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राजस्थान में मंत्रियों को एक बड़ा तोहफा मिलने वाला है। राज्य सरकार 41 नई कारें खरीदेगी, जिसमें 40 सफेद रंग की कारें और एक काली रंग की कार शामिल होगी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस कदम से मंत्रियों की मांग पूरी होगी और राजस्थान सरकार के वाहन बेड़े में यह नई गाड़ियां शामिल हो जाएंगी। अनुमान है कि दीपावली या नवंबर तक ये गाड़ियां राज्य सरकार के बेड़े में आ जाएंगी। गौरतलब है तीन वर्ष पूर्व गहलोत सरकार ने भी मंत्रियों के लिए नई गाड़ियां खरीद थीं।
41 नई गाड़ियां, किसके लिए क्या योजना
राजस्थान सरकार 41 नई कारें खरीद रही हैं। इनमें से सफेद रंग की 40 कारें मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और राज्य मंत्रियों के लिए होंगी, जबकि राज्यपाल के लिए काले रंग की एक कार खरीदी जाएगी। इन गाड़ियों को लेकर मंत्रियों की लंबे समय से मांग थी, जो अब पूरी होने जा रही है।
तीन साल पहले हुई ​थी खरीद
यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि वर्तमान में जो गाड़ियां मंत्रियों के पास हैं, वे अब तीन साल पुरानी हो चुकी हैं। अधिकांश कारें 3 लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी हैं, जिनमें से कई गाड़ियां हर 15 दिन में गैराज जाती हैं। यही कारण है कि मंत्रियों ने नई गाड़ियों की मांग उठाई थी।
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सरकारी खरीद में छूट और सस्ती कारें
इन गाड़ियों की खरीद केंद्र सरकार के जेम पोर्टल (Government e-Marketplace) के माध्यम से की जाएगी। इस पोर्टल का इस्तेमाल राज्य सरकारें वाहन खरीदने के लिए करती हैं, जिससे डीलर के कमीशन को खत्म किया जा सकता है और कंपनियां सीधे सरकार से वाहन की डील करती हैं। इसके अलावा, गाड़ी के पंजीकरण, बीमा और अन्य टैक्सों में छूट मिलने के कारण ये गाड़ियां बाजार दर से काफी सस्ती पड़ती हैं।
कारों ​को क्यों दिया जा रहा विशेष महत्वमंत्रियों को नई गाड़ियों की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि पहले जो गाड़ियां दी गई थीं, वे अब खराब हो चुकी थीं। खासकर बारिश के दौरान इन गाड़ियों की हालत बेहद खराब हो गई थी। यहां तक कि कुछ विधायकों ने यह तक कह दिया था कि अफसरों की गाड़ियां तो मंत्रियों की गाड़ियों से बेहतर हैं। यह टिप्पणी मंत्रियों के लिए एक और संकेत थी कि उनकी गाड़ियों की स्थिति सुधारने की आवश्यकता है। ​इसलिए अब राजस्थान सरकार 41 कारें खरीद रही हैं। | |
कुछ मंत्री निजी गाड़ियों का कर रहे उपयोग
राज्य के कई मंत्री निजी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे थे। इनमें उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीना और वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा शामिल हैं। ये मंत्री सरकारी गाड़ियों के बजाय अपनी निजी लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे थे। इस कारण भी मंत्रियों की नई कारों की मांग और बढ़ी थी।
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प्रशासन की भूमिका और योजना
राज्य सरकार ने इन नई गाड़ियों की खरीद को लेकर पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया है। पहले मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को बिना हस्ताक्षर के लौटा दिया था, लेकिन अब इस पर पूरी मंजूरी दी गई है। यह निर्णय प्रशासनिक स्तर पर मंत्री और अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद लिया गया है।