1993 सीरियल ट्रेन बम ब्लास्ट केस : हाई कोर्ट का 7 अभियुक्तों को समय से पहले रिहा करने से इनकार

राजस्थान हाई कोर्ट ने दिसंबर, 1993 के ट्रेन सीरियल बम विस्फोट मामले के 7 अभियुक्तों को समय से पहले रिहा करने से इनकार कर दिया है। यह विस्फोट बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में पांच ट्रेनों में हुए थे।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने दिसंबर, 1993 में सीरियल ट्रेन बम ब्लास्ट केस के 7 अभियुक्तों को समय पूर्व रिहा करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सुदेश बंसल व जस्टिस भुवन गोयल ने यह अभियुक्त अशफाक खान व तीन अन्य के साथ तीन अन्य ​अभियुक्तों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। 

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इस तरह हुए धमाके

गौरतलब है कि सातों आरोपी जयपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। यह विस्फोट बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में पांच ट्रेनों में हुए थे। इन सिलसिलेवार बम विस्फोटों में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। 

स्पेशल टाडा कोर्ट से हुई थी सजा

सातों आरोपियों को 28 फरवरी, 2004 को स्पेशल टाडा कोर्ट ने टाडा के तहत दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी 11 मई, 2016 को सभी की सजा को बहाल रखा था। 

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समय से पहले रिहा करने की गुहार

अभियुक्तों का कहना था कि वह 20 साल से भी ज्यादा समय से जेल में बंद हैं और कई बीमारियों से ग्रस्त हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के चार मई, 2011 के पत्र के अनुसार, आतंकी गतिविधियों के मामलों को अलग कैटेगरी में रखा है। ऐसे मामलों में दोषियों को समय से पहले रिहा करने से पहले कम से कम 20 साल की सजा भुगतना जरूरी है। ऐसे में अभियुक्त याचिकाकर्ताओ को समय से पूर्व रिहा करना सही होगा। 

गृह मंत्रालय ने किया इनकार

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ​अभियुक्तों के समय पूर्व रिहाई से इनकार कर दिया था। भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भरत व्यास ने कोर्ट से कहा कि अभियुक्तों को समय पूर्व रिहा करना न केवल देश की सुर​क्षा, बल्कि समाज के लिए भी खतरा है। टाडा में दोषी पाए जाने वालों को समय पूर्व रिहा करने पर रोक है। 

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अमृत महोत्सव में ही रिहा नहीं किया

एडवोकेट व्यास ने कोर्ट को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जून, 2022 को सजा भुगत रहे कैदियों को आजादी के अमृत महात्सव के दौरान रिहा करने की गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन देश की सुरक्षा को खतरा और शांति भंग होने के खतरे को देखते हुए दोषियों को समय पूर्व रिहा करने का प्रावधान नहीं है।

सरकार ने सभी एजेंसियों व राज्य सरकारों से जानकारी लेने के बाद ही 1993 सीरियल ट्रेन बम ब्लास्ट केस के याचिकाकर्ता अभियुक्तों की समय पूर्व अर्जियों को खारिज किया ​था। अब सरकार के आदेश में दखल देने का कोई कारण नहीं है। 

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सही किया है सरकार ने

राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने सभी एजेंसियों से हर अभियुक्त के संबंध में जानकारी हासिल की और हर मामले में मेरिट के आधार पर विचार करने के बाद ही समय पूर्व रिहा करने से इनकार किया है। सरकार का कहना सही है कि अभियुक्तों ने आतंकवाद जैसे बेहद गंभीर अपराध को अंजाम दिया था। 

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...तो खतरा पैदा होगा

कार्ट का कहना है कि यदि इन्हें समय पूर्व रिहा किया तो देश की सुरक्षा और समाज की शांति को खतरा होगा और इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सरकार के समय पूर्व रिहा नहीं करने के आदेश में दखल करने से इनकार करते हुए याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

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