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Photograph: (the sootr)
Alwar. राजस्थान के अलवर में साइबर ठगों द्वारा किए गए डिजिटल अरेस्ट के एक गंभीर मामले से शहर के स्कीम नंबर एक में सनसनी मच गई है। मनी लॉन्ड्रिंग केस का झांसा देकर बुजुर्ग महिला से ठगी की गई है। साइबर ठगों ने पुलिस अधिकारी बनकर एक बुजुर्ग महिला को जाल में फंसाकर उससे ठगी कर ली। आरोपियों ने बुजुर्ग महिला से सवा करोड़ रुपए की ठगी भी की है। यह मामला अब पूरी तरह से पुलिस के जांच दायरे में है। इस मामले में पुलिस को कई महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं।
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अलवर में अकेली रहती है बुजुर्ग पीड़िता
बुजुर्ग पीड़िता अलवर शहर की स्कीम नंबर एक में अकेली रहती हैं। महिला को 15 से 21 दिसंबर के बीच एक फोन कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए महिला को यह बताया कि उनका नाम में शामिल है। इसके बाद महिला को डराने और परेशान करने के लिए ठगों ने उसे झूठे अरेस्ट वारंट भेजे। साइबर ठगों ने पीड़िता को लगातार कॉल्स कर विभिन्न तारीखों पर अलग-अलग राशि ट्रांसफर करने के लिए दबाव डाला। कुल मिलाकर उन्होंने महिला से 1.25 करोड़ रुपए की राशि आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर करवाई।
साइबर थाने में शिकायत दर्ज
पीड़िता को अंततः ठगों की गतिविधियों पर शक हुआ और उन्होंने साइबर थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए करीब 50 लाख रुपए की राशि को होल्ड करवा लिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शरण कांबले ने बताया कि जांच के दौरान यह सामने आया कि ठगों ने पीड़िता से पैसे भुवनेश्वर के खाते में ट्रांसफर कराए थे। अब मामले की जांच पूरी तरह से की जा रही है।
ठगों ने वीडियो कॉल कर दी धमकी
साइबर ठगों ने पीड़िता को और डराने के लिए कई बार वीडियो कॉल्स का सहारा लिया। वीडियो कॉल्स के माध्यम से ठगों ने महिला को धमकाया और उसे राशि ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया। इस दौरान पुलिस ने साइबर ठगों के मनी ट्रांजैक्शंस और वीडियो कॉल्स का विश्लेषण किया। ताकि अपराधियों को पकड़ने में मदद मिल सके।
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दिल्ली में रहती हैं दोनों बेटियां
पीड़िता की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि वह अकेली रहती हैं और अपनी दोनों बेटियों से दूर दिल्ली में रहती हैं। साइबर ठगों द्वारा दिए गए डर की वजह से वह अपनी बेटियों से संपर्क नहीं कर पाई। जब उन्हें शक हुआ कि यह एक धोखाधड़ी है, तो उन्होंने अपनी बेटियों से बात की और तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
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पुलिस कर रही मामले की जांच
पुलिस ने तुरंत मामले की गंभीरता को समझते हुए ठगों द्वारा की गई वित्तीय धोखाधड़ी की जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक ठगों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। लेकिन पुलिस की सक्रियता से मामले की जड़ तक पहुंचने की पूरी कोशिश की जा रही है।
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मुख्य बिंदु
डिजिटल अरेस्ट: डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर धोखाधड़ी है। जिसमें अपराधी अपने शिकार को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे पुलिस अधिकारी हैं। पीड़ित पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप लगाते हैं। इसके बाद वे शिकार से पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।
बचाव के उपाय: यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत अपनी नजदीकी साइबर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएं। इसके अलावा किसी भी अनजाने कॉल या संदेश का जवाब न दें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें।
सतर्कता जरूरी: साइबर ठगी से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर ध्यान न दें। किसी भी वित्तीय लेन-देन से पहले पूरी जानकारी जांच लें और सुनिश्चित करें कि आप संबंधित व्यक्ति से ही बात कर रहे हैं।
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