पूर्व आरजीएचएस निदेशक शिप्रा विक्रम पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, आठ करोड़ के भुगतान में कर दी गड़बड़ी

राजस्थान की आरजीएचएस योजना की पूर्व निदेशक शिप्रा विक्रम पर आठ करोड़ रुपए के गलत भुगतान के आरोप लगे हैं। एसीबी ने जांच की अनुमति के लिए सरकार से मांग की है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) की पूर्व निदेशक शिप्रा विक्रम पर एक हेल्थकेयर प्रोवाइडर कंपनी को गलत तरीके से आठ करोड़ रुपए का भुगतान करने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सरकार से अनुमति मांगी है।

एसीबी को इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर एनशियेंट एस्ट्रोलॉजिकल रिसर्च ट्रस्ट (आईआईएएआर) के सचिव पं. अखिलेश कुमार शर्मा से शिकायत मिली थी। शिकायत में कहा है कि शिप्रा विक्रम को भुगतान करने की एवज में मोटी राशि दी गई। हाल ही में शिप्रा विकम को आरजीएचएस के भुगतान में कई प्रकार की खामियों और गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद राज्य सकरार ने एपीओ कर दिया था।

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अस्पताल ट्रस्ट का, चलाती है दूसरी कंपनी

दरअसल, शिकायतकर्ता आईआईएएआर ट्रस्ट ने जयपुर के वैशाली नगर में यूनिक संगीता मेमोरियल अस्पताल बनाया है। इस अस्पताल के संचालन के लिए ट्रस्ट ने नवंबर, 2019 को मै. यूनिक हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड से पांच साल का एग्रीमेंट किया था। इस अस्पताल को राजस्थान सरकार के अधिकारियों व कर्मचारियों तथा पेंशनर्स के उपचार की योजना आरजीएचएस के साथ ही चिरंजीवी जैसी योजनाओं में एम्पैनलमेंट करवाया था। 

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ट्रस्ट के खाते में जमा होना था भुगतान 

ट्रस्ट के सचिव पं. अखिलेश कुमार शर्मा के अनुसार सरकारी योजनाओं का भुगतान प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट ने एक बैंक खाता खुलवाकर यूनिक हेल्थकेयर को दिया था, लेकिन उसने गड़बड़ी करते हुए एक अलग बैंक खाता खुलवा लिया और सरकार में स्वयं को अस्पताल के मालिक के रूप में पेश किया।

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कर्मचारियों को मोटी रिश्वत दी गई

शिकायत में कहा गया है कि यूनिक हेल्थकेयर के कर्ताधर्ता डॉ. अमहेश कुमार ने आरजीएचएस की निदेशक शिप्रा विक्रम और अन्य कर्मचारियों के साथ मिलीभगत से कूटरचित दस्तावेजों के जरिए अलग बैंक खाते में भुगतान प्राप्त करना शुरू कर दिया। पांच साल की अवधि में आरजीएचएस के तहत अस्पताल को करीब आठ करोड़ रुपए का भुगतान मिला। आरोप है कि इसके लिए आरजीएचएस निदेशक शिप्रा विक्रम व अन्य कर्मचारियों को मोटी रिश्वत दी गई। 

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सभी कागज ट्रस्ट के नाम पर 

अस्पताल संचालन के लिए जरूरी सभी एनओसी व प्रमाण-पत्र आईआईएएआर ट्रस्ट के नाम से हैं और अस्पताल के एम्पैनलमेंट के लिए आरजीएचएस में पेश किए थे। इसके बावजूद यूनिक हेल्थकेयर के डॉ. महेश शर्मा, डॉ. मनिषा मलिक तथा निर्मला देवी ने शिप्रा विक्रम व अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से आठ करोड़ रुपए का भुगतान प्राप्त किया। शिकायत में शिप्रा विक्रम व अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्यवाही की मांग की है। एसीबी ने इस शिकायत को कार्मिक विभाग को भेजकर जांच की अनुमति मांगी है।

FAQ

1. शिप्रा विक्रम पर क्या आरोप लगाए गए हैं?
शिप्रा विक्रम पर आरोप हैं कि उन्होंने एक हेल्थकेयर कंपनी को गलत तरीके से आठ करोड़ रुपये का भुगतान किया और इस धोखाधड़ी में अन्य कर्मचारियों से मिलीभगत की थी।
2. क्यों एसीबी ने इस मामले की जांच की अनुमति मांगी?
एसीबी ने शिकायत मिलने के बाद मामले में कार्रवाई के लिए राज्य सरकार से जांच की अनुमति मांगी है ताकि शिप्रा विक्रम और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।
3. इस मामले में क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है?
शिप्रा विक्रम और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून (Prevention of Corruption Act) के तहत कार्रवाई हो सकती है, जो जांच के बाद तय होगी।

राजस्थान सरकार चिरंजीवी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो राजस्थान आरजीएचएस राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम
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