जयपुर में डोल का बाढ़ आंदोलन हुआ तेज, ग्रीन एरिया उजाड़ कर सरकार बना रही यूनिटी मॉल

राजस्थान के जयपुर में डोल का बाढ़ में जंगल बचाने के लिए हो रहा आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। पर्यावरण प्रेमी पेड़ों की कटाई पर विरोध कर सरकार से समाधान की मांग कर रहे हैं।

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Kamlesh Keshote
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Dol Ka Badh Jaipur
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राजस्थान में दक्षिण जयपुर के ग्रीन एरिया डोल का बाढ़ को बचाने के लिए चल रहा आंदोलन सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। सरकार ने आंदोलन को देखते हुए पेड़ों की कटाई को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया है, लेकिन आंदोलनकारी इससे संतुष्ट नहीं हैं। इस आंदोलन को शहर के लोगों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। इस जगह पर भजनलाल सरकार की योजना यूनिटी मॉल बनाने की है। 

ग्रीन एरिया डोल का बाढ़ को उजड़ने से बचाने के लिए आंदोलनरत पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने आंदोलन के 21वें दिन जयपुर के शहीद स्मारक पर रविवार से क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। इस अनशन कार्यक्रम में 100 साल के हो चुके पूर्व विधायक पं. रामकिशन शर्मा और किसान नेता रामपाल जाट भी शामिल हुए। क्रमिक अनशन में आम आदमी पार्टी के अमित दाधीच, प्रशांत जायसवाल और एडवोकेट दिव्यांश शर्मा एवं मनन भी बैठे।

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क्या है आंदोलनकारियों की मांग? 

आंदोलनकारियों की मांग है कि सरकार डोल का बाढ़ में यूनिटी मॉल के लिए पेड़ों की कटाई रोक कर अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। यूनिटी मॉल प्रोजेक्ट को कहीं और शिफ्ट किया जाए। डोल का बाढ़ जंगल को जैव विविधता पार्क घोषित करे और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा आंदोलनकारियों से चर्चा करने के लिए आंदोलन समिति को मिलने का समय दें। 
  
डोल का बाढ़ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे शौर्य गोयल का कहना है कि हम लोग सरकार विरोधी नहीं हैं। न ही हम सरकार की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी चिंता यह है कि सरकार ग्रीन एरिया डोल का बाढ़ को लेकर चुप क्यों है। सरकार इस मामले पर कुछ नहीं बोल रही और न ही कुछ कर रही है। सरकार के मंत्री भी हमसे बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रीन एरिया को उजड़ने से बचाने के लिए यह आंदोलन किया जा रहा है। सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो आंदोलन और तेज करेंगे। 

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पर्यावरण की अवहेलना कर रहे मुख्यमंत्री 

राजस्थान के वयोवृद्ध समाजवादी नेता और पूर्व विधायक पं. रामकिशन शर्मा ने कहा कि पर्यावरण का मुद्दा आज संसार का सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके सामने एटम बम का खतरा भी कम है। डोल का बाढ़ का मामला छोटा मुद्दा नहीं, बहुत बड़ा मुद्दा है। यह सरकार की जिद है, जो इतने बड़े जंगल को नष्ट करने पर तुली है। सरकार को अगर यूनिटी मॉल बनाना है, तो दूसरी जगह बनाएं। 

 

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डोल का बाढ़ को बचाने के लिए धरने पर बैठे पर्यावरण प्रेमी। Photograph: (the sootr)

आंदोलन समिति ने सरकार को जो सुझाव दिया है, सरकार उस पर विचार करे। यह सबसे अफसोस की बात है कि मुख्यमंत्री आंदोलन समिति के पदाधिकारियों को मिलने को समय नहीं दे रहे हैं। एक समय देश में जनता पार्टी की सरकार थी, तब राजनारायण स्वास्थ्य मंत्री थे। उन्होंने अपने घर के आगे शामियाना लगा रखा था। विरोधी और प्रदर्शनकारी वहां आकर बैठते थे। वे उनके पानी और खाने-पीने का इंतजाम करते थे। उनकी बात मानना या नहीं मानना अलग मुद्दा था, लेकिन उनको बैठाकर उनकी बात सुनते थे। आंदोलन समिति को मिलने का समय नहीं देकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं। यह एक तरह से पर्यावरण की अवहेलना है। इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।

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दीया कुमारी और राज्यवर्धन राठौड़ ने नहीं सुनी बात 

आंदोलनकारियों का कहना है कि आंदोलन कर रहे लोगों ने इस मामले में डिप्टी सीएम दीया कुमारी और मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ से मिलने की कोशिश की, लेकिन दोनों मंत्रियों ने आंदोलनकारियों की बात नहीं सुनी। दीया कुमारी जब राजसमंद से सांसद थीं, तब उन्होंने डोल का बाढ़ को बचाने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन सरकार में आते ही वे अपने वादे से मुकर गईं। यही स्थिति मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ की है।

क्या है डोल का बाढ़ आंदोलन?

शौर्य गोयल ने बताया कि जयपुर शहर के दक्षिणी हिस्से सांगानेर में एयरपोर्ट के पास डोल का बाढ़ का जंगल है। इसे जयपुर के फेफड़े भी कहा जाता है। यहां अलग-अलग किस्मों के ढाई हजार पेड़ हैं। विभिन्न देसी-विदेशी प्रजातियों के पशु-पक्षी भी रहते हैं। राज्य सरकार इस जंगल में यूनिटी मॉल बनाना चाहती है। ऐसे में जंगल में पेड़ों की जेसीबी से कटाई जारी है। मुख्यमंत्री भजनलाल इसी सांगानेर क्षेत्र से विधायक भी हैं।

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पेड़ों की कटाई को लेकर मनमानी 

शौर्य गोयल बताते हैं कि डोल का बाढ़ में सरकार ने 58 पेड़ों की गिनती की है, जबकि जंगल में विभिन्न प्रजातियों के 203 पेड़ हैं। इन पेड़ों पर विभिन्न 80 प्रजातियों के देसी-विदेशी पक्षी प्रवास कर रहे हैं। ऐसे में इस जंगल को काटना कितना जायज है? क्रमिक अनशन में पीयूसीएल से जुड़ी सामजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव के साथ डोल का बाढ़ आंदोलन से जुड़े डीके जैन, आशुतोष रांका, दीपक बालियान, रेखा, विजेंद्र और पुष्पेंद्र सहित सांगानेर विधानसभा की कई महिलाएं शामिल हुईं।

FAQ

1. डोल का बाढ़ आंदोलन की मुख्य मांगें क्या हैं?
आंदोलनकारियों की मुख्य मांग है कि सरकार यूनिटी मॉल प्रोजेक्ट को रोकते हुए, इस क्षेत्र को जैव विविधता पार्क घोषित करें और पेड़ों की कटाई को तुरंत बंद किया जाए।
2. डोल का बाढ़ जंगल की महत्ता क्या है?
यह जंगल जयपुर के फेफड़े के रूप में जाना जाता है, यहां ढाई हजार से अधिक पेड़ और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी और पशु रहते हैं। यह जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
3. सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही है इस आंदोलन के प्रति?
सरकार ने पेड़ों की कटाई पर स्पष्टीकरण दिया है, लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने अब तक उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया है और ना ही उनकी बात सुनने के लिए कोई समय दिया है।

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