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Photograph: (the sootr)
Jaipur. कथित रूप से फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट के जरिए दिव्यांग कोटे में नौकरी पाने वाली राजस्थान के ब्यावर से भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की तहसीलदार बेटी कंचन चौहान को एपीओ कर दिया गया है। वह भीलवाड़ा जिले के करेड़ा में तैनात थीं। कंचन ने आरएएस 2018 में नौकरी पाई थी। कंचन के मामले की एसओजी जोच कर रही है।
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एसओजी कर रही है जांच
आरएएस 2018 में सलेक्ट होने वाली कंचन चौहान पर आरोप लगे हैं। ब्यावर के ही फनीश सोनी ने मुख्यमंत्री और एसओजी को शिकायत भेजी थी। आरोप है कि कंचन चौहान ने स्वयं को श्रवण बाधित यानी बहरेपन से ग्रसित बताकर दिव्यांगता का सर्टिफिकेट बनवाया। इसके आधार पर आरएएस 2018 में दिव्यांग कोटे में तहसीलदार के पद पर सलेक्ट हो गईं।
मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिकायत को एसओजी को भेजकर जांच को कहा था। एसओजी ने कंचन चौहान को मेडिकल बोर्ड से जांच को बुलाया, लेकिन उस दिन बोर्ड नहीं बना तो चौहान को वापस भेज दिया। इसके बाद एसओजी के बुलाने पर भी कंचन चौहान जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश नहीं हो रही हैं। फिलहाल SOG ने जांच रिपोर्ट राजस्व मंडल प्रशासन को नहीं भेजी है।
पिछले पांच साल के दस्तावेजों की जांच
कंचन चौहान की शिकायत के बाद राजस्व मंडल सहित दूसरे विभाग में दिव्यांग कोटे में नौकरी पाने वालों की मेडिकल जांच शुरू हो गई है। इनमें 20 साल पहले भी बहरेपन के आधार पर दिव्यांग कोटे में नियुक्ति पाने वालों की मेडिकल बोर्ड से जांच करवाई जा रही हैं। जांच में कुछ अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए।
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12 अगस्त को हुई थी शिकायत
ब्यावर के रहने वाले फणीश कुमार सोनी ने 12 अगस्त, 2025 को कंचन चौहान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। कंचन चौहान के नवोदय स्कूल और उदयपुर यूनिवर्सिटी से मिले एजुकेशनल डॉक्यूमेंट की जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता ने कंचन चौहान की पुन: मेडिकल जांच करवाने व इसके लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में मेडिकल बोर्ड का गठन करने की मांग की है। कंचन चौहान का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने वाले डॉक्टर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। अब भाजपा विधायक की तहसीलदार बेटी कंचन चौहान एपीओ कर दी गई हैं।
2013 व 2016 में भी दी थी परीक्षा
भीलवाड़ा जिले करेड़ा में पो​स्टेड विधायक पुत्री कंचन चौहान ने साल 2018 से पूर्व 2013 और 2016 में भी आरएएस का एग्जाम दिया था। पहले वो प्री-क्लियर नहीं कर पाई थीं। दूसरे प्रयास में प्री तो क्लियर हुआ, लेकिन मेन क्लियर नहीं हुआ​ था। इसके बाद 2018 की परीक्षा में कंचन ने इंटरव्यू के बाद 600 के करीब रैंक हासिल की थी। 27 दिसंबर, 2021 को गुलाबपुरा, भीलवाड़ा में नायब तहसीलदार के तौर पर पहली पोस्टिंग हुई थी। करीब एक साल से वे करेड़ा में पोस्टेड थीं।
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