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राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर
Jaipur. राजस्थान सरकार के एक आदेश ने सभी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल/टीचर्स की नींद उड़ा रखी है। आदेश है कि दीपावली से पहले विद्यालय सौंदर्यीकरण और कायाकल्प अभियान के तहत राज्य के सभी छोटी-बड़ी सरकारी स्कूल में रंग-रोगन होगा।
आदेश में कहा गया है कि दीपावली के बाद छात्र आएं तो उन्हें स्कूलें साफ सुथरी दिखे। साथ ही 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक स्कूलों में दीपदान के आयोजन का भी आदेश है। दीपावली को मॉ लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की पूजा अच्रना भी करवाई जाएंगी।
आदेश में यह भी कहा है कि यह सभी कार्य विद्यालय कोष में से करवाए जाएं। हजारों लाखों के खर्च वाले रंग रोगन को लेकर सरकार ने अलग से कोई बजट नहीं दिया है। ऐसी बड़ी स्कूलें (सीनियर स्कूल) जहां बड़ी संख्या में स्टूडेंट हैं वहां तो विद्यालय कोष खूब है लेकिन, दिक्कत यह है कि जिन स्कूलों में छात्र संख्या कम है, वहां बजट का भारी संकट है। आठवीं तक के स्कूलों में तो छात्रों की फीस नहीं लेने से किसी तरह बजट नहीं है। राजस्थान में ऐसी स्कूलों की तादाद हजारों में है। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में रंग-रोगन व दीपदान जैसे आयोजनों के लिए रकम जुटाना बड़ी समस्या बन गया है।
पैसे जुटाने में स्कूल स्टाफ हो रहा परेशान
राजस्थान में सरकारी स्कूलों का होगा कायाकल्प। स्कूल स्टाफ की चिंता है कि आदेश की पालना में स्कूलों में रंग-रोगन करवाना भी जरुरी है, अन्यथा कार्यवाही का अंदेशा है। बताया जा रहा है कि रंग-रोगन में 50 हजार से दो लाख रुपए तक के खर्चे को देखते हुए अधिकांश स्कूलों के प्रिंसिपल/टीचर्स परेशान हो रखे हैं।
कोई भामाशाह के पास जा रहा है तो कोई सरपंच, पार्षद, प्रधान, स्थानीय व्यापारी/कारोबारी, व्यापार मंडल से मदद की गुहार लगा रहे हैं तो कोई स्वयंसेवी संस्थाओं, एनजीओ से रंग-रोगन करवाने का आग्रह कर रहे हैं। हालांकि अचानक से आए इस आदेश और त्यौहार के चलते अपेक्षा के अनुरुप सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
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क्या है शिक्षा विभाग का आदेशशिक्षा विभाग ने आदेश में साफ कहा है कि दीपावली से एक दिन पहले तक रंग रोगन करवाना होगा। रंग रोगन से पहले की फोटो और रंग रोगन के बाद की फोटो भी लेनी होगी। साथ ही तीन दिन तक लाइटिंग एवं दीपदान करना होगा। रंग रोगन के साथ स्कूल के ब्लैक बोर्ड भी चेंज किए जाने, छोटी बड़ी रिपेयर करवाने एवं पेंटिंग के भी निर्देश हैं। विभाग को दी जाने वाली प्रगति रिपोर्ट में before और After की फोटोज भी लगाने होंगे। 17 अक्टूबर तक हर हाल में यह कार्य करने के आदेश है। सीनियर सेकंडरी तक के स्कूल में इस तरह के कार्य के लिए विभाग ने 15 हजार से 2 लाख तक की राशि मंजूर की है जो विद्यालय कोष के बजट से ली जानी है। वहीं प्रारंभिक शिक्षा के स्कूलों में विद्यार्थी कोष, कंपोजिट ग्रांट, समसा सेविंग या बैंक के ब्याज के साथ एनजीओ, भामाशाह से करवाने का निर्देश हैं। इस कार्य में एसीसी, एनएसएस,स्काउट और दूसरे संस्थान से श्रमदान का सहयोग भी लेने के निर्देश हैं।
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शिक्षा विभाग का आदेश पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें—
तय समय में रंग-रोगन कराना बड़ी चुनौती
माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट के दस्तखत से जारी आदेश में कहा है कि 10 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक रंग रोगन करना है। 18 अक्टूबर से तीन दिन तक स्कूल बिल्डिंग में लाइटिंग करनी होगी और दीपदान भी करना होगा। यह आदेश 4 अक्टूबर को शासन सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद निकाले गए हैं।
दीपावली में 10 दिन बचे हैं। छोटी स्कूलों में पांच-सात कमरे तो बड़ी स्कूलों में दस से पच्चीस कमरे एवं बड़े हॉल होते हैं। इतने कम समय में रंग-रोगन करवाना भी बहुत चुनौती है। इससे अधिक मुश्किल काम है कि त्यौहार में रंग रोग़न कमजदूर मिलना है। क्योंकि अधिकतर मजदूर रंगरोगन में लगे हुए हैं।
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बजट आए तो करवाएं रंग-रोगन
राजधानी में एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सरकार ने आदेश तो निकाला दिया, लेकिन रंग-रोगन के लिए बजट नहीं दिया। स्कूल फीस से तो इतनी ही रकम आती है कि उससे सालभर स्कूलों के बिजली बिल भर जाए तो वो ही बड़ी बात है।साफ सफाई, स्टेशनरी व दूसरे खर्चों के लिए टीचर्स आपस में सहयोग करते हैं, तब जाकर स्कूल की व्यवस्था सुचारु चल पाती है। दीवाली के दस दिन बचे हैं। पैसा है नहीं। भामाशाह तैयार नहीं हो रहे हैं। एनजीओ भी एकदम से मदद करवाने से इनकार कर रहे हैं। इस आदेश से पहले स्कूल टीचर्स और छात्र त्यौहार मनाने की प्लानिंग कर रहे थे, उधर इस आदेश से सभी की नींद उड़ चुकी है। पहले रंग-रोगन के लिए बजट की व्यवस्था के लिए भागना पड़ रहा है। बजट मिल जाएगा तो रंग-रोगन करने वाले मजदूरों को सस्ती दरों पर ढूंढना मुश्किल भरा है।
स्कूलों में अवकाश, उपस्थिति चुनौती
तीन दिन तक दीपदान के लिए स्कूलों में टीचर की उपस्थिति भी संकट है। वैसे भी 13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक स्कूलों में दिवाली का अवकाश है। ऐसे में दीपावली पर्व पर सभी अपने गांव व परिवार के साथ रहते हैं। उधर एक अन्य स्कूल के टीचर ने बताया कि हमारी स्कूल में बजट की कमी को देखते हुए सभी टीचर मिलकर रंग-रोगन करवाने की सोच रहे हैं। क्योंकि, एनजीओ और भामाशाह भी एकदम से सहयोग करने से बच रहे हैं।
उनका कहना है कि यह आदेश दो महीने पहले आ जाता तो मान-मनुहार करके िकसी को भी रंग-रोगन के लिए राजी कर सकते थे। एक अन्य टीचर के अनुसार हर बार दीवाली पर गांव जाकर फैमिली केसाथ त्योहार मनाते हैं। विभाग के आदेश से गांव जाने का समय मिलना कठिन दिख रहा है।