गहलोत सरकार गिराने की साजिश का मामला : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत फिर निशाने पर

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर आरोप लगाया, 2020 में कांग्रेस सरकार गिराने की साजिश फिर से चर्चा में आई। जानिए पूरा मामला। 

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Gyan Chand Patni
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कोरोना महामारी के दौरान, 2020 में राजस्थान की कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश का मामला तूल पकड़े हुए है। राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले को बंद कर दिया था, लेकिन राज्य की राजनीति में हलचल अभी भी जारी है। इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। 
उन्होंने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत अब एसीबी द्वारा एक मामले में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगाने के बाद बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। गहलोत ने शेखावत से सवाल पूछा कि यदि वे इतने ईमानदार हैं तो विधायकों से खरीद-फरोख्त की बात करने वाले ऑडियो की जांच के लिए उन्होंने आज तक वॉयस सैंपल क्यों नहीं दिया?

केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा था

हाईकोर्ट के फैसले के बाद, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अशोक गहलोत पर निशाना साधा और कहा कि कोर्ट ने एसीबी और सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन उसे दबाया नहीं जा सकता। 

वॉयस सैंपल देने से बचने पर उठे सवाल

गहलोत ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा कि संजय जैन मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत बार-बार अदालत में वॉयस सैंपल देने से क्यों बचते हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि अगर शेखावत वास्तव में ईमानदार हैं तो उन्हें अपनी ईमानदारी साबित करने के लिए एक बार वॉयस सैंपल देना चाहिए।

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दबाव में एफआर का आरोप

गहलोत ने यह आरोप भी लगाया कि जब से सरकार बदली है, संजीवनी केस और दूसरे मामलों में जांच एजेंसियों पर दबाव डाला जा रहा है, जिससे तथ्य तोड़े-मरोड़े जा रहे हैं और कोर्ट के सामने एफआर लगाई जा रही है। इससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और कोर्ट के पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है।

गहलोत का दावा: सरकार गिराने की हुई थी कोशिश

गहलोत ने 2020 के घटनाक्रम को याद करते हुए कहा कि उस समय 30 विधायकों के समर्थन वापसी के दावे, 20 विधायकों को मानेसर ले जाना और अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और जफर इस्लाम से मुलाकातों जैसी घटनाएं हुईं। उन्होंने बताया कि उस समय कांग्रेस नेताओं पर ईडी, आईटी और सीबीआई की छापेमारी भी की गई थी। विधायकों को रिश्वत देने के आरोप भी लगाए गए थे। इन सभी घटनाओं को प्रदेश के लोग आज भी याद करते हैं। सांसद हनुमान बेनीवाल ने कुछ समय पहले ही बयान दिया था कि उस समय वे भाजपा का समर्थन कर रहे थे और सरकार गिराने में शामिल थे। राजस्थान विधायक खरीद-फरोख्त मामला देशभर में चर्चित रहा।

शेखावत कभी मुक्त नहीं हो सकते

गहलोत ने यह भी कहा कि जिस प्रकार मध्य प्रदेश में सरकार गिराई गई थी, वैसा ही प्रयास राजस्थान में भी किया गया था। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान और जनता के समर्थन से यह प्रयास असफल हो गया और उनकी सरकार ने पांच साल पूरे किए। गहलोत ने यह कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके जैसे अन्य लोग इस प्रयास के पाप से कभी मुक्त नहीं हो सकते, क्योंकि उन्होंने लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश की थी।

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FAQ

1. क्या गहलोत सरकार गिराने की साजिश में गजेंद्र सिंह शेखावत का हाथ था?
गहलोत का आरोप है कि गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2020 में कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश की थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त और अन्य धोखाधड़ी शामिल थी। हालांकि, इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच बंद कर दी, लेकिन गहलोत का दावा है कि यह साजिश कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए थी।
2. गजेंद्र सिंह शेखावत ने क्या कहा था कोर्ट के फैसले के बाद?
हाईकोर्ट के फैसले के बाद, गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कोर्ट ने एसीबी और सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया है और यह साबित हो गया है कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन दबाया नहीं जा सकता।
 3. वॉयस सैंपल को लेकर गहलोत ने क्या सवाल उठाए?
गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत से सवाल किया कि यदि वे इतने ईमानदार हैं तो क्यों नहीं वॉयस सैंपल देकर अपनी ईमानदारी साबित करते? गहलोत का मानना है कि शेखावत वॉयस सैंपल देने से बच रहे हैं, ताकि आरोपों से बचा जा सके।
4. शेखावत पर गहलोत ने क्या आरोप लगाए?
गहलोत ने शेखावत पर आरोप लगाया कि उन्होंने विधायकों से खरीद-फरोख्त करने और सरकार गिराने की साजिश की थी। इसके अलावा, गहलोत ने यह भी कहा कि शेखावत ने जांच एजेंसियों पर दबाव डाला।
5. क्या गहलोत की सरकार गिराने की साजिश सफल हुई थी?
गहलोत ने कहा कि 2020 में शेखावत और अन्य नेताओं द्वारा सरकार गिराने की साजिश विफल हो गई थी।

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