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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि मेरी सरकार गिराने की कोशिश वास्तविक थी। उन्होंने कहा कि सरकार गिराने का वह कोशिश थ्योरेटिकल नहीं, प्रैक्टिकल थी। प्रैक्टिकल और थ्योरेटिकल में फर्क होता है। वह कोशिश वास्तविक यानी प्रैक्टिकल था, जबकि कोर्ट का मामला थ्योरेटिकल है।
गहलोत मंगलवार को जयपुर स्थित सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि किसी केस में एफआर देने से केस खत्म नहीं होता है। कोर्ट ने मामला खारिज नहीं किया है। उसमें एक केस और है, उसको भी एफआर दे सकता है, लेकिन एफआर देने से केस समाप्त नहीं होता है।
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हमने किसी की मदद नहीं की
पीएसओ के पेपर लीक कांड में एसओजी से अरेस्ट होने के मामले में गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री के 80 पीएसओ होते हैं। आपने उस पीएसओ को कभी मेरे साथ देखा क्या, ऐसे ही फोटो लगा दी। इसका मतलब यह भी निकालिए कि सीएमओ का कितना बड़ा इकबाल है कि उसके एक पीएसओ, एक सिक्योरिटी कर्मचारी को भी पेपर खरीदना पड़ता है। इसका मतलब क्या हुआ?
अगर मान लो सीएमओ ढील देता, तो उसे पेपर खरीदना क्यों पड़ता? ऐसे उसकी नौकरी लग जाती, इतना इकबाल रखा है सीएमओ का? उसकी नौकरी लगी नहीं थी, हमने उसकी मदद भी नहीं की। उसकी नौकरी कहां लगी? वो मेडिकल टेस्ट में फेल हो गया था, हमने उसको पास नहीं करवाया।
मैं चाहता हूं सीएम भजनलाल कामयाब हों
गहलोत ने कहा कि भजनलाल शर्मा पहली बार सीएम बने हैं। मैं चाहता हूं कि भजनलाल कामयाब हों। मैंने यह सुझाव दिया है कि उनके सलाहकार मेरे बयान लैपटॉप पर चलाकर उन्हें सुनाएं, ताकि उन्हें समझ आए और वे सफल हो पाएं। पंडित भजनलाल हमें सूट करता है।
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पीएम मानगढ़ धाम को संरक्षित स्मारक घोषित करें
गहलोत ने कहा कि पीएम 25 तारीख को राजस्थान आ रहे हैं, तो उन्हें आदिवासियों की आस्था से जुड़े मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना चाहिए। मेरे मुख्यमंत्री रहते पीएम मोदी मानगढ़ आए थे, लेकिन तमाम तैयारियों के बावजूद इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया गया।
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कन्हैयालाल के परिवार को न्याय कब मिलेगा?
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि कन्हैयालाल के परिजनों को न्याय कब मिलेगा। कन्हैयालाल हत्याकांड को तीन साल हो गए, लेकिन केस की जांच आगे नहीं बढ़ी। हमारी सरकार होती, तो छह महीने में दोषियों को सजा हो जाती।
हत्या के 3 घंटे के अंदर हमने आरोपियों को पकड़ लिया था। गृह मंत्री अमित शाह चुप क्यों हैं? परिवार भी पूछ रहा है कि NIA के पास केस होने के बावजूद न्याय कब मिलेगा? इस कांड के दो आरापेी बीजेपी कार्यकर्ता हैं, बीजेपी कार्यकर्ताओं के ही आरोपी होने के बावजूद इसे मुद्दा बनाया गया। इस पर आज तक कार्रवाई न होना रहस्य है।