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राजस्थान के धौलपुर की नगर परिषद में रिश्वतकांड ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। भ्रष्टाचार के इस मामले में ACB ने एईएन (AEN) प्रिया झा समेत पांच लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। वहीं, नगर परिषद कमिश्नर अशोक शर्मा को 12 घंटे की पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। धौलपुर में एसीबी कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है।
एसीबी की कार्रवाई और गिरफ्तारी
भरतपुर एएसपी एसीबी (ASP ACB) अमित सिंह के नेतृत्व में यह बड़ी कार्रवाई की गई। टीम ने धौलपुर नगर परिषद कार्यालय पर छापा मारा और रिश्वत लेते हुए एईएन प्रिया झा, कैशियर भरत, यूडीसी नीरज, ड्राइवर देवेंद्र और संविदाकर्मी हरेंद्र को गिरफ्तार किया।
रिश्वत की रकम और सौदेबाजी
जांच में सामने आया कि ठेकेदार से बकाया भुगतान क्लियर करने के लिए कुल 3.10 लाख रुपए रिश्वत मांगी गई थी।
- कमिश्नर ने 2 लाख रुपए की मांग की।
- एईएन प्रिया झा ने 70 हजार रुपए की मांग की, जो बाद में 60 हजार पर तय हुआ।
- कैशियर भरत ने 50 हजार रुपए रिश्वत मांगी।
- यह रकम संविदाकर्मी हरेंद्र और ड्राइवर देवेंद्र के जरिए ली जा रही थी।
कमिश्नर की भूमिका पर सवाल
कमिश्नर अशोक शर्मा को 12 घंटे तक पूछताछ के बाद छोड़ने से एसीबी (ACB) की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। जनता और विपक्षी नेताओं का कहना है कि जब कमिश्नर पर सीधी रिश्वत मांगने का आरोप था, तो उन्हें क्यों छोड़ा गया।
नगर परिषद के नेता प्रतिपक्ष कुक्कू शर्मा ने आरोप लगाया कि नगर परिषद में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है। कई बार शिकायत करने के बावजूद कमिश्नर को सुरक्षा दी गई, जिससे भ्रष्टाचार और बढ़ गया।
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धौलपुर रिश्वतकांड की मुख्य बातें
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नगर परिषद में भ्रष्टाचार का खेल
धौलपुर नगर परिषद में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। ठेकेदारों से फाइल क्लियर कराने, बिल पास कराने और काम के भुगतान के लिए रिश्वत लेना यहाँ आम बात बन चुकी है। यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे सिस्टमिक करप्शन प्रशासनिक ढांचे को खोखला कर रहा है।
लोगों का कहना है कि जब ACB जैसी बड़ी एजेंसी भी निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर पा रही, तो आम जनता किस पर भरोसा करे? नागरिकों ने मांग की है कि सभी जिम्मेदार अधिकारियों की निष्पक्ष जांच हो और सख्त कार्रवाई की जाए।
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