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Photograph: (TheSootr)
देश में बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। एक हालिया रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि राजस्थान बच्चों के खिलाफ अपराधों में देश के बड़े राज्यों में चौथे स्थान पर है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau NCRB) द्वारा जारी किए गए 2023 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में साल दर साल वृद्धि हुई है। एनसीआरबी के आंकड़े देशभर में बच्चों के खिलाफ अपराधों की स्थिति को उजागर करते हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
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राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराध का बढ़ता ग्राफ
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जहां वर्ष 2022 में 9,370 मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई थी, वहीं 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 10,577 तक पहुंच गया। इसका मतलब है कि 2022 की तुलना में 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 1,207 और नए मामले दर्ज हुए हैं। यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि यह एक साल के भीतर अपराधों के मामलों में वृद्धि को दर्शाता है।
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बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रमुख प्रकार
बच्चों के खिलाफ अपराधों में कई प्रकार के अपराध शामिल हैं, जिनमें बलात्कार, हत्या, शारीरिक शोषण, और अपहरण जैसी घटनाएं प्रमुख हैं। राजस्थान में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए गए मामले अपहरण और बलात्कार के रहे हैं। इसके अलावा, बच्चों के शारीरिक और मानसिक शोषण के मामले भी बढ़ रहे हैं। राज्य सरकार और पुलिस विभाग इन अपराधों को रोकने के लिए कुछ कदम उठा रहे हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इस दिशा में अभी भी काफी सुधार की आवश्यकता है।
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राज्यवार आंकड़े: राजस्थान की स्थिति
जब हम राज्यवार आंकड़ों की बात करते हैं तो राजस्थान बच्चों के खिलाफ अपराधों में चौथे स्थान पर है।
मध्यप्रदेश: 2023 में 22,393 मामले दर्ज
महाराष्ट्र: 22,390 मामले दर्ज
उत्तर प्रदेश: 18,852 मामले दर्ज
राजस्थान: 10,577 मामले दर्ज
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराधों की दर में यह बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या को दर्शाती है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में यह समस्या गहरे समाजिक और आर्थिक मुद्दों से जुड़ी हुई है।
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बच्चों की हत्या में राजस्थान का स्थान
बच्चों की हत्या के मामलों में भी राजस्थान का स्थान चिंताजनक है। 2023 में राज्य में 41 बच्चों की हत्या के मामले दर्ज हुए, जिससे राजस्थान इस अपराध में आठवें स्थान पर रहा। यह संख्या बच्चों के लिए सुरक्षा की स्थिति को लेकर कई सवाल खड़े करती है। अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में बच्चों की हत्या के मामलों में अपेक्षाकृत कम वृद्धि नहीं दिख रही है, जो बच्चों के खिलाफ अपराधों के समग्र परिदृश्य में एक चिंताजनक संकेत है।
बच्चों की हत्या के मामले: राज्यवार आंकड़े
उत्तर प्रदेश: 206 मामले
बिहार: 108 मामले
कर्नाटक: 102 मामले
मध्यप्रदेश: 100 मामले
महाराष्ट्र: 98 मामले
गुजरात: 55 मामले
तमिलनाडु: 55 मामले
एनसीआरबी रिपोर्ट के इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में बच्चों की हत्या के मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए हैं, लेकिन राजस्थान में भी इस आंकड़े की बढ़ोतरी एक गंभीर चिंता का विषय है।
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बच्चों के खिलाफ अपराध के कारण क्या हैं?बच्चों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी के पीछे कई सामाजिक, मानसिक और आर्थिक कारण हो सकते हैं।
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बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के उपाय
बच्चों के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को कई कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
कड़ा कानून: बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए कड़े और प्रभावी कानून की जरूरत है, जिससे अपराधियों को त्वरित दंड मिल सके।
सुरक्षा तंत्र में सुधार: स्कूलों, मोहल्लों और सार्वजनिक स्थानों पर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन को जिम्मेदार बनाना होगा।
सामाजिक जागरूकता: समाज में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
पुलिस की तत्परता बढ़ाना: बच्चों के खिलाफ अपराधों की त्वरित रिपोर्टिंग और कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
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बच्चों के खिलाफ अपराधों के परिणाम
बच्चों के खिलाफ अपराधों के सामाजिक परिणाम बहुत गंभीर होते हैं। बच्चों के शारीरिक और मानसिक शोषण से उनका मानसिक विकास रुक जाता है और उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है। इसके अलावा, समाज में असुरक्षा का वातावरण बनता है, जो देश के विकास की राह में रुकावट डालता है।