस्थान के रेगिस्तानी जिले जैसे कि बाड़मेर, प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इन इलाकों में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति दयनीय है और यहां के लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरस रहे हैं।