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राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल और कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के बीच हुए विवाद पर कहा है कि ये दोनों ही उनकी सरकार गिराने की साजिश में शामिल थे।
दोनों मित्र हैं और उस दौरान उनकी सरकार गिराने के लिए हेलिकॉप्टर लेकर राजस्थान में घूमे थे। इन दोनों का पुराना इतिहास है और इनका यह रवैया कोई नया नहीं है। गहलोत 2020 में कांग्रेस सरकार पर आए सियासी संकट की ओर इशार कर रहे थे।
पतन के सूत्रधार वे खुद थे
जवाब में किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि गहलोत जी ने मुझ पर और हनुमान बेनीवाल पर आरोप लगाया कि हम उनकी सरकार को गिराने में जुटे थे। लेकिन सच्चाई तो यह है कि उनकी सरकार के पतन के सूत्रधार वे खुद थे। दूसरों के हक पर डाका डालने के कारण ही बगावत हुई। उन्होंने कुर्सी तो बचा ली, लेकिन जनता की नजरों में अपनी सरकार को गिरने से नहीं बचा सके।
सरकार गिराना तो चाहते थे
उधर सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि हम सरकार गिराना चाहते थे, लेकिन अलग तरह से गिराना चाहते थे। मैं मानेसर कैंप में नहीं था। मैं भारतीय जनता पार्टी के साथ था कि अगर सरकार गिरती है तो फ्लोर टेस्ट में सचिन पायलट को मदद करेंगे।
पैसे लेने की बात को टाल गए
गहलोत ने टीवी पर दोनों नेताओं के बीच चल रही बयानबाजी पर कहा कि पूरा देश देख रहा है कि दोनों एक-दूसरे पर किस तरह आरोप लगा रहे हैं। इससे राजस्थान के लोगों के बीच क्या संदेश गया होगा ? जब उनसे पैसे लेने के आरोपों पर पूछा गया तो गहलोत ने टालने वाले अंदाज में कहा कि,'पैसे लेने की बातें तो, क्या नया इतिहास है राजस्थान में? यह एक अलग चर्चा का विषय है। इसे छोड़िए, इस पर कभी अलग से विस्तार से बात होगी। उनकी सरकार बच गई,यह बहुत बड़ी बात है।
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पैसे लेने की बात को टाल गए
गहलोत ने टीवी पर दोनों नेताओं के बीच चल रही बयानबाजी पर कहा कि पूरा देश देख रहा है कि दोनों एक-दूसरे पर किस तरह आरोप लगा रहे हैं। इससे राजस्थान के लोगों के बीच क्या संदेश गया होगा ? जब उनसे पैसे लेने के आरोपों पर पूछा गया तो गहलोत ने टालने वाले अंदाज में कहा कि,'पैसे लेने की बातें तो, क्या नया इतिहास है राजस्थान में? यह एक अलग चर्चा का विषय है। इसे छोड़िए, इस पर कभी अलग से विस्तार से बात होगी। उनकी सरकार बच गई,यह बहुत बड़ी बात है।
सरकार ने तो कहा था कि एसआई भर्ती रद्द नहीं होगी
एसआई भर्ती 2021 रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व सीएम ने कहा कि पौने दो साल में सरकार ने एसआई भर्ती पर फैसला नहीं किया। अब जब हाईकोर्ट ने फैसला दिया है तो सरकार स्वागत कर रही है,जबकि इसी सरकार ने हाईकोर्ट में आधे एसआई को खुश करने के लिए भर्ती रद्द नहीं होने का शपथ पत्र दिया था।
हमारे समय में भी सेकंड ग्रेड की भर्ती का पेपर लीक होने की शिकायत एसओजी को मिली थी। तब 35,000 पोस्ट थीं और 76 लोगों के नाम सामने आए थे। लेकिन हमने जनहित में उस परीक्षा को रद्द कर दिया और पोस्ट 35,000 से बढ़ाकर 50,000 करके पुन:परीक्षा करवाकर सबको नियुक्ति दी थीं।
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जड़ से खत्म होनी चाहिए पेपर लीक की बीमारी
गहलोत ने कहा कि पेपर लीक एक बीमारी है। राजस्थान की ज्यूडिशरी में भी भर्ती के पेपर आउट हुए थे। गुजरात,बिहार,पंजाब सहित कई राज्यों में पेपर लीक की घटनाएं हुई हैं। वहां पर एक गैंग बन गई है जो पेपर लीक का काम करती है। देश में बेरोजगारी फैल रही है और हर व्यक्ति सरकारी नौकरी पाना चाहता है,यह एक बुनियादी समस्या है। हमारी सरकार ने पेपर लीक मामलों को लेकर कड़े कदम उठाए थे।
हमने पेपर लीक करने वालों पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना,आजीवन कारावास,संपत्ति कुर्क करने जैसे कड़े प्रावधान किए थे। ऐसा कानून बनाने वाला राजस्थान अकेला राज्य था। उन्होंने कहा कि एक पूर्व आईएएस की अध्यक्षता में हमने एक कमेटी बनाई थी और एसओजी में एंटी-चीटिंग सेल भी हमने ही बनाया था। गहलोत ने कहा कि पेपर लीक के मामले जड़ से खत्म होने चाहिए।
इसमें तो राजनीति नहीं होनी चाहिए
इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए,क्योंकि भाजपा सरकार के समय भी आरपीएससी के मेंबर बने थे और हमारी सरकार में भी आरपीएससी के मेंबर बने थे। जो दो मेंबर पकड़े गए हैं,उनमें से एक बीजेपी सरकार के समय का भी है। उन्होंने पेपर लीक को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप को गलत बताया है।
पेपर लीक मामलों की तह में जाना जरूरी
मुख्यमंत्री भजनलाल के 'बड़े मगरमच्छों को पकड़े जाने' के बयान पर गहलोत ने कहा कि यह कहने वाले मुख्यमंत्री कौन होते हैं ? यह मामला एसओजी और हाईकोर्ट का है। उन्होंने तल्खी भरे अंदाज में मुख्यमंत्री को निशाने पर लेते हुए कहा कि आपने तो कोर्ट में जवाब तक नहीं दिया था। अब कोर्ट ने फैसला दे दिया है तो आप स्वागत कर रहे हैं। अब राजस्थान सरकार को पेपर लीक मामलों की तह में जाना चाहिए पेपर लीक एक ऐसी बीमारी है, जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है।
पीएम पर अभद्र टिप्पणी की निंदा
बिहार में प्रधानमंत्री पर अभद्र टिप्पणी के सवाल पर गहलोत ने कहा कि कांग्रेस की यात्रा आगे निकल गई थी,किसी ने मंच पर जाकर कुछ अपशब्द बोल दिए तो उसे कांग्रेस से नहीं जोड़ना चाहिए और हम इस तरह के कृत्यों की निंदा करते हैं। लेकिन जिस तरह से राहुल गांधी को बिहार में असाधारण जन समर्थन मिला है,उससे घबराकर भाजपा अब इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर रही है जो सही नहीं है।
बिहार में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मारपीट गलत
गहलोत ने बिहार में भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ की गई मारपीट को लेकर कहा कि देश में यह एक नई परंपरा शुरू हो गई है। अगर किसी को शिकायत है तो धरना दो,जुलूस निकालो,सड़कों पर नारेबाजी करो,कलेक्ट्रेट में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राज्यपाल के नाम ज्ञापन दो । लेकिन एक-दूसरे के कार्यालय पर जाकर धावा बोलने की परंपरा शुरू होना गलत है।
सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार अच्छा फैसला
सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने पर गहलोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने यदि सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने का फैसला लिया है तो सोच-समझकर ही लिया होगा। जिस तरह से सरकार एकतरफा फैसला ले रही है, स्पीकर और मुख्यमंत्री भी एकतरफा फैसला लेते हैं यह उचित नहीं है। केवल एक दिन बुलाकर चर्चा कर लो यह ठीक नहीं है। इसीलिए सोच-समझकर फैसला लिया है।
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