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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में देवस्थान विभाग के प्रमुख शासन सचिव और वरिष्ठ आईएएस डॉ. समित शर्मा के नाम से हिंदू देवी-देवताओं के कथित अपमान करने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज और पोस्ट के पीछे गोपालन विभाग के निदेशक आरएएस पंकज ओझा का षड्यंत्र बताया जा रहा है। इनके कहने पर ही उनके परिचितों ने विभिन्न सोशल मीडिया पर आईएएस शर्मा का नाम लेने वाली पोस्ट शेयर की।
शेयर करने का दोषी माना
वायरल पोस्ट और मैसेज में डॉ. शर्मा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई बीआर गवई और राजस्थान सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास करने का आरोप है। इस मामले में देवस्थान विभाग की ओर से गठित जांच कमेटी में पंकज ओझा और उनके परिचितों द्वारा सोशल मीडिया में मैसेज और पोस्ट शेयर करने का दोषी माना है।
वायरल मैसेज में यह
तीन सदस्यीय जांच कमेटी में देवस्थान विभाग के आयुक्त एवं आईएएस कन्हैयालाल स्वामी, संयुक्त शासन सचिव पशुपालन विभाग एवं आरएएस दिनेश कुमार जांगिड़ एवं शासन उप सचिव और आरएएस देवस्थान आलोक कुमार सैनी थे। विभाग की एक बैठक का हवाला देते हुए सोशल मीडिया में मैसेज वायरल किए गए थे कि बैठक में डॉ. शर्मा ने हिंदू देवी-देवताओं को अपमान करने संबंधी बयान दिए हैं।
उठी थी कार्रवाई की मांग
मैसेज वायरल होते ही कई संगठन आपत्ति जताते हुए शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे थे, जबकि शर्मा व अन्य अधिकारियों का कहना था कि इस तरह की कोई बयानबाजी और घटना बैठक में नहीं हुई थी। जांच कमेटी ने माना है कि डॉ. शर्मा की छवि धूमिल करने के लिए ओझा ने अपने परिचितों के माध्यम से सोशल मीडिया पर मैसेज और पोस्ट शेयर करवाई।
ग्रुप के एडमिन पंकज ओझा
जिन ग्रुपों में भ्रामक और अनर्गल मैसेज वायरल हुए, उसके एडमिन और सदस्य ओझा थे। ओझा ने ग्रुप में आए मैसेज को डिलीट भी किया। उनके प्रंसज्ञान में ये मैसेज थे, जो दूसरे ग्रुप में भी शेयर हुए हैं। साक्ष्य मिटाने के लिए ओझा ने मैसेज डिलीट किए हैं। इन मैसेज के बारे में उच्च अधिकारियों को भी नहीं बताया। वायरल मैसेज का षड्यंत्र व निगरानी का कार्य ओझा की देखरेख में हुआ है।
ओझा ने नहीं दिया जवाब
जांच कमेटी के सदस्यों ने इस मामले में उन सभी अधिकारियों से बयान लिए हैं, जो देवस्थान विभाग की 27 अक्टूबर की बैठक में मौजूद रहे। बैठक में मौजूद 20 अधिकारियों और कार्मिकों के बयान दर्ज किए गए।
मामले में ओझा को भी बयान देने के लिए दो बार नोटिस दिया, लेकिन वे नहीं आए। ओझा से उन लोगों के नाम, मोबाइल नंबर, मैसेज के स्क्रीन शॉट साझा करने के निर्देश दिए गए, लेकिन उन्होंने यह जानकारी जांच कमेटी सदस्यों को नहीं दी।
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चीफ जस्टिस और सरकार की भी आलोचना
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज के स्क्रीन शॉट जांच कमेटी के सदस्यों को दिए गए। इनके आधार पर यह पता लगा कि किन लोगोंं ने किन ग्रुप में मैसेज शेयर किए। जांच कमेटी ने यह भी माना कि वायरल मैसेज में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का नाम भी जोड़कर अनर्गल बयानबाजी की गई। वहीं राजस्थान सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आलोचना की गई।
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विभाग की बैठक से उठा मामला
27 अक्टूबर को शासन सचिवालय के रूम नंबर 4210 में देवस्थान विभाग की एक मीटिंग हुई। बैठक में जो बातें हुई नहीं, उसे लेकर सोशल मीडिया पर अनर्गल तरीके से फैलाया गया। सोशल मीडिया पर डॉ. शर्मा के नाम से हिंदू देवी-देवताओं और पुजारियों को लेकर फर्जी टिप्पणी करने के आरोप लगाए गए हैं। ये फेक मैसेज सनातन राष्ट्र, भागवत भक्ति, टीम ब्राह्मण ऑफिसर्स और न्यूज मीडिया ग्रुप में वायरल किए गए।
सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर उठा था विवाद
विभाग की मीटिंग में देवी-देवताओं और पुजारियों को लेकर कथित टिप्पणी के वायरल मैसेज के जरिए मीडिया संस्थानों में भी खबरें चली। वायरल मैसेज में उसी तर्ज पर सवाल दागे गए थे, जैसे कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मंदिर की सुनवाई के दौरान भगवान को लेकर सवाल कर लिए थे। वायरल मैसेज में भी ऐसा ही कुछ मीटिंग में होने का दावा किया गया।
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ये है वायरल मैसेज की शिकायतें
सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने देवस्थान मंत्री जोराराम से मिलकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत में बताया था कि विभाग के अधिकारी ने बैठक में कहा कि क्या आपके भगवान पुजारियों की प्रार्थनाएं सुनते भी हैं या नहीं? इससे नाराज एक अन्य अधिकारी ने बैठक में कह दिया बताते हैं कि यदि भगवान नहीं सुनते तो सरकार ने मंदिर क्यों बनवाए हैं।
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